कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

बारिश के ये 10 गाने सुन कर आप भी कहेंगे ‘आया सावन में झूम के…’

सिनेमा ने भी बारिश के मौसम को कभी ख़ुशी में तो कभी ग़म के रूप में पिरोया है। गाने आज के हों या कल के, बारिश के ये 10 गाने सदाबहार हैं।

सिनेमा ने भी बारिश के मौसम को कभी ख़ुशी में तो कभी ग़म के रूप में पिरोया है। गाने आज के हों या कल के, बारिश के ये 10 गाने सदाबहार हैं।

बारिश होती है तो पानी को भी लग जाते हैं पाँव

दर-ओ-दीवार से टकरा के गुज़रता है गली से

और उछलता है छपाकों में  – गुलज़ार

बारिश का मौसम आ ही गया और फिर से मन आनंदित सा हो उठा। हर किसी ने बचपन में कभी ना कभी बारिश में भीगने का मज़ा ज़रूर लिया होगा। जैसे ही बारिश होती थी अपने-अपने घर से बाहर निकलकर हम पूरी तरह पानी से भीग जाते थे और जब तक बारिश जाती नहीं थी हम भीगते ही रहते थे।

मम्मी कहती रहती थी ‘अंदर आ जाओ, भीग जाओगे’, लेकिन हमें कहां चिंता थी बीमार होने की। बारिश में भीगना और उसके बाद मां के हाथ के स्वादिष्ट पकौड़े खाना, बस…..काफ़ी था। मां हाथ में तौलिया लेकर खड़ी रहती थी और हमारे अंदर घुसते ही बस पोंछ देती थी। सच में, बड़ा मज़ा आता था। मुझे ख़ुद ये मौसम सबसे अच्छा लगता है। फिर से बचपन की याद आ जाती है। बारिश के मौसम में अजीब सा सुकूं मिलता है जैसे शहर की सड़कों पर सब रुक गया हो और बस एक ही आवाज़ आ रही हो, बूंदों की…..टिप-टिप-टिप।

बात बरसात की हो तो गानों की बात अपने आप ज़हन में आ ही जाती है। खिड़की में बैठकर बारिश देखते-देखते प्यारे से गाने सुनने को मिल जाएं तो दिन बन जाएं। सिनेमा ने भी बारिश के मौसम को कभी ख़ुशी में तो कभी ग़म के रूप में पिरोया है । गाने आज के हों या कल के, बारिश ने इन्हें ताउम्र के लिए सदाबहार बना दिया है।

ओ सजना, बरखा बहार आई, रस की फुहार लाई, अंखियों में प्यार लाई – फिल्म परख (1960)

संगीत की भाषा में कहें तो ये गाना राग खमाज पर आधारित है। राग खमाज खुशी का, श्रृंगार का और चंचलता का राग है। इस गाने में आपको ये सभी भाव मिलेंगे। सरल और सादगी से भरी अभिनेत्री साधना जी का चेहरा और लताजी का अलौलिक स्वर आपको बरबस ही सावन की सुंदरता का अनुभव कराते हैं। सलिल चौधरी इन सुरों के निर्देशक हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=5a7l2UzZ654

सावन का महीना, पवन करे शोर, जियरा रे झूमे ऐसे, जैसे बन में नाचे मोर – फिल्म मिलन (1967)

मुकेश जी और लता मंगेशकर के सुरों में पिरोए इस गाने को सुनते ही सच में जिया ऐसे झूमता है मानो बिना बादल बारिश हो रही है। आनंद बक्शी के लिखे बोल और लिजेंड्री लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का म्यूज़िक मंत्रमुग्ध करता है। इस गाने में सुनील दत्त और नूतन नाव में सवार किनारे की तरफ़ जा रहे हैं। फिल्म में सुनील दत्त गरीब हैं और नूतन अमीर जिन्हें इस फासले के बावजूद एक दूसरे से प्यार हो जाता है। इस नाव में सवार दोनों हर फासले को भूल कर बस सावन को याद कर रहे हैं।

रिमझिम गिरे सावन, सुलग-सुलग जाए मन, भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन – फिल्म मंज़िल (1979)

इस गाने को आवाज़ दी है किशोर कुमार और लगा मंगेशकर ने। योगेश के लिखे लिरिक्स को पंचम दा ने अपने संगीत से और भी सुंदर बना दिया है। आज भी इस गाने के कितने ही कवर सॉन्ग मौजूद हैं। ये गाना सिर्फ बारिश में ही नहीं बल्कि हर मौसम में याद आ जाता है। अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी पर फिल्माए गए इस गाने में पुराने दिनों का मासूम मुंबई देखने को मिलता है। ये गाना आपको अलग-अलग जगह ले जाता है, कभी बस स्टैंड, कभी सड़क, कभी समंदर तो कभी बंबई शहर के ख़ूबसूरत इमारतों की तरफ़।

मेरा कुछ सामान, तुम्हारे पास पड़ा है, सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखे हैं – फिल्म इजाज़त (1987)

गुलज़ार के लिखे बोल, आर डी बर्मन का संगीत और आशा भोंसले की आवाज़ में गाए इस गाने का अपना एक अलग ही जादू है। ये गाना आपको औरत के दिल की सुंदरता और गहराई के बारे में सोचने पर मजबूर कर देता है। जैसे जब एक औरत किसी से सच्चा और निस्वार्थ प्यार करती है तो कैसे वो अपनी भावनाएं ज़ाहिर करती है। इस गाने को ध्यान से सुनेंगे तो इसके लिरिक्स में कहीं-कहीं तुकबंदी नहीं लगेगी लेकिन वही इसकी ख़ूबसूरती है। इसका बहुत ही हल्का और मधुर सा संगीत आपको अपने साथ बहा लेगा।

मेघा रे मेघा – फिल्म लम्हे (1991)

1991 की फिल्म लम्हे अपने समय से कुछ आगे थी लेकिन लेकिन इस फिल्म के गानों ने हम सब का दिल मोह लिया था। इसी फिल्म का मेघा रे मेघा हम श्रीदेवी के कारण कभी नहीं भूल पाएंगे। आनंद बक्शी के बोल और शिव हरी के संगीत के साथ इसमें लता मंगेशकर और इला अरुण की आवाज़ है। बारिश के में किसी अपने का इंतज़ार और सखियों के प्रश्न सुन कर अनजाने में ही आप मुस्कुराना और शायद थिरकना भी शुरू कर दें।

रिम झिम, रिम झिम, भीगी भीगी रुत में हम तुम-तुम हम – फिल्म 1942 ए लव स्टोरी (1994)

ये गाना 90 के दशक में बारिश के मौसम में फिल्माया एक क्लासिक रोमांटिक गाना है। आर डी बर्मन द्वारा कंपोज़ किए इस गाने को कुमार सानु और कविता कृष्णमूर्ति ने अपनी आवाज़ दी है। इस गाने में मनीषा कोइराला बेहद ख़ूबसूरत नज़र आ रही हैं और अनिल कपूर के साथ उनकी केमिस्ट्री भी कमाल की है। इसे सुनने के बाद आपके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और बार-बार इसे सुनने का मन करेगा। बहुत ही प्यार, देखने में सुंदर, सुनने में अच्छा को कानों में मिठास घोलने वाला है ये गाना।

ओ सावन राजा कहां से आए तुम, चक दुम दुम – फिल्म दिल तो पागल है (1997)

ये गाना आपको कहीं ना कहीं बचपन में ले जाएगा। बारिश और डांस का भी अपना एक अलग ही संगम है। सावन में थिरकने का मन हो तो ये गाना सुनकर आप रुक नहीं पाएंगे। माधुरी दीक्षित और शाहरुख खान के साथ इस गाने में बच्चों ने जमकर ठुमके लगाए हैं। जितना मस्ती से भरा ये गाना है उतनी से मस्ती और उल्लास से उदित नारायण और लता मंगेशकर ने गाया भी है। इसके नटखट से बोल लिखे हैं आनंद बक्शी साहब ने और म्यूज़िक दिया है उत्तम सिंह ने।

बहता है मन कहीं, भागे रे मन कहीं, आगे रे मन कहीं, जाने किधर जानूं ना – फिल्म चमेली  (2003)

ये फिल्म वेश्याओं के जीवन पर बनी थी जिसमें करीना कपूर ने चमेली का रोल किया था। चमेली अपनी सारी चिंताएं भूल कर बस बारिश में भीग रही है और हर दूसरी लड़की की तरह उसके मन में भी बहुत सारे सपने हैं। वो बारिश में अपने सारे गम भूलकर बस भीग जाना चाहती है और यही कहती है कि “जी लूं मैं इसे खुलके, सावन में ज़रा खुलके”। कुछ पलों के लिए चमेली बस अपने मन की करना चाहती है। ये गाना गाया है सुनिधि चौहान ने और लिखा है इरशाद कामिल ने।

https://www.youtube.com/watch?v=_kEiH-cNCJY

बरसो रे मेघा, मेघा – फिल्म गुरू (2007)

इस गाने की रूह ही बहुत आज़ाद सी है। ऐश्वर्या राय बारिश में कभी पहाड़ चढ़ती है, कभी झूले ले रही है, कभी खेत में छपाक में पानी में पैर रख देती है तो कभी बस यूं ही झूमने लगती है, जैसे किसी ने पंख लगा दिए हो और कहां हो कि उड़ जाओ। श्रेया घोषाल की शहद जी आवाज़, गुलज़ार के शब्द और ए.आर रहमान का संगीत, सब कुछ लाजवाब है। जितनी ये फिल्म हिट रही उससे कहीं ज्यादा ये गाना हिट हुआ। ‘गीली-गीली माटी, गीली माटी के, चल घरौंदे बनाएंगे रे’ सच में कितने प्यारे बोल हैं।

ये किसी फिल्म का गाना नहीं है बल्कि जानी मानी गायिका शुभा मुद्गल का इंडिपेंडेंट सॉन्ग है जो आपने ज़रूर सुना होगा। इस गाने की एनर्ज़ी इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत है।शुभा मुद्गल की जानदार आवाज़ अलग ही स्तर की है। इस गाने में हर ख़ास और आम इंसान बारिश के मौसम में मगन होता दिख रहा है। बरसात में हर किसी की छोटी-छोटी सी कहानियां दिखाई गई हैं। देखिए और सुनिए, आपको मज़ा आ जाएगा।

संगीत की कोई उम्र नहीं होती, वो कभी पुराना या नया नहीं होता, हां बस समय के साथ कुछ धुनें फीकी हो जाती हैं लेकिन कुछ गाने ऐसे होते हैं जो वक्त बीतने पर और भी जवां हो जाते हैं। बारिश का हर गाना ऐसा ही कुछ होता है।

मूल चित्र : YouTube 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

133 Posts | 485,874 Views
All Categories