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सबसे मिल बिन, ना रह पाऊंगी! भाई मेरे, मैं जल्दी आऊंगी!
माना इस बार, आ ना पाऊंगी।
भाई! तेरी कलाई, सजा ना पाऊंगी।
बंधन ये तो प्यार का है
तू खुश है, ये सोच, खुश हो जाऊंगी।
भाई, भाभी और भतीजे।
सब हैं प्यारे, दिल के टुकड़े।
माँ मेरी, जो लाड लड़ाए।
पापा जी भर, प्यार लुटाए।
प्यार का बंधन, अटूट हो जाए।
किस्मत से, ये प्यार मिला है।
ऐसा खुशहाल परिवार मिला है।
भाई को मैं, मोती से तोलूं।
प्रेम का आदर, हर बार मिला है।
भाभी, मेरी माँ की परछाई
मायके में, रौनक ले आई।
उसके जैसा, कोई ना दूजा।
भाई की वो, करती है पूजा।
माँ-बाबा की याद है, आई।
बचपन के दिन लौटाए।
सबसे मिल बिन, ना रह पाऊंगी।
भाई मेरे, मैं जल्दी आऊंगी।
मूल चित्र: Canva
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आज मैं अपने घर के साथ-साथ अपने लेखन को भी निखार रही हूँ – विनीता धीमान
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