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भाभी! ये मुझे दे दो।

आपकी ननद ने लिया तो, क्यों आपको बुरा लगा? ननद भी तो बहन होती है!

आपकी ननद ने लिया तो, क्यों आपको बुरा लगा? ननद भी तो बहन होती है!

रीता की अभी-अभी नयी शादी हुयी है। आज उसका पहला दिन था। उसकी दो छोटी ननद थी। जिसमें से बड़ी का रिश्ता, पक्का हो चुका था।

रीता अपना सामान निकाल कर, अलमारी में लगा रही थी। तभी बड़ी ननद आकर, उसका समान देखने लगी। बोली, “भाभी! आपका समान तो कितना अच्छा है। भाभी! ये मेकअप किट तो बहुत सुंदर है, मुझे दे दीजिए।”

रीता ने कहा “दीदी! ये मेरे दोस्तों ने, मिलकर दिया है। मैं आपको दूसरा लाकर दे दूंगी”। रीता ने इतना कहा ही था कि उसकी शिकायत सास के पास पहुंच गयी।

सास ने रीता को आकर डाँटा, “ये क्या, अभी से अपना पराया करने लगी? ननद तो, बहन जैसी होती है। आज है, कल चली जायेगी! उनको देना, पुण्य का काम होता है।”

रीता बेचारी चुप रह गयी और मन मारकर अपना मेकअप किट देना पड़ा। पति को बोला, तो वो भी टाल गये। कोई बात नहीं, रीता मेरी बहन ही तो है। वो मैं तुम्हें, दूसरा दिला दूंगा!

रीता को बहुत खराब लगा क्योंकि वो उसे गिफ्ट में मिला था।

अब तो रीता की ननद, आये दिन कुछ न कुछ उसका सामान ले लेती। ये कहकर कि भाभी! ये मैं ले लेती हूँ। रीता मन मारकर रह जाती। कुछ न कह पाती।

कुछ समय बाद, उसकी ननद की शादी हो गयी। करीब एक महीने बाद, वो मायके आयी तो, अपने ससुराल वालों की शिकायत लेकर बैठ गयी और बोली मेरी ननद तो मेरा सारा सामान ले लेती है। मैने मना किया तो, मेरी सास मुझे डाँटने लगती है।

रीता को मजा आ गया सुनके.। मन में बोली, “अब मिला ना, जैसे को तैसा!”

मौका देखकर रीता बोली, “तो क्या हुआ, दीदी! आप भी तो मेरा समान ले लेती थी। अब आपकी ननद ने लिया तो, क्यों आपको बुरा लगा। फिर ननद भी तो बहन होती है! ननद को देना भी तो पुण्य होता है!  है ना! मम्मी जी, ठीक कहा न मैंने।”

दोनों माँ-बेटी को कोई जबाब नहीं आया और रीता मुस्कुराकर, चाय बनाने चल दी!

मूल चित्र: Canva

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