कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

तुम अपनी बेटी के लिए पँख बुनना…

जिन माँओं ने बेटियों को सीख दी कि, ठहाका भाई का है, तुम मुस्कुराओ! तो याद रखना, हर माँ की हर सीख अच्छी और सच्ची हो, ये ज़रूरी नहीं...

जिन माँओं ने बेटियों को सीख दी कि, ठहाका भाई का है, तुम मुस्कुराओ! तो याद रखना, हर माँ की हर सीख अच्छी और सच्ची हो, ये ज़रूरी नहीं…

जिन माँओं ने
बेटियों को सीख दी कि,
ठहाका भाई का है,
तुम मुस्कुराओ !

दूध वो पी लेगा,
तुम चाय ले जाओ!
उसे जाने दो बाहर,
तुम घर ठहर जाओ!

अभी उसे और सोने दो,
तुम उठ जाओ!
देखने दो उसे मैच,
तुम रसोई में जाओ!

उसके लहज़े में ही रौब है,
तुम ज़रा धीमे बतियाओ !
उसकी बात काट रही?
जुबान पर ज़रा लगाम लगाओ !

उसे तो यहीं रहना,
तुम ढंग-तरीकों में ढल जाओ!

ऐसी माएँ ज़रूर किसी
बदनसीब माँ की
बेटियां रही होंगी !

बस, तुम वैसी मत बनना !
हो सके तो,
अपनी बेटी के लिए,
पंख बुनना !

*कलम जो देखती है वही लिखती है !
और लोग कहते हैं , जमाना बदल गया है !

मूल चित्र : Canva 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

98 Posts | 296,038 Views
All Categories