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मैं अब पहले की तरह मरती नहीं हूं, जीती हूं मन ही मन, दुनिया की परवाह कर आँसू बहाती नहीं हूं, अब मैं बदल गई हूं…अब मैं बदल गई हूं!
मैं अब पहले की तरह खिलखिलाती नहीं हूं मुस्कुराती हूं मन ही मन, हंसी होंठों तक लाती नहीं हूं !
मैं अब पहले की तरह प्रेम निभाती नहीं हूं चाहती हूं मन ही मन, प्यार आँखों तक लाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह इठलाती नहीं हूं संवरती हूं मन ही मन अदा चाल में लाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह कुछ मांगती नहीं हूं समझाती हूं मन ही मन ख़्वाहिश ज़ुबां पर लाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह झगड़ती नहीं हूं माफ कर देती हूं मन ही मन तकरार में शिकवों की झड़ी लगाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह मरती नहीं हूं जीती हूं मन ही मन दुनिया की परवाह कर आँसू बहाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह कमज़ोर नहीं हूं हौसला रखती हूं मन ही मन किसी से भी आस लगाती नहीं हूं!
मूल चित्र : Canva
हां, मैं आत्मसम्मान हूं! तेरा आत्मसम्मान हूं!
आज़ादी आधी आबादी की
अब मैं कमला भसीन जैसा बनना चाहती हूँ…
क्यों मैं ग़ैर थी, ग़ैर हूँ और ग़ैर ही रहूँगी?
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