कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

हमारे मन चाहे कितने भी काले हों, पर बहु तो हमें गोरी ही चाहिए…

आखिर ऐसा क्या है जो हम गोरे रंग के ही पीछे भागते हैं? क्यों लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को काली रंगत से ज्यादा अपमान सहन करना पड़ता है?

आखिर ऐसा क्या है जो हम गोरे रंग के ही पीछे भागते हैं? क्यों लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को काली रंगत से ज्यादा अपमान सहन करना पड़ता है?

“अरे! प्रिया तू अभी तक तैयार नहीं हुई? लड़के वाले आते ही होंगे। अच्छे से क्रीम पाउडर लगा ले और तैयार हो जा।”

“मुझे कोई क्रीम पाउडर नहींं लगाना माँ। उन्हें पसंद करना होगा तो ऐसे ही करेंगे।”

“पसंद ही तो नहीं करता कोई तुझे, वरना कब की शादी हो गई होती। फालतु में पढ़ाई में इतना पैसा बर्बाद किया। उतने पैसे जोड़े होते तो आज लड़के वालों का मुंह बंद कर देते। लेकिन मेरी कोई सुनता कहाँ है इस घर में!” दादी ने चिल्लाते हुए कहा।

“माँ प्लीज, आज के दिन मत शुरु हो जाओ”, प्रिया के पापा ने कहा।

प्रिया के पापा बहुत ही खुले विचारों वाले व्यक्ति थे। प्रिया की पढ़ाई लिखाई में उन्होंने कोई कमी नहीं की थी। प्रिया का रंग सांवला था। उसके लिए कई रिश्ते आये लेकिन उसके रंग की वजह से उसे कोई पसन्द नहीं करता। प्रिया शान्त ओर समझदार लड़की थी। एम.ए. इंग्लिश से ग्रेजुएट होने के बाद पी.एस.सी की तैयारी कर रही थी। घर के कामो में भी निपुण थी लेकिन उसका रंग उसकी सभी अच्छाइयों को दबा देता।

“इस बार बहुत अच्छा रिश्ता है। लड़का भी अच्छी नौकरी करता है। अभी उसके माँ-बाप आ रहे हैं  तुझे देखने।”

प्रिया अनमने मन से तैयार हो गई वो जानती थी हर बार की तरह इस बार भी रिजेक्शन ही मिलेगा। वही हुआ जिसकी आशंका थी। प्रिया को पिताजी की आवाज सुनाई दे रही थी वो हाथ जोड़ते हुए बोल रहे थे, “मेरी प्रिया सर्वगुण सम्पन्न है। पढ़ाई में भी हमेशा अव्वल आती है। हम आपकी सभी मांगो को भी पूरा करने को तैयार हैं। आप न मत करिए।”

“वो सब तो ठीक है भाई-साहब लेकिन प्रिया का सांवला रंग हमारे स्मार्ट बेटे रोहन के साथ मैच नहीं करेगा। आज के समय की यही सच्चाई है सबको गोरी बहु ही चाहिए।”

लड़के वाले जा चुके थे। घर मे सन्नटा बिखरा था। पापा का उदास चेहरा देखकर प्रिया से रहा नहीं गया, “बस बहुत हुआ। अब आप किसी के भी सामने हाथ नहीं जोड़ेंगे। आज के समय में गोरी लड़कियों को ही सब पसंद करते हैं। बचपन से लेकर अब तक सबकी नफरत का सामना किया है मैंने। क्या काली रंगत वाले इंसान नहीं होते? उनके सीने में दिल नहीं धड़कता? क्या काला होना कोई गुनाह है? जीवन मे शादी ही सब कुछ है क्या? मुझे नहीं करना शादी-वादी। मुझे अभी पढ़ना है सबको दिखाना है कि काली लड़की भी कुछ कर सकती है।”

प्रिया ने दिन रात मन लगाकर पढ़ाई की। दो साल की कड़ी मेहनत और लगन के बाद पी.एस.सी. में चयन हो गया। जो लोग प्रिया को देखकर मुँह फेर लेते थे आज सभी उससे बात करना चाहते थे। प्रिया के लिए एक से बढ़कर एक रिश्ते आने लगे। रोहन के माँ बाप जो प्रिया को काली कह कर रिजेक्ट कर गए थे वे खुद आये की वे प्रिया को बहु बनाना चाहते है। लेकिन प्रिया निर्णय ले चुकी थी, “आंटी आपने सही कहा था, मेरा ओर रोहन का कोई मैच नहीं है। गोरी लड़की ही उसके लिए फिट रहेगी आप लोग जा सकते हैं। नमस्ते।”

दोस्तों आखिर ऐसा क्या है जो हमारा समाज गोरे रंग के ही पीछे भागता है? लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को काली रंगत होने से ज्यादा अपमान सहन करना पड़ता है। इंसान की सुंदरता का आकलन केवल उसके बाहरी आवरण से नहीं हो सकता। मेहनती ओर पढ़े लिखे इंसान का रंग रूप और सुंदरता कोई नहीं देखता। इंसान का कर्म ही उसकी असली सुंदरता है। सही मायने में आपकी बातें, आपका व्यवहार, आपका साफ़ दिल और आपके अन्तर्मन की खूबसूरती ही आपको सुंदर बनाती है।

आपकी इस विषय मे क्या राय है मुझे कमेंट करके जरूर बताएं। मेरी रचना पसन्द आये तो लाइक करें। धन्यवाद!

मूल चित्र : Canva 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Babita Kushwaha

Devoted house wife and caring mother... Writing is my hobby. read more...

15 Posts | 641,321 Views
All Categories