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पापा का दुलार : जीवन का एक बेशक़ीमती पहलू और एहसास

जीवन की बहुत सी यादों में से एक सबसे खूबसूरत एहसास होता है...पिता के साथ समय बिताना, यह वक़्त बेटी और पिता दोनों के लिए प्रभावशाली होता है।

जीवन की बहुत सी यादों में से एक सबसे खूबसूरत एहसास होता है…पिता के साथ समय बिताना, यह वक़्त बेटी और पिता दोनों के लिए प्रभावशाली होता है।

उंगली पकड़कर चलना सिखाया था आपने ,
चलना गिरना ,
गिरकर सँभलना सिखाया था आपने ,
भूली नहीं हूँ मैं कुछ भी पापा ,
हर सीख याद है मुझे ,
मुश्किलों का डटकर सामना करना ,
भी तो सिखाया था आपने।

कभी हाथी कभी घोड़ा बन ,
दिल बहलाया था मेरा ,
मेरी हर जिद्द को गले से लगाया था आपने ,
माँ की डाँट से भी तो कई बार बचाया था आपने
भूली नहीं हूँ मैं कुछ भी पापा ,
हर सीख याद है मुझे ,
साइकिल से स्कूटर तक का सफ़र ,
भी तो पार करवाया था आपने।

ठंड के दिनों में ,
रात भर उठ उठकर चादर उढाना ,
गर्मी में कूलर की ठंडी हवा में सुलाना ,
भूली नहीं हूँ मैं कुछ भी पापा ,
हर बात याद है मुझे ,
मेरी जरा सी तबीयत बिगड़ने पर ,
आपका वह मन ही मन परेशान होना।

फ़िक्र का ज़िक्र भी ना किया कभी ,
पर हर वक़्त घर का पूरा ख्याल रखा था आपने ,
ख़ुद दिन रात मेहनत कर ,
सुकून से सुलाया था हमें ,
भूली नहीं हूँ मैं कुछ भी पापा ,
हर बात याद है मुझे ,
अपने सपने अधूरे रख ,
हमारे सारे ख्वाबों को भी तो सजाया था आपने।

दिल के टुकड़े सा संभाला था आपने ,
पर दुनिया की रीत कह ,
दहलीज पार करने पर मज़बूर कर दिया था आपने ,
पल भर में जुदा कर दिया था आपने ,
भूली नहीं हूँ मैं कुछ भी पापा ,
हर बात याद है मुझे ,
दिल पर पत्थर रख ,
मेरी विदाई पर भी तो छुपकर आँसू बहाया था आपने।

पढ़ाई लिखाई हर एक ज़रूरत का ख्याल रखा था आपने ,
आपने ही मुझे इस काबिल है बनाया ,
जो भी हूँ मैं आज ,
आपकी बदौलत ही अपने पैरों पर खड़ी हूँ आज।  

बस आज फिर एक बार कह दो ना पापा ,
आपकी बिट्टो हूँ मैं ,
बस आज फिर एक बार कह दो ना पापा ,
आपकी लाडो हूँ मैं

मूल चित्र : Canva 

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Rashmi Jain

Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...

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