कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
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इससे पहले कि, प्रेम रीत जाए! इसे दिल में उतार कर, बचा लो रिश्ता! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, अहसास मर जाए! इसे कागज पर उतार कर, बचा लो कविता! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, इंसानियत गिर जाए! इसे दिल में उतार कर, बचा लो मानवता! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, सूरज डूब जाए! इसे अंधकार में उतार कर, बचा लो रौशनी! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, बचपन रूठ जाए! इसे मुस्कुराहट में उतार कर, बचा लो मासूमियत! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, तुम मर जाओ! इस ‘मैं’ को खत्म कर, बचा लो परम आत्मा! कि वक्त बीत रहा है!
मूल चित्र: Canva
तब समझना प्रेम पूर्ण और साकार हुआ है…
तुम्हारा-मेरा बेनाम सा रिश्ता, दिल से बस पहचान का रिश्ता!
लहरों की पुकार:कुछ कहती हुई,और चट्टानों से लड़ती हुई। बेबाक सी लहरें।
कुछ लोगों की फ़ितरत नहीं बदलती
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