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थोड़ा पढ़ा लिखा देते तो क्या हो जाता? मैं थोड़ा अपने लिए लड़ लेती तो क्या हो जाता? आज मुझे बेटा पैदा न होने पर मारा तो नहीं जाता.....
थोड़ा पढ़ा लिखा देते तो क्या हो जाता? मैं थोड़ा अपने लिए लड़ लेती तो क्या हो जाता? आज मुझे बेटा पैदा न होने पर मारा तो नहीं जाता…..
हे भगवान! लड़की पैदा हुई,हे भगवान! जी का जंजाल हुई।
लड़की यानी जी का जंजाल,तुम भी करते हो खूब कमाल।
बताते फिरते हो दुनिया को,लड़का-लड़की एक समान।तो क्यों अपनी ही बिटिया को,समझते हो बोझ जैसे हो सामान।
न तो उसे पढ़ने देना चाहते हो,न ही उसे दुनिया समझाना चाहते हो।
दिन-दुनिया खराब है,पहने सब नकाब है,थक गयी ये बातें सुनकर।
जानती हूँ बहुत करते हो फिकर,तो क्यों कर देते हो विदा गैर समझकर।
जिसे रखा था तुमने इतना सहेजकर,भेज देते हो ऐसे घर,जहाँ जीती है मर-मर कर।
बन जाती है वो एक औरत,जिसे समझते है वो अपनी रैयत।
चाहे कुछ भी हो, सहना है,चाहे कुछ भी हो, रहना है।
औरत हो औरत की तरह रहो,मर्द के जैसे जीने की कोशिश मत करो।
थोड़ा पढ़ा लिखा देते तो क्या हो जाता?मैं थोड़ा अपने लिए लड़ लेती तो क्या हो जाता?औरत हो कह, ये करो वो करो ना कहा जाता?आज मुझे बेटा पैदा न होने पर मारा तो नहीं जाता…..
मूल चित्र : Canva
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