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किरण मजूमदार शॉ हैं ‘इ वाई वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर’ ख़िताब जितने वाली पहली भारतीय महिला

किरण मजूमदार शॉ यह खिताब हासिल करने वाली विश्व की दूसरी महिला और भारत की पहली महिला हैं जिन्हें 41 देशों के 46 अवार्ड विनर्स में से इनोवेशन के लिए चुना गया। 

किरण मजूमदार शॉ यह खिताब हासिल करने वाली विश्व की दूसरी महिला और भारत की पहली महिला हैं जिन्हें 41 देशों के 46 अवार्ड विनर्स में से इनोवेशन के लिए चुना गया। 

EY एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर ने इसकी वर्चुअल सेरेमनी करी और अपने ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी देते हुए विजेता का नाम घोषित किया।

ये भारत से तीसरी एंटरप्रेन्योर हैं जिन्हें ये अवार्ड मिला हैं

किरण मजूमदार-शॉ ने  EY वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर ™ 2020 का अवार्ड अपने नाम किया। ये भारत से तीसरी एंटरप्रेन्योर हैं जिन्हे ये अवार्ड मिला है और बेशक पहली महिला भी। इससे पहले 2005 में इंफ़ोसिस के नारायण मूर्ति और 2014 में कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक को ये अवार्ड मिला था। और साथ ही 2011 में सिंगापुर से ह्यफलक्स लिमिटेड़ ( Hyflux Limited ) के ओलिविया लम के बाद यह खिताब हासिल करने वाली दूसरी महिला भी बनीं। इस अवार्ड के लिए किरण मजूमदार शॉ को 41 देशों के 46 अवार्ड विनर्स में से चुना गया है।

किरण मजूमदार-शॉ ने कहा कि महिलाओं को एंटरप्रेन्योरशिप की गतिविधियों में हिस्सा लेने और उसको बढ़ावा देने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए।

बायोकॉन लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष ( एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन ) डॉ किरण मजूमदार-शॉ ने कहा कि मूल रूप से, एंट्रेप्रेन्योरशिप (उद्यमशीलता)  समस्याओं को हल करने के बारे में ही है। बड़े अवसर अक्सर मुश्किल समय में ही मिलते है और यही मेरा इतने सालों की एंट्रेप्रेन्योरशिप जर्नी का अनुभव रहा है। मेरा बिज़नेस का फ़ोकस वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल और सभी लोगो तक लाइफ सेविंग मेडिसिन आसानी से प्राप्त हो; हालाँकि, एक उद्यमी के रूप में मेरी ज़िम्मेदारी केवल शेयर होल्डर्स को अच्छा मूल्य देने तक ही सिमित नहीं है।

धन पैदा करना एक बड़े बदलाव के लिए कैटेलिस्ट की तरह काम कर सकता है, और सभी एंट्रेप्रेन्योर्स की उनके आसपास की दुनिया के प्रति और जिन समुदायों में वे काम करते हैं, उनके लिए एक ज़िम्मेदारी है। महिलाएं भी आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और बहुत लंबे समय से उनके योगदान को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। यह बहुत जरूरी है की हम  EY वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर ऑफ़ द ईयर जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग महिलाओं को एंटरप्रेन्योरशिप की गतिविधियों में हिस्सा लेने और उसको बढ़ावा देने के लिए करें।  मैं बहुत  गौरवान्वित महसूस कर रहीं हूँ की मैंने ये अवार्ड अपने साथियों और देश के लिए जीता है।

67 वर्षीय किरण ने बायो एंजाइम कंपनी बायोकॉन की स्थापना 1978 में सिर्फ दो कर्मचारियों के साथ की थी

67 वर्षीय किरण ने बायो -एंजाइम कंपनी बायोकॉन की स्थापना 1978 में सिर्फ दो कर्मचारियों और 500 अमेरिकी डॉलर के साथ की थी। अपनी स्थापना के बाद से, बायोकॉन 11,000 से अधिक लोगों को रोजगार देने और एशिया में सबसे मजबूत इनोवेशन को बढ़ावा देने वाली बायो टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक बन गयी है। बायोकॉन और उसकी सहायक कंपनियां वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल पर लम्बे समय से  काम कर रही है हैं। डायबिटीज़ से पीड़ित लाखों लोगों की अब किफ़ायती दामों में इन्सुलिन मिल रही है, जबकि लाखों लोग जो कैंसर, आर्थराइटिस और अन्य  रोगों से जूझ रहे हैं, उन्हें भी अब सस्ती दवाएं मिल रही हैं।

जजिंग पेनल ने किरण को एक प्रेरणादायक उद्यमी बताया

मूज़े टॉयज़ के चेयरमैन, सीओ-सीईओ, मैन्नी स्टल और EY वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर ऑफ़ द ईयर के जज ने कहा कि  किरण एक प्रेरणादायक उद्यमी है, जो दर्शाती हैं कि दृढ़ संकल्प, दृढ़ता और कुछ नया करने की इच्छा एक अच्छा लंबे समय के लिए इम्पैक्ट कर सकती है।  जजिंग पेनल उनके पिछले 30 सालों से लगातार ग्रोथ और परोपकार की भावना जिसने वैश्विक स्तर पर बहुत अच्छा प्रभाव डाला है, उससे इम्प्रेस हुए। उन्होंने भारत की सबसे बड़ी बायोफर्मासिटिकल कंपनी को दयालु पूंजीवाद की नींव पर खड़ा किया है और जो मुनाफे से पहले रोगी की जरूरतें पूरी कर रहा है।

कारमाइन डि सिबियो/  केर्मिन डि सिबियो, EY ग्लोबल के चेयरमैन और सीईओ ने कहा कि किरण ने बायोकॉन के जरिये पुरे विश्व में किफ़ायती दामों में दवाएं पहुचायी है जिससे लोगो को बहुत मदद मिली है। वें सही मायने में प्रेरणादायक EY वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर की विजेता हैं।

किरण पूरे देश के एंट्रेप्रेन्योर्स के लिए एक मिसाल है

कई वर्षों की लगातार मेहनत और अपने विश्वास के साथ किरण ने साबित कर दिया की महिलाएं बिज़नस में भी उतनी ही प्रभावशाली हैं जितनी रसोई में। आज भी कई महिलाएं हैं जो एंटरप्रेंयूर्शिप के बढ़ते क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती है लेकिन पितृसत्ता जैसी सोच ने उनके कदम बढ़ने से रोक दिए है। अक्सर लोग उन्हें कह देते हैं की बिज़नस अकेली महिला नहीं चला सकती है। तो किरण शॉ ने अवार्ड जीतकर उन सभी लोगो को करारा जवाब दिया है।

आज भी कई लोग अपनी महिलाओं को इंडिपेंडेंट बनने के लिए प्रोत्साहित तो करते हैं लेकिन उन्हें उनके पसंदीदा क्षेत्र में नहीं जाने देते है। उन्हें बस सालों से चले आ रहे  कुछ चुनिंदा क्षेत्र में ही आगे बढ़ने देते हैं। लेकिन अब समय बदल चूका है। और आज तो एक महिला ने ये अवार्ड जीता है, देखना आने समय में ऐसी अनगिनत महिलाएं होंगी जो इस अवार्ड की हकदार होंगी। किरण मजूमदार-शॉ को इस अवार्ड के लिए बहुत बहुत बधाई और शुक्रिया भी जिन्होंने देश ही नहीं दुनिया के सभी लोगो के लिए काम किया है।

मूल चित्र : ट्विटर

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About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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