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मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं एक अच्छी माँ कैसे बन सकती हूँ…

जब मेरी गलती से मेरी बेटी रोती थी तो सच मे बहुत दुःख होता था, मुझे...मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं अच्छी माँ नहीं हूँ। लेकिन एक अच्छी माँ कौन होती है?

जब मेरी गलती से मेरी बेटी रोती थी तो सच मे बहुत दुःख होता था, मुझे…मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं अच्छी माँ नहीं हूँ। लेकिन एक अच्छी माँ कौन होती है? 

औरत के ज़िंदगी का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव तब होता है जब वो माँ बनती है। एक पत्नी से मां बनने का सफर बड़ा ही अनमोल और जिम्मेदारी से भरा होता है। पहली बार माँ बनने में तो हर एहसास नया होता है।

सभी के जैसे मैं भी जब पहली बार मां बनी तो मेरे लिए सब कुछ नया था। अपनी बेटी का बहुत ध्यान रखती थी। उसके छोटे-छोटे काम बड़े ध्यान से करती थी फिर भी न जाने क्यों कुछ न कुछ गलती मुझसे हो ही जाती थी।

जब मेरी गलती से मेरी बेटी रोती थी तो सच मे बहुत दुःख होता था। मुझे…मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं अच्छी माँ नहीं हूँ। मैं ये बात किसी से बोल नहीं पाती सच कहूँ तो बोलती भी क्या गलती तो मेरी ही होती थी।

एक दिन मम्मी का फोन आया। माँ भी कितनी अजीब होती है बच्चों की आवाज़ सुनकर ही जान जाती है कि वो खुश है या उदास।

“क्या हुआ बेटा? कोई बात है? तुम्हारी आवाज़ में वो खनक नहीं है। बताओ क्यों उदास हो?” मम्मी बोली।

“मम्मी कल अनिका बिस्तर से गिर गई और आज उसके नाखून ज़्यादा गहरे से काट दिए। कितना रोई थी वो! सिर्फ़ मेरे कारण! मैं कभी भी आप जैसी एक अच्छी माँ नहीं बन पाऊँगी।”

“मम्मी, काश अच्छी माँ बनने के कोई नियम होते है। कितना अच्छा होता अगर कोई किताब होती, जिससे अच्छी मां बनने के सारे गुण लिखे होते”, मैंने उदासी से बोला।

“अरे पगली! ऐसा क्यों सोचती है? तुम्हें ये क्यों लगता है कि तुम अच्छी माँ नहीं बन पाऊँगी? तुम हो एक अच्छी माँ! माँ की जिम्मेदारी बच्चे के पैदा होने के बाद से नहीं शुरू होती बल्कि जब वो गर्भ धारण करती है तब से शुरू हो जाती है। जिसे तुमने 9 महीने बखूबी निभाया जिससे ही तो बच्चा स्वस्थ हुआ।”

“किताब का तो मुझे नहीं पता। पर एक नियम ज़रूर है, वो है निस्वार्थ सेवा..निस्वार्थ प्रेम..! बेटा जी गर्भावस्था से शुरू एक माँ का सफर, माँ की अंतिम सांस तक चलता है। भगवान ने सिर्फ़ हमें ये माँ बनाने की शक्ति दी है तो हम इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं क्योंकि हर  माँ अपनी इच्छाओं, खुशियों का त्याग कर निःस्वार्थ प्यार लुटा सकती है। वो त्याग व प्यार एक दिन में नहीं होता। तुम खुद सोचो एक बच्चे को भी पूरा बनने में 9 महीने का समय लगता है तो तुम एक दिन में कैसे अच्छी माँ बन सकती हो?”

“ये तुम्हारा अनमोल समय है, जिसमें तुम गलती भी करोगी और सीखोगी भी। बस अपनी जिम्मेदारी निभाती जाओ और गलतियों से सबक लेती जाओ। अब तो रोज़ एक नई चुनौती का सामना करना है तुम्हे ऐसे हताश होने लगी तो कैसे चलेगा?” माँ ने प्यार से समझाया था।

सच में किताब में थोड़े ही लिखा होता है कि माँ बनने के क्या नियम होते है? हर माँ और उसका बच्चा दोनों ही विशेष होते हैं। ये तो जिंदगी खुद ब खुद सीखा देती है। हर बच्चे के लिए उसकी माँ दुनिया की सबसे अच्छी मां होती है।

मूल चित्र : Canva Pro 

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