कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

अगर सोच सकारात्मक है तो सफलता दूर नहीं …

एक कहानी आप लोगों के समक्ष प्रस्‍तुत कर रही हूँ, निधि छोटी सी मासूम की कहानी और उसको और उसकी बहन को संबल देकर सशक्‍त बनाने में जुटी उसकी माँ।

एक कहानी आप लोगों के समक्ष प्रस्‍तुत कर रही हूँ, निधि छोटी सी मासूम की कहानी और उसको और उसकी बहन को संबल देकर सशक्‍त बनाने में जुटी उसकी माँ।

जी हाँ साथियों मासूम बचपन, भोला बचपन हम लोग आपस में कहते रहते हैं न? बाल मन बड़ा ही कोमल होता है। एक ऐसी ही कहानी आप लोगों के समक्ष प्रस्‍तुत कर रही हूँ। निधि छोटी सी मासूम की कहानी और उसको और उसकी बड़ी बहन सुधा को संबल देकर सशक्‍त बनाने में जुटी उसकी माँ कावेरी।

पति की मृत्यु और समाज के ताने

कावेरी जो दिन-रात अपनी मेहनत से लोगों के यहाँ खाना बनाना और झाड़ु-बुहारी का काम करती। वह अकेले ही अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही थी। कुछ बरस बीत गए उसका पति भोला उसे इस दुनिया में अकेला छोड़कर चला गया। कावेरी के लाख मना करने के बावज़ूद उसने शराब पीना नहीं छोड़ा। भोला की रोजाना शराब पीने की आदत की वजह से किड़नी ने काम करना बंद कर दिया। जबकि कावेरी ने अपनी आर्थिक स्थिति के हिसाब से उसका चिकित्‍सकीय उपचार कराया। पर जनाब! ईश्‍वर की मर्जी के आगे हमारी मर्जी चल पाई है भला? उसको वैसे भी भोला का जीते जी भी कोई सहारा न था और अब वास्‍तव में अकेले छोड़ गया, समाज में संघर्षपूर्ण जीवन जीने के लिए।

कावेरी की दो बेटियाँ थी, बेटा नहीं था, इसलिए परिवार में भी सास-ससुर के ताने सुनती रही। बड़ी बेटी सुधा कक्षा 6वी में सरकारी स्‍कूल में पढ़ रही थी और छोटी मासूम  निधि मात्र 4 साल की ही तो थी, जो अपना एक पैर सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्‍त होने के कारण गंवा बैठी थी। उसे लगता अब मैं कभी चल नहीं पाऊँगी, पर कावेरी ने उसका मनोबल बनाए रखने में उसकी सदैव सहायता की।

सफलता का पहला कदम

कावेरी ने निधि के बाल सहलाते हुए कहा, “बेटी तुम चल नहीं सकती तो क्‍या हुआ? गाना तो गा ही सकती हो, पर तुम्‍हें मधुर संगीत सुनना पड़ेगा और फिर गाने का अभ्‍यास करना होगा। धीरे-धीरे तुम सीख जाओगी बेटी, पर हाँ तुम्‍हें हमेशा सकारात्‍मक सोच के साथ प्रफुल्लित मन से सीखना होगा। मैं रोज़ जब काम पर जाऊँगी तब तुम रेडि़यो पर गाने सुनो, फिर तुम सुनते हुए उसी गीत को गुनगुनाते हुए सतत अभ्‍यास करना बेटी, निश्चित ही तुम सीख जाओगी। मुझे पूर्ण विश्‍वास है कि गाना सुनने से तुम्‍हारे मन को तो अच्‍छा लगेगा ही पर गुनगुनाने से आत्‍मविश्‍वास में भी बढ़ोतरी अवश्‍य होगी।”

धीरे-धीरे इसी तरह से दिन बीतने लगे। कावेरी जिस कॉलोनी में काम करने जाती, वहाँ अपनी बेटियों के बारे में अवश्‍य ही बताती। ऐसे ही एक अच्‍छे घर की वीणा मैडम जो विश्‍वविद्यालय में पढ़ाती और साथ ही समाज सेविका का कार्य भी बखूबी निभाती। उनके पति श्रीनगर में फौज में ब्रिगेडियर थे और इसलिए अवकाश मिलने पर ही घर आते। जब से वीणाजी की सासु-माँ का स्वर्गवास हुआ, तब से वे अकेले ही रहती थीं । उनकी एक ही बेटी थी और उसका भी मुंबई में अच्‍छे घर में विवाह कर वीणाजी निश्चिंत होकर समाज सेवा करती। बेटी आती थी कभी-कभी, वह भी तो सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी, एक प्राईवेट कंपनी में सो अवकाश भी कम ही मिल पाता था उसे। इसलिये वीणाजी के यहाँ कावेरी शुरू से ही पूर्ण ईमानदारी के साथ काम कर रही थी, साथ ही कभी मैडम जी की तबियत ठीक नहीं होने पर देखभाल भी करती।

वीणाज कावेरी को समझाती, “तुम कभी भी अपनी हिम्‍मत मत हारना क्‍योंकि तुम्‍हारे ही बलबूते पर दोनों बेटियों का भविष्‍य टिका हुआ है। आज मैं भी अपनी बेटी को सहारा न देती तो वह भी मंजिल पर नहीं पहुंच पाती। तुम भी अपनी कोमल सी, मासूम सी निधि जो अभी अपने बचपन का आनंद भी ठीक से उठा नहीं पायी थी कि उसके साथ ऐसा हादसा हो गया, पर उसे कभी अंतर्मन से खोखला मत होने देना।”

कावेरी कहती है, “जी मैडम जी आपके कहे गए शब्‍दों को मन में संजोए ही तो मैं अपना मनोबल हमेशा बनाए रखती हूँ। यही शब्‍द ही तो हमें आपस में बांधे रखते हैं, नहीं तो आजकल की व्‍यस्‍ततम जिंदगी में किसी के पास वक्‍त ही नहीं है, एक दूसरे के लिए। मैं सुधा को भी कहती हूँ कि तुझे अच्‍छी पढ़ाई करके परीक्षा में अव्‍वल आना होगा बेटी, जिससे तेरा भविष्‍य तो उज्‍जवल तो होगा ही और परिवार का नाम भी रोशन होगा। समाज में हमेशा यही कहा गया है कि बेटे ही जीवन का आधार होते हैं, पर बेटी अब ऐसा नहीं है, अब वक्‍त ने करवट ले ली है। मेरे लिए तुम दोनों बेटियाँ ही किसी बेटे से कम नहीं  हो।”

कावेरी के मनोबल से सुधा के मन में इतना आत्‍मविश्‍वास प्रबल हो गया कि समय की अवश्‍यकतानुसार उसने मोबाईल स्‍वयं भी सीख लिया और माँ को भी सिखाया क्‍योंकि आजकल अध्‍ययन और किसी से भी शीघ्र संपर्क करने हेतु एक मात्र जरूरी साधन है।

कावेरी कॉलोनी में इतनी जगह काम करती पर उसे वीणा मैडम का ही एक सहारा ऐसा था, जो समाज सेविका के रूप में हर पल मिलता रहता। वीणाजी ने भी सुधा को अच्‍छी तरह समझा दिया था कि मोबाईल का उपयोग सिर्फ अपने अध्‍ययन के लिए, अन्‍य ज्ञानवर्द्धक जानकारियों के लिए और माँ से बात करने के लिए ही उपयोग करना ताकि तुम इसकी आदि न हो। सुधा ने भी अब अपना पूरा ध्‍यान अध्‍ययन की तरफ ही लगाया और कावेरी व निधि ने उसका मनोबल बढ़ाया। अब उसका पूर्ण रूप से रूझान परीक्षा देने की ओर ही था।

हिम्मत और वक़्त से सब हासिल किया जा सकता है

इधर निधि भी माँ के ही सिखाए रास्‍ते पर चल रही थी, एक दिन अचानक कावेरी की तबियत खराब हो गई और सुधा स्‍कूल गई थी परीक्षा देने तो उसने वीणा मैडम को फोन किया। फिर वीणा जी तुरंत ही डॉक्‍टर को साथ में लेकर आयी, कावेरी के चेक अप के बाद पता चला कि उसे वायरल फिवर है, “चिंता की कोई बात नहीं है। डॉक्‍टर ने दवाइयाँ लिख दी और कहा कि इसे नियमित रूप से लेते रहिए ठीक हों जाएंगी।”

इसी बीच डॉक्‍टर ने देखा कि निधि बैसाखी के सहारे चल रही है और उसका एक पैर क्षतिग्रस्‍त होकर आधा ही था। उन्‍होंने वीणाजी से कहा, “आजकल विज्ञान के जरिये नई-नई तकनीकी पद्धतियाँ आयी हैं। ऐसा करेंगे निधि को उपचार हेतु ले चलेंगे हो सकता है कि नई तकनीकी सहायता से नकली पैर यदि लग जाए, जो शल्‍य क्रिया के माध्‍यम से लगाया जा सकता है और निधि चलने लगेगी।”

यह सुनकर निधि बहुत खुश हो गई कि यदि यह सच में हो गया तो वह अपना डांस करने का सपना भी पूरा कर सकेगी। कावेरी की तबियत में अब सुधार हो चला था और सबसे पहले वह निधि को डॉक्‍टर के बताए अनुसार अस्‍पताल ले गई, जहाँ उसका पूरा उपचार किया गया और बताया गया कि निधि को दूसरा पाँव लगाया जा सकता है।

कावेरी को इस हेतु खर्चे की चिंता सताने लगी पर वीणा जी ने कहा, “आजकल सरकार की तरफ से कुछ सहायता प्रदान की जाती है और कुछ मैं कर दूँगी।” सुधा की भी परीक्षा समाप्‍त हो गई थी और उसके सारे पेपर्स अच्‍छे ही गए थे। कावेरी ने सुधा को बताया, सुधा ने बेहद आनंदित होकर कहा, “इस नेक काम में देर मत करो माँ, निधि के भविष्‍य का सवाल है।”

दूसरे ही दिन वीणा जी के साथ जाकर अस्‍पताल की समस्‍त औपचारिकताओं को पूरा कर लिया कावेरी ने, पर मन ही मन घबरा रही थी कि सब ठीक होगा या नहीं? इतने में निधि कावेरी को हिम्‍मत बंधाते हुए बोली, “कुछ गलत नहीं होगा माँ, आज तेरी वजह से ही तो मेरा मनोबल बना हुआ है। माँ पिताजी बहुत याद आ रहे हैं, वे आज होते तो  बहुत खुश होते। आज मुझे वो दिन याद आ रहा है, जब एक दुर्घटना में, मै अपना एक पैर खोया। कितना रोयी थी, जिंदगी से मैं निराश हो गई थी क्योंकि मुझे लगा कि मैं अब कभी भी नहीं चल पाऊँगी, पर तूने मेरा मनोबल बढ़ाया और बैसाखी के सहारे तो चलने लगी मैं। इन सबके बीच तेरा संघर्ष देखा है मैंने। तूने मुझे गीत-संगीत सुनने को बोला। फिर भगवान के आशीर्वाद से इस मुकाम पर पहुचे हैं माँ, तो अवश्‍य ही सफलता मिलेगी। माँ तुझे नमन करके जाती हूँ भरोसा रख उस भगवान पर सब अच्‍छा ही होगा।”

वीणा जी, कावेरी और अन्‍य चिकित्‍सक भी निधि के मुख से यह कथन सुनकर भाव-विभोर हो जाते हैं। बस कुछ ही पलों में शल्‍य क्रिया हेतु निधि को ले जाया जाता है और इधर सुधा का भी परीक्षा परिणाम आने वाला रहता है। सुधा अपना परीक्षा परिणाम लेने स्‍कूल जाती है, जहाँ उसकी शिक्षिका उसको बताती है कि वह समस्‍त परीक्षाओं में अव्‍व्‍ल नंबरों से उत्‍तीर्ण होकर प्रथम स्‍थान पर आयी है और साथ ही सरकार की ओर से उसे भविष्‍य की शिक्षा पूर्ण करने हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी ।

सुधा तो आनंदित हो कूदते हुए खुशी-खुशी माँ को अपना परिणाम बताने पहुँची, तो देखा कि निधि की शल्‍य क्रिया भी सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुकी थी और डॉक्‍टर द्वारा बताया गया कि शीघ्र ही निधि अपने पैरों पर खड़े हो सकेगी और धीरे-धीरे चलने भी लगेगी। सुधा ने माँ को अपना परीक्षा परिणाम बताया तो उसकी खुशी का तो आज कोई ठिकाना ही नहीं था। आज उसकी दोनों बेटियों का जीवन संवर गया, वो कहते हैं न ईश्‍वर जब खुशियाँ देता हैं तो छप्‍पर फाड़कर देता है।

कावेरी ने वीणा जी को अपना आभार प्रकट किया, “बहन मैं जिंदगीभर आपका यह बहुमूल्‍य कर्ज नहीं चुका सकूँगी। आज आपकी वजह से ही मेरी दोनों बेटियों की जिंदगी आबाद हो गई।”

वीणा जी ने कावेरी से कहा, “नहीं कावेरी यह तो तुम्‍हारे सशक्‍त मनोबल का सफल परिणाम है।”

मूल चित्र : Youtube 

 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

59 Posts | 229,793 Views
All Categories