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कभी बयान करती रहीं, दुख! तो कभी झूमती रहीं, खुशी में! और सफर जिन्दगी का, करती रहीं, आसान! खुशनुमा!
कविता मन का साज़, दिल की आवाज़। रुह का सुकून, और जीवन का जुनून।
बन भावों से, बहकर कलम से, कमल सी पन्नों पर खिलती रहीं।
उन्ही पन्नों को बाँधने के प्रयास में, कविताएँ मेरी बहती रहीं।
कभी बयान करती रहीं, दुख। तो कभी झूमती रहीं, खुशी में, और सफर जिन्दगी का, करती रहीं, आसान! खुशनुमा!
मूल चित्र: Canva
Pen woman who weaves words into expressions. Doctorate in Mass Communication. Media Educator Blogger and Communication Skills Expert. read more...
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