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श्वेता व्यास कहती हैं कि अपने पैशन को पूरा करने के लिए थोड़े एफर्ट्स तो डालने ही पड़ते हैं, लेकिन अंत में सबसे ज्यादा ख़ुशी उसी में मिलती है।
जैसा कि आप सब जानते हैं कि हम आपको अपने कुछ चुनिंदा टॉप ऑथर्स को हिंदी टॉप ऑथर सीरीज़ के ज़रिये मिलवाने ला रहे हैं, तो क्या आज आप अपने अगले फेवरेट ऑथर से मिलने के लिए तैयार हैं?
हमारे टॉप ऑथर्स की इस सीरीज़ में मिलिए हमारी अगले टॉप ऑथर से :
श्वेता व्यास मुंबई के एक कॉलेज में केमिस्ट्री की एसोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत हैं। साथ ही अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोने में तो इन्होंने जैसे पीएचडी कर रखी है। जी हां, ये लिखने में माहिर हैं। श्वेता अपने लेखों के ज़रिये कई सामाजिक बुराइयों के ललकारती नज़र आतीं है। और इनके लेख इस बात की गवाही देते हैं। इनके लेख सत्य घटनाओं पर भी आधारित होते हैं।
काफी वर्षों से श्वेता हमारे साथ जुडी हुईं हैं और लगातार बेहतरीन क्वालिटी के लेख हम तक पहुंचा रहीं हैं। इनके लेख अक्सर फीचर्ड लेख के कॉलम में प्रकाशित होते हैं। उम्मीद है आपने ज़रूर पढ़े होंगे और अगर नहीं पढ़े हैं तो आज ही पढ़े।
मैं बचपन से ही लिखने और पढ़ने की शौकीन हूँ। तो कुछ कुछ बचपन से ही लिखती आयी हूँ। मैंने कभी नहीं सोचा था की मैं प्रोफेशनली लिखूंगी। लेकिन 2013 में मैं जब माँ बनी थी, तब इसकी शुरुवात हुई। एक औरत को प्रेग्नेंसी के समय बहुत से मानसिक परिस्थितियों से गुज़ारना पड़ता है।
जब मेरा बेटा हुआ तब मैं भी डिप्रेशन का शिकार हुई। तो तब मुझे अपनी फीलिंग्स शेयर करने का सबसे अच्छा तरीका लिखना ही लगा। इसीलिए कह सकते हैं मदरहुड ने मुझे लिखने का एक बार फिर से मौका दिया। मैंने लिखना भी मदर हुड, पेरेंटिंग जैसे विषयों से ही किया था। उसके बाद धीरे धीरे एक्स्प्लोर किया और अब मैं पिछले 3 – 4 साल से प्रोफेशनली लिख रहीं हूँ। कभी सोचा नहीं था की मेरा पैशन प्रोफेशन में बदल जायेगा।
मैं नॉन फिक्शन लिखना पसंद करती हूँ। ज्यादा से ज्यादा सोशल इश्यूज़ ( सामाजिक मुद्दों ) पर लिखती हूँ क्यूँकि मुझे लगता है कि मेरी इमेजिनेशन उतनी अच्छा नहीं है लेकिन जो रियलिटी मैं देखती हूँ, उसे मैं शब्दों में अच्छे से पिरो सकती हूँ। और मैं लिखना भी वही पसंद करती हूँ। मेरी कोशिश भी वही रहती है की मैं ऐसे मुद्दों पर लिखूं जिससे बहुत लोगो को प्रेरणा मिले। तो बेसिकली मैं सामाजिक मुद्दों पर, महिला सशक्तिकरण के विषयों पर लिखती हूँ। और इतना ही नहीं मैं पढ़ती भी इन्हीं टॉपिक्स पर हूँ।
नहीं, ऐसा कोई शिड्यूल नहीं है। पर हां अक्सर देर रात में ही लिखती हूँ। जब देर रात कोई बात बार बार मन में चल रही होती है, और उस समय किसी दोस्त, फैमिली, पेरेंट्स से शेयर नहीं कर पाते, तो उस समय सिर्फ लिख कर ही मैं अपने आप को संतुष्टि दे पाती हूँ। और सबसे अच्छे लेख भी अक्सर उसी समय लिखती हूँ।
यह डिपेंड करता है कि मैं क्या लिख रही हूँ। अगर कोई रिसर्च बेस्ड आर्टिकल लिखती हूँ, जिसमे फैक्ट्स और फिगर्स होते हैं, तो उसे लिखने में समय लगता है और मेरी कोशिश भी यही रहती है की उसे मैं अच्छे से रिसर्च करके ही लिखुँ। लेकिन अगर जर्नरली कोई आर्टिकल लिखती हूँ, मतलब मन से कुछ लिखती हूँ तो उसमे ज्यादा समय नहीं लगता है, क्यूंकी उसमे जैसे जैसे आपके मन में चलता रहता है, उन्हें बस शब्दों में उतारना होता है। तो 300 – 400 शब्दों में मुझे 45 से 60 मिनट लगते हैं।
हां, बिलकुल। जब मैं कोई बात किसी से भी शेयर नहीं कर पाती हूँ, तो राइटिंग एक ऐसी चीज़ है जिसे मैं सबसे पहले चुनती हूँ। लिख कर मुझे बहुत सुकून मिलता है। ये और भी अच्छा तब लगता है, जब रीडर्स उससे जुड़ाव महसूस कर पाते हैं, उसे एक्सेप्ट करते हैं की हां उनके साथ भी वही हो रहा है। तो ऐसा लगता है की हां हम अकेले नहीं हैं, जो इससे गुज़र रहें हैं, हमारे जैसे और भी लोग हैं। इसीलिए लिखना मेरे लिए अपने साथ समय गुज़ारना है, अपने आप को समय देना है।
हां, शुरुवात में वो नहीं जानते थे। लेकिन अब जानने लगे हैं। मुझे हर तरह के ओपिनियन मिलते हैं। अगर मैं अच्छा करती हूँ तो वो लोग मेरी सराहना करते हैं। कहीं कमी रह जाती है तो वो भी बताते हैं। हमेशा से ही पॉज़िटिव क्रिटिसिज़्म मिलता है। जब कभी किसी आर्टिकल में कमी रह जाती है तो वो बताते हैं की इसमें एंडिंग और इफेक्टिव हो सकती थी या इसे ऐसे प्रेजेंट कर सकती हो। तो वो मुझे बहुत अच्छा लगता है। साथ ही मेरा परिवार और दोस्त मेरे सबसे बड़े मोटिवेशन हैं। वो लोग बहुत खुश होते हैं क्यूंकी इससे पहले हमारी फैमिली में से इस फील्ड में कोई गया नहीं है। तो ये सभी के लिए बहुत अलग एक्सपीरिएंस है।
मैंने कभी सोचा नहीं था कि राइटिंग, मेरा पैशन कभी मेरा प्रोफेशन बन जायेगा। आज इस मुकाम पर पहुंच कर बहुत गर्व महसूस होता है। लगता है कि हां खुद की खुशी के लिए कुछ किया है। आज पीछे मुड़कर देखती हूँ, तो वो छोटी छोटी चीज़े मुझे बहुत ख़ुशी देती हैं। जैसे आज इस फील्ड के माध्यम से मैं उन लोगो से जुडी हुई हूँ, जिन से मैं फिजिकली शायद कभी मिल भी न पाती, लेकिन वर्चुअली हम जुड़ गए हैं।
जब अनजान लोग आकर कहते हैं की, “अरे आप वही हैं ना जो लिखती हैं, फेसबुक पर हमने आपके बारे में पड़ा है, आप बहुत सुंदर लिखती हैं”, वो पल मेरे लिए बहुत खास होता है। तो कह सकती हूँ, मेरी जर्नी की वजह से इस मुकाम पर आज मुझे जो पहचान मिली है, वो मेरे लिए बहुत मायने रखती है।
आज मैं यह तक पहुंची हूँ, उसका एक कारण हैं, मेरे लेखन को पहचान देने वाले प्लेटफॉर्म्स भी हैं । मुझे शुरू से ही अच्छे अच्छे प्लेटफॉर्म्स मिले हैं और उन से रेस्पॉन्स भी काफी अच्छा मिला है।
साथ ही मैंने एक डिजिटल बुक “ऑनलाइन वुमनिया ” में भी योगदान दिया है। इस बुक को 32 वीमेन ऑथर्स ने मिलकर लिखी है, जो सभी देश के अलग अलग कोनों से हैं। हम कभी आपस में मिले नहीं हैं , लेकिन इन प्लेटफॉर्म्स के जरिये हम मिले और आज हमारी बुक को इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है।
इसके अलावा मैंने वीमंस वेब का ऑरेंज फ्लॉर फ़ेस्टिवल 2019 में राइटिंग फॉर सोशल इम्पैक्ट की केटेगरी का अवार्ड भी जीता है। ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है क्यूंकी वीमंस वेब पर बहुत प्रोमिनेन्ट ऑथर्स होते हैं, जो अपने इस फील्ड में बहुत आगे निकल चुके हैं। तो उन सबके बीच ये अवार्ड जितना बहुत गर्व की बात है। इन्हीं सबको देखकर मुझे लगता है की हां मैं अपने लिए कुछ अच्छा स्टार्ट कर रही हूँ और यही मेरी सबसे बड़ी अचीवमेंट है।
मुझे लिखने से ज्यादा पढ़ना पसंद है। मैं हमेशा कुछ न कुछ पढ़ती रहती हूँ। मैं केमिस्ट्री की एसोसिएट प्रोफेसर हूँ। तो पढ़ाने के साथ मुझे इस फील्ड में रिसर्च करना बहुत अच्छा लगता है। मैं हमेशा अपने फील्ड में नई नई चीज़ों की खोज में रहती हूँ।
इसके अलावा मुझे स्टोरी टेलिंग का शौक है। मुझे सुनना भी उतना ही पसंद है जितना स्टोरीज़ सुनाना। इसके अलावा पॉडकास्टिंग भी मेरा शौक है। एक्स्प्लोरिंग और ट्रैवेलिंग मेरे फेवरेट हैं। मैं हमेशा बैग पैक करके घूमने के लिए तैयार रहती हूँ। मैं बहुत हेल्थ कॉन्शियस भी हूँ। मेरा मानना है की अगर आप स्वस्थ है, तो सब सही है।
मैंने बहुत से अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर काम किया है। लेकिन विमंस वेब की एक चीज़ जो मुझे सबसे अलग लगती है वो यह कि ये प्लेटफार्म उन लोगो को प्रमोट करता है, जो अपने लेवल पर आगे बढ़ रहे हैं। ये फेमिनिज़्म को प्रमोट करता है। और हमेशा ऐसे आर्टिकल्स और इंटरव्यूज़ होते हैं जिस में महिलाएं अपने क्षेत्र में आगे बढ़ रही है।
मैं एक इंसिडेंट साझा करना चाहूँगी। जब मैंने विमंस वेब के लिए लिखना शुरू किया था, तो मेरे कुछ आर्टिकल्स रिजेक्ट हुए, जिन्हें दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर बहुत अच्छी रीडरशिप मिली। तो मुझे लगा कि हां ये कुछ अलग है, जो मैं इतने सालो से लिखती आयी हूँ, उससे अलग है। और वो मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक था। उससे मैंने अपने आप को इम्प्रूव किया।
और साथ ही विमंस वेब के कंटेंट पढ़ने लायक होते है। अक्सर हम देखते हैं कि लोग वही पढ़ना पसंद करते हैं जिसमे महिलाओं की पीड़ित स्थिति दिखती है या कहें सास, ननद जैसे आर्टिकल्स। लेकिन विमंस वेब ने उसे बदला है। और ऐसे कंटेंट लेकर आये हैं जिसमें डेवलपमेंट की बात करी गयी है।
तो ये थी श्वेता व्यास जी से हमारी एक छोटी सी बातचीत। अपने आप को बडिंग राइटर मानने वाली श्वेता व्यास जी का कहना है की हर महिला को अपने लिए समय निकालना चाहिए। अपने पैशन के थोड़े एफर्ट्स तो डालने ही पड़ते हैं। लेकिन अंत में सबसे ज्यादा ख़ुशी उसी में मिलती है।
नोट : जुड़े रहिये हमारी टॉप ऑथर्स की इस खास सीरिज़ के साथ। हम जल्द ही सभी इंटरव्यू आपसे साझा करेंगे।
मूल चित्र : श्वेता की एल्बम
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