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एक प्रायश्चित ऐसा भी…

मेरे पैरों में गिर कर उसने रो-रो कर कहा था कि उसकी बच्ची को छोड़ दिया जाए, पर उसके ससुराल वालों के साथ-साथ मैं भी एक क्रूर हत्यारा बन बैठा था। 

मेरे पैरों में गिर कर उसने रो-रो कर कहा था कि उसकी बच्ची को छोड़ दिया जाए, पर उसके ससुराल वालों के साथ-साथ मैं भी एक क्रूर हत्यारा बन बैठा था। 

डॉ प्रशांत अंधेरे में खड़े थे। अचानक कमरे में लाइट जली। उनकी पत्नी माया थी, “तुम अंधेरे में क्यों खड़े हो?” पास आकर देखा तो डॉक्टर प्रशांत की आंखें नम थी।

“प्रशांत अब तो सब कुछ ठीक हो गया है। प्राची भी मान गई है फिर ये आंसू क्यों?” प्रशांत ने माया का हाथ थामते हुए कहा।

“यह आंसू पश्चाताप के हैं। माया आज किसी ने मुझे आइना दिखा दिया और आभास कराया कि मैं एक हत्यारा हूं।”

“यह कैसी बातें कर रहे हो? आप ने किसकी हत्या की? और किसने आपसे कहा?”

“प्राची! माया, प्राची…”

“वह जो आज क्लीनिक पर आई थी?”

“हाँ वही!”

“तुम उसे कैसे जानते हो? वह तो आज ही मिली थी ना?”

“नहीं माया, अभी 5 महीने पहले की बात है। प्राची के ससुराल वाले आए थे उसे लेकर भ्रूण जांच के लिए। पैसों के लालच में मैंने ना सिर्फ जांच की बल्कि प्राची के चार माह के कन्या भ्रूण की हत्या भी कर दी। कितना रोई थी वह, कितना गिड़गिड़ाई थी, मेरे पैरों में गिर कर उसने कहा था कि उसकी बच्ची को छोड़ दिया जाए पर उसके ससुराल वालों के साथ-साथ मैं भी एक क्रूर हत्यारा बन बैठा था और मैंने उसकी अजन्मी बच्ची को गर्भ में ही मार दिया था। मेरी आंखों में तो पैसों के लालच की पट्टी बंध गई थी।”

“एक मां के लिए उसके बच्चे की क्या कीमत होती है यह मैंने अब जाना जब हम खुद बच्चे के लिए तरस रहे हैं और देखो ना शायद इसी बात का एहसास कराने के लिए भगवान ने हमारे साथ ऐसा किया, शायद इसी बात का एहसास कराने के लिए प्राची लौट कर आई और हमें अपनी कोख देने को तैयार हो गई।”

“दो अजन्मी बच्चियों का गर्भपात करवाने के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया था तब से वह इधर-उधर भटक रही थी और इसी बीच वह तुमसे मिली और जब उसे पता चला कि तुम मां नहीं बन सकती और मेरी पत्नी हो तब भी वह हमारे जीवन में खुशियां लाने के लिए तैयार हो गई। शायद इसीलिए भगवान ने हमें अब तक इस खुशी से दूर रखा क्योंकि एक हत्यारे के घर कोई क्यों रहना चाहेगा।”

“पर प्राची का दिल कितना बड़ा है। तुम्हारे आंसू देख कर उसने ‘सरोगेट मदर’ बनना मंजूर कर लिया। माया मुझे अपने हाथ खून से सने दिख रहे हैं, उन्हीं हाथों से मैं कैसे अपने बच्चे को गोद में लूंगा? जिसने जाने कितने बच्चियों को दुनिया में आने से पहले ही उनका कत्ल कर दिया?”

माया अब तक सब समझ चुकी थी। आंसू तो उसकी भी आंखों में थे पर वह खुश थी कि प्रशांत को अपनी गलती का एहसास हो गया है। उसने तय किया कि वह प्राची की हर संभव मदद करेगी।

कुछ महीनों बाद माया और प्रशांत की घर में प्राची की कोख से जन्मी बच्ची की किलकारियां गूंज उठी। सब बहुत खुश थे। प्रशांत ने प्राची से माफी मांगी और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए तीनों ने प्रण लिया।

मूल चित्र : Canva 

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