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मम्मी के साथ ‘जी’ लगाकर, पराया क्यों कर लेती हो ! ‘मम्मी ‘ कहा करो !
आओ जी, बैठो जी, खाओ जी, हमारे जी, उनके जी, मामा जी, चाचा जी, बाबा जी, दादी जी, मामी जी, ये जी, वो जी, आई जी, गई जी, हैं जी, न जी, वाह जी, क्या जी, छोड़ो जी, अच्छा जी, सारे ‘जी’ बढ़िया हैं ! बस , मम्मी के साथ ‘जी’ लगाकर, पराया क्यों कर लेती हो ! ‘मम्मी ‘ कहा करो ! ‘बेटी’ के जैसी नहीं, बेटी ‘ही’ रहा करो!
मूल चित्र: Pixabay
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और अब मुझे मम्मी जी की ख़ामोशी समझ में आ गई थी…
आप जी छोटा मत करो जी, सब ठीक होने पर बच्चे हमसे मिलने आ जाएंगे…
क्यों बहु को बेटी बोलना आसान है, लेकिन उसको बेटी बनाना मुश्किल?
एक नहीं दो-दो पापा हैं मेरे…
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