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उस दिन से ज़िंदगी शुरू हुई…

और… एक दिन ऐसे ही मन बोल उठा, बहुत हो चुका ये तेरा जलना, बर्फ ऐसी बन जा तू मेरी जान, सूरज भी न पिगला सके कभी।

और… एक दिन ऐसे ही मन बोल उठा, बहुत हो चुका ये तेरा जलना, बर्फ ऐसी बन जा तू मेरी जान, सूरज भी न पिगला सके कभी।

पंछी बनकर उड़ने की ख्वाहिश देने वालों ने,
पर फूटते ही काट दिए।

जंग जीतकर जीने की इच्छा पैदा करने वालों ने,
जंग में जाने ही नहीं दिया।

सफलता की व्याख्या बताने वालों ने,
सफल होने पर बधाई ही नहीं दी।

और … एक दिन ऐसे ही मन बोल उठा,
बहुत हो चुका ये तेरा जलना
बर्फ ऐसी बन जा तू मेरी जान
सूरज भी न पिगला सके कभी।

बस दोस्तों, उस दिन से ज़िंदगी शुरू हुई
सपनो में जीना और किताबों में खो जाना
गुनगुनाते हुए ऐसे ही मुस्कुरा देना
अपने मन की बात बोल देना
और अपने में ही खुश रहना।

ऐसे ही बंधती है बिखरी ज़िंदगी
कड़वाहट से दूर, मिसरी है ज़िंदगी…

मूल चित्र: Pexels

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