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ऐसी नारी से मुझे प्यार है जिसे ‘ना’ कहने का न अधिकार है!

पहले उसके तन अब उसके मन को बाँधा, विद्रोह का कहाँ कोई सवाल है, वो सहनशीलता की मिसाल है, ऐसी नारी से मुझे प्यार है जिसे ना कहने का न अधिकार है!

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पहले उसके तन अब उसके मन को बाँधा, विद्रोह का कहाँ कोई सवाल है, वो सहनशीलता की मिसाल है, ऐसी नारी से मुझे प्यार है जिसे ना कहने का न अधिकार है!

उसकी ना में उसकी हाँ है
ना कहने का उसे अधिकार कहाँ है
मैं जो कहूं वो उसकी खुशी हो
फिर चाहे उसकी आत्मा रोती हो
उम्र भर के लिए है वो मेरे अधीन
किंतु मैं हर तरह से हूं स्वाधीन
मेरे आदेश का पालन उसे करना होगा
ना कहने का अधिकार उसे कहाँ होगा?

उसके सिंदूर में मेरा नाम है
यही तो उसकी पहचान है
उसके सुख मैं उसे देता हूँ
क्योंकि मैं ही तो उसका देवता हूँ
घर की लक्ष्मी मैंने उसे माना है
बस एक वचन उससे मांगा है
मेरी हाँ में उसकी हाँ हो
ना कहने का अधिकार उसे न हो!

वो तो कभी भी ना थी अबला
बोल बोल के मैंने उसे बना दिया
पहले उसके तन को बाँधा
अब उसके मन को बाँधा
विद्रोह का कहाँ कोई सवाल है
वो सहन शीलता की मिसाल है
ऐसी नारी से मुझे प्यार है
जिसे ना कहने का न अधिकार है!

मूल चित्र : Canva 

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Shivangi Agrawal

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