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महिला और सामाजिक बंदिशों का बढ़ता लॉकडाउन

कुछ लोगों के द्वारा ऐसी सामाजिक बंदिशें बनाई गयीं...जैसे-जैसे औरतों की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे धार्मिक-कर्मकांडों से उनको जकड़ने का सिलसिला भी बढ़ता है...!

कुछ लोगों के द्वारा ऐसी सामाजिक बंदिशें बनाई गयीं…जैसे-जैसे औरतों की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे धार्मिक-कर्मकांडों से उनको जकड़ने का सिलसिला भी बढ़ता है…!

महिलाओं के लिए लॉकडाउन
कोई नया लॉकडाउन नहीं है
इससे पहले भी बचपन से न जाने
कितने लॉकडाउनों को देखा
और महसूस किया…!

जैसे ही किसी बच्ची का जन्म होता है
उसके साथ ही लॉकडाउन का जन्म होता है
कुछ लोगों के द्वारा ऐसी सामाजिक बंदिशें बनाई गयीं…
जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है
वैसे-वैसे धार्मिक-कर्मकांडों के माध्यम से
उनको जकड़ने का सिलसिला भी बढ़ता है…!

जिन महिलाओं ने इन बंदिशों को
तोड़ने का साहस किया…
धर्म के ठेकदारों ने उनको चरित्रहीन कहा
पर हार नहीं मानी महिलाओं ने
इस लॉकडाउन को तोड़ने का साहस
सदियों से करती आई हैं
और आज भी जारी है…और आज भी जारी है..!

महिलाओं के लिए लॉकडाउन
कोई नया लॉकडाउन नहीं है
तुम बहुत लॉकडाउन-लॉकडाउन करते थे
लेकिन प्रकृति ने इस बार तुमको ही लॉकडाउन कर डाला…
तुमको ही लॉकडाउन कर डाला…

मूल चित्र : Canva 

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