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इन्द्रधनुष जैसे रंगों को, अपने जीवन में भरूं, और एक नए जगत का आगाज़ करूँ।
उगते सूरज का भोर बनूँ,
अग्रिम सदी का भारत हूं।
ना किसी से बैर करूँ,
नई पीढ़ी का आगाज़ हूँ।
जन्मांतर का भाव हूँ,
इच्छा पूर्ति हेतु दृष्टांत का भाव हूँ।
उजियाली किरणों की तरह,
पूर्ण जगत की रौशनी बनूँ।
पर्वत के शिखर तक,
ऊंचा बनने का प्रयत्न करूँ।
सागर की लहरों की तरह लहराकर,
अपने मन में गहराई लाऊँ।
उंठू गिरूं उंठु गिरुं तरल तरंगों की तरह,
भर लूँ अपने मन में मृदुल उमंगों की तरह।
पृथ्वी की तरह बनूँ,
और धैर्य को कभी ना छोङू।
चाहे सिर पर हो कितना भी भार,
नभ की तरह फैलूं।
समेट लूँ सारा संसार,
चंदा की चांदनी जैसा चमकुं।
सितारों की तरह बनूँ,
पवन का शोर बनूँ,
सुर ताल का लय बनूँ।
पक्षियों की चहचहाट का गीत हूँ,
सबके मन का प्रीत बनूँ।
इन्द्रधनुष जैसे रंगों को,
अपने जीवन में भरूं,
और एक नए जगत का आगाज़ करूँ।
मूल चित्र : Pexels
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