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हमारा हाथ थामे कहे! तुम अपने सपनों पर, अड़े रहो! तुम लड़ते रहो! हर परिस्थिति से, जब तक उन्हें हक़ीक़त में, ना बदल लो!
ज़िन्दगी में एक शख्स ऐसा हो! जो हमारे ज़िन्दगी के मायने को, जिंदा रहते समझ सके! जो हमारे जज़्बातों को, महसूस कर सके! जो हमारी चुप्पी के पीछे, दिलों दिमाग की, उलझन को, जान सके!
जो हमारे मुश्किल दौर में, हमारा हाथ थामे रहे! और कहे! तुम अपने सपनों पर, अड़े रहो! तुम लड़ते रहो! हर परिस्थिति से, जब तक उन्हें हक़ीक़त में, ना बदल लो! और हमारा भी यही कर्त्तव्य, उसके प्रति बनना चाहिए! हमें भी उसका साथ, कभी नहीं छोड़ना चाहिए!
मूल चित्र: Canva
चक्रव्यूह : तुम अभिमन्यु नहीं अर्जुन हो इस महाभारत की
तुम अपनी बेटी के लिए पँख बुनना…
प्रिय बेटी…एक पत्र अपनी भावी बहू के लिए!
हे! मेरी वूमनिया…
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