कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

सिर्फ इसलिए क्योंकि औरत हूँ मैं…?

इतिहास ने है दिया गवाह कि तुमने है सताया, कमज़ोर समझ कर है हाथ उठाया, मुझे से तो बोलने तक का हक़ भी छिन लिया...क्योंकि औरत हूँ मैं?

इतिहास ने है दिया गवाह कि तुमने है सताया, कमज़ोर समझ कर है हाथ उठाया, मुझे से तो बोलने तक का हक़ भी छिन लिया…क्योंकि औरत हूँ मैं?

अपने मन के कपड़े पहन लू;
तो बेशरम हूँ मैं,
क्योंकि औरत हू मैं?

लड़को से बात कर लूँ
तो बेहया हूँ मैं,
क्योंकि औरत हूँ मैं?

इतिहास ने है दिया गवाह
कि तुमने है सताया,
कमज़ोर समझ कर है हाथ उठाया…
आंसुओं को मेरी झोली में दे दिया,
मुझे से तो बोलने तक का हक़ भी छिन लिया…
क्योंकि औरत हूँ मैं?

चूल्हा चौका संभालना मेरा कर्म बताया,
महीने के दर्द को सहना भी तो है समाज ने सिखाया..
पढ़ने लिखने का अधिकार छिन लिया,
गृह्स्थी मेरे हाथ मे थमा दिया..
क्योंकि औरत हू मैं?

नौ महीने का दर्द बर्दाश्त करो तो जानूँ मैं
एक दिन घर का खाना बना लो तो मानूँ मैं,
महीने में पाँच दिन अपने अंदर से खून बहाओ
तो समझूँ मैं…

ये सब चीज़ चुप चाप सह जाती हूँ मैं,
क्योंकि हाँ…
औरत हूँ मैं…!

मानो तो गंगा सी;
ना मानो तो पानी समान,
तुम समझो या ना समझो
औरत से ही है पूरा संसार…!

मूल चित्र : Canva 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

2 Posts | 6,457 Views
All Categories