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मैं औरत से पहले एक इंसान हूँ , मेरा भी उतना आस्मां है जितना औरों का, मैं भी उड़ना चाहती हूँ और खुलकर जीना चाहती हूँ। मुझे सिखाओ मत कैसे उड़ूँगी, मुझे मालूम हैं मेरी हदें और मेरे हिस्से का आस्मां।
नहीं बनना तुझ जैसा मुझे, मुझ सा रहने दो, हां मैं औरत हूं मुझे औरत ही रहने दो। आसमां जितना तेरा है उतना मेरा भी है, मुझे मेरी उड़ान भरने दो, नही जोड़ना तेरे नाम के साथ अपना नाम। मुझे मेरी पहचान बनाने दो, हाँ मैं काली हूँ, मोटी हूँ, पतली हूँ, छोटी हूँ। पर हूँ तो औरत ही, मुझे औरत ही रहने दो न सिखा सलीका मुझे जिंदगी जीने का जीना मुझे आता है तू देख, जिसे औरत को देखना नही आता है । हाँ मैं औरत हूँ मुझे औरत ही रहने दो ।
मूल चित्र : Unsplash
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