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बॉइज़ लॉकर रूम नामक इंस्टाग्राम अकाउंट पर जो चल रहा था वो किस संस्कृति का सबूत है?

बॉइज़ लॉकर रूम नामक इंस्टाग्राम अकाउंट पर कुछ लड़के कम उम्र की लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें उनकी सहमति के बिना साझा कर रहे थे। 

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बॉइज़ लॉकर रूम नामक इंस्टाग्राम अकाउंट पर कुछ लड़के कम उम्र की लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें उनकी सहमति के बिना साझा कर रहे थे। 

पुरुषवादी मानसिकता का यह प्रमाण अत्यंत दयनीय है। आज कल युवाओं में बलात्कारी संस्कृति को अधिक महत्वपूर्ण माना जाने लगा है।

बलात्कारी संस्कृति है क्या?

यह एक कुप्रथा की घटना को आगे बढ़ाने और उसको पोषित करने की एक प्रथा है, जिसका अंजाम बलात्कार होता है।

सबसे कई तरह के अत्याचार किये जाते हैं

फिर मानसिक प्रताड़ना, असभ्य चुटकले, गलत तरीके से छूना, निजी बातों को बताने की धमकी देना, लोगों द्वारा मानसिक धारणा के यह लड़के हैं ये तो लड़के ही रहेंगे, इस उम्र में यह सब साधारण बात है। ‘लॉकर रूम की बातें’ भी एक शुरुआत है किसी भी अनहोनी के लिए जिम्मेदार हो सकती है, जैसे बलात्कार या फिर क़त्ल।

प्रतिष्ठा के ख़िलाफ़ और अमर्यादित बातों की शुरुआत करना

भद्दे कमनेट्स करना, पोर्नोग्राफी का प्रतिशोध करना या उसकी क्रिया का उपयोग करने की कल्पना करना, पुरुष द्वारा निजी अंगों की तस्वीरें साझा करना, धमकियां देना और घूरना, मानसिक प्रताड़ित करना, शिकारी की तरह शिकार ढूंढना और फिर उस पर नज़र रखना, जो आगे चलकर एक पीड़िता का चेहरा बन कर उभरती है।

किसी भी तरह का शोषण 

वैधानिक बलात्कार ( नाबालिग़ का नाबालिग़ के साथ बलात्कार), यौनिक दबाव डालना, ज़बरदस्ती करने की शुरुआत, गुप्त तरीके से गर्भनिरोधक वस्तु को हटाना और फिर यौन शोषण शुरू करना, और अंत में वही दिशा और स्तिथि आ जाती है, जो आज के समाज में विभत्स्य घटना को अंजाम देने के लिए पुरुषवाद के रोगी, खुलेआम रास्ता दे रहे हैं।

खुले तौर पर स्पष्ट हिंसा

मर्डर, बलात्कार, आक्रमण, शादी का झांसा देकर, बिना शादी के  शारीरिक संबंध उसके बाद महिलाओं को निष्काषित कर देना।

ऐसी ही कुछ इंस्टाग्राम के बॉइज़ लॉकर रूम अकाउंट पर हुआ

उपरोक्त सारे चरण धीरे धीरे कितने भयावह हो जाते हैं और ऐसी वीभत्स घटना को अंजाम दे देते हैं। ऐसी ही शुरुआत हमारे देश के किशोरों द्वारा हुई, जो बॉइज़ लॉकर रूम के नाम से देश में हाहाकार मचा रही है।

लड़कियों के शरीर से सम्बंधित अश्लील बातें थीं प्राथमिकता

एक इंस्टाग्राम यूजर ने 10 वीं कक्षा से 12 वीं तक कम उम्र के लड़कों के एक समूह का पर्दाफाश किया है, जहाँ कम उम्र की लड़कियों तस्वीरें साझा की और वो भी उनकी सहमति के बिना, ऐसी ही न जाने कितनी लड़कियों की तस्वीरों को वह लोग कामुकता के मुताबिक रेटिंग देने लगे, और उनके शरीर से सम्बंधित अश्लील बातें और उनका मज़ाक उड़ाना उनकी प्राथमिकता बन गया।

लड़कियों के सामूहिक बलात्कार  पर चर्चा करने की जाती थी

यह ऐसे लड़कों का समूह है, जिसमें मुख्य रूप से 17-18 वर्ष के लड़के शामिल थे, और लड़कियों के ‘सामूहिक बलात्कार’ पर चर्चा करने के लिए इस समूह को बनाया गया था। इस समूह को एक दक्षिण-दिल्ली की लड़की ने उजागर किया है, जिसने समूह का स्क्रीनशॉट साझा किया। लड़की ने ट्वीट किया, “17-18 वर्ष के कुछ लड़के हैं और जिन्होंने एक ग्रुप बनाया है, वे सब दक्षिण दिल्ली के हैं। उन लोगों के पास एक समूह है जहाँ वे अपनी उम्र की लड़कियों की तस्वीरों पर आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग करते हैं। मेरे स्कूल के 2 लड़के इसका हिस्सा हैं “।

तो यह पितृसत्ता और विषाक्त मर्दानगी का संकेत है

समूह के उजागर होने के बाद, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर बड़े पैमाने पर नाराजगी देखी जा रही है। #MeTooIndia ने भी इस घटना के बारे में ट्वीट किया और बताया कि जब किशोर लड़के जोखिम के संकेत के बिना सामूहिक बलात्कार पर चर्चा करना शुरू करते हैं, तो यह पितृसत्ता और विषाक्त मर्दानगी का संकेत है।

जब कुछ महिलाओं ने समूह के सदस्यों को कार्रवाई के लिए धमकाना शुरू किया, तो कुछ ने कथित तौर पर उनकी नग्न तस्वीरों को “लीक” करने की धमकी दी। बॉइज़ लाकर रूम में महिला सदस्यों के साथ ही एक दूसरा सहायता समूह भी था। बाद में कई अपराधियों को बचाने के प्रयास किए गए। फिर भी, समूह के बारे में पोस्ट वायरल हो गए और कई लोग समूह के खिलाफ आक्रोशित हो गए, और कई लोग इसका सपोर्ट कर रहे थे, और उनको यह सामान्य बात नज़र आ रही थी।

मुझे उनकी महिला मित्रों पर दया आती है जो इन लड़कों का बचाव करने की कोशिश कर रही हैं

जिस देश में निर्भया के बलात्कार के मामले में नाबालिग दोषी को किशोर जेल में 3 साल बिताने के बाद अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र किया गया था। मुझे लगता है कि यह वहाँ से बाहर आए युवा लड़कों के लिए यह सब करना एक सामान्य बात हो गई और उनका डर भी खत्म हो गया। यहां तक ​​कि वे अपने दोस्तों की बातें भी साझा करते थे, जिन्होंने उन पर भरोसा किया होगा। उनके इंस्टाग्राम ग्रुप का भंडाफोड़ होने के बाद, उन्होंने स्नैपचैट पर एक नया ग्रुप बनाया और अपनी कुछ महिला मित्रों को शामिल किया। इतना ही नहीं, बल्कि उनकी चैट में भी बलात्कार की संस्कृति के बारे में कल्पना करते हुए चित्रित किया। मुझे उनकी सभी महिला मित्रों पर दया आती है जो इन लड़कों का बचाव करने की कोशिश कर रही हैं।

बॉयज़ विल बी बॉयज़ और वे भी इस तरह थे और यह उम्र ही ऐसी होती है

कुछ लोग यह कहते हुए इसका बचाव करते हैं कि लड़के तो लड़के ही रहेंगे और वे भी इस तरह थे और यह उम्र ही ऐसी होती है। यह लोग मानसिक तौर पर पितृसत्ता नामक बीमारी के रोगी हैं। सुनिए, आप महिलाओं पर आपत्ति नहीं कर सकते, इसमें महिलाओं के विरुद्ध क्यों खड़े हो जाते हैं? अक्सर बलात्कार के बाद यही सुना जाता है कि लड़की की गलती होगी। कैसे? मुझे इस बात पर आज सहमति नहीं बन पाई के लड़कियों को ही हर बात का शिकार क्यों बनाया जाता है? यह एक घोर अन्याय है।

विश्व की कोई भी लड़की यह नहीं चाहेगी कि उसकी निजी तस्वीरों को साझा किया जाए, उसके बलात्कार करने के लिए योजना बनाए जाने में उसका सहयोग करे, ऐसा कभी नहीं हो सकता। हम सबको खासकर पुरुषों को अपने कदम आगे बढ़ाने होंगे, सबके साथ इस विषाक्त वातावरण को खत्म करने आगे आइए।  मगर मैंने पाया कि हर बात में औरतों को ही दोषी ठहराया जाता है, जिससे बलात्कार की संस्कृति को आगे बढाने वालों को मौका मिल जाता है और उनके अंदर का डर ख़त्म हो जाता है।

यह घटना हमारे समाज में प्रसारित कई भद्दे चेहरों को उजागर करती

  • इस घटना से मालूम होता है कि बलात्कारी कोई अचानक से नहीं बनता, वह अपने माहौल से इस तथ्य को अपना लेता है, यह काफी है कहने के लिए कि समाज में ऐसे तत्वों का बोलबाला है। एक बलात्कारी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ये काफी है।
  • आपको लगता है कि वास्तव में 17 साल के लड़कों में यह विषाक्त व्यवहार कब शुरू हुआ ? नहीं! यह इनके अंदर समाज में फैली पितृसत्ता के बोझ के कारण हुआ, जो ऐसे कलंकित कर्म को अंजाम देने में बिल्कुल नहीं कतराते। लड़कियों के साथ गैंगरेप करने के बारे में बात करते हैं और इसे लॉकर रूम टॉक के रूप में ख़त्म कर देते हैं। इनमें साहस की हवा भरने वाले कोई और नहीं बल्कि हम में से ही होंगे।
  • इतनी कम उम्र के लड़कों की विषैली सोच को बिल्कुल नकारना नहीं चाहिए, ध्यान रखना होगा के बलात्कारी संस्कृति किस रफ्तार से आगे बढ़ रही है जिसका हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। 17 वर्ष के लड़कों ने यह प्रदर्शित कर दिया के यह कितना भयावह हो सकता है।
  • बलात्कारी  संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए, और किसी भी लड़की के लिए बलात्कार की कल्पना करना समाज के कुछ लोगों के लिए आम बात हो गई है। वह सोचते हैं यह एक आम बात है, जिसके लिए महिलाएं अधिक दोषी हैं।

दिल्ली महिला आयोग के सख़्त कदम

वहीं दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने इंस्टाग्राम पर Bois Locker Room / बॉइज़ लॉकर रूम के लिए संज्ञान लिया है, और उनसे माँग की है के अपराधियों के डेटा दिए जाएं, जिनमें क़रीब सौ से ज़्यादा लोगों के शामिल होने का अनुमान है। डीसीडब्ल्यू ने कहा, “समूह के सदस्यों ने महिलाओं के साथ बलात्कार करने और नाबालिगों के साथ सामूहिक बलात्कार करने की तकनीक पर चर्चा की है। कई अन्य गैरकानूनी काम और टिप्पणियां की गई हैं।”

आयोग ने दिल्ली पुलिस से मामले में दर्ज एफआईआर की एक प्रति मांगी है।  पुलिस से यह भी पूछा गया है कि क्या किसी आरोपी की पहचान कर उसे गिरफ्तार किया गया है?  यदि हां, तो कृपया पहचाने गए और गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों का विवरण प्रदान करें। यदि नहीं, तो कृपया इसके कारण बताएं, आगे कहा, इस मामले में 8 मई, 2020 तक विस्तृत कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है।

इंस्टाग्राम को नाम, उपयोगकर्ता नाम, ईमेल-आईडी, आईपी पता, स्थान और अन्य जानकारी सहित सभी समूह के सदस्यों का विवरण प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया है। आयोग ने इंस्टाग्राम से यह भी पूछा है कि क्या मामला उनके द्वारा उठाया गया है और क्या कार्रवाई की गई है। यदि हाँ, तो कृपया उसी का पूरा विवरण प्रदान करें। यदि नहीं, तो कृपया इसके कारण बताएं।

यह पहली बार नहीं है जब भारत में बॉइज़ लॉकर रूम जैसी बलात्कार संस्कृति पर व्यापक रूप से चर्चा हुई है। वास्तव में, सोशल मीडिया पर कई महिलाएं और नारीवादी अक्सर मीडिया के खिलाफ विभिन्न मुद्दों पर प्रदर्शन पर विषाक्त मर्दानगी और अंतर्निहित गलत धारणाओं के बारे में शिकायत करते आए हैं, मगर इन मामलों पर संज्ञान लेने की आवश्यकता किसी को भी नज़र नहीं आई। यह वही स्तिथि है जब देश में निर्भया के दोषी , विनय और मुकेश पैदा होंगे। यह चुप्पी फिर किसी बड़ी अनहोनी की तरफ इशारा कर रही है।

मूल चित्र :

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