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इति रावत का रेड डॉट इनिशिएटिव कहता है कि अब लाल बिंदी सिर्फ सुहाग की निशानी नहीं

जब इति रावत के पास एक डोमेस्टिक वायलेंस की शिकायत आयी तो इनसे सहन नहीं हुआ और उससे लड़ने के लिए इन्होंने एक रेड डॉट इनिशिएटिव शुरू कर दिया। 

जब इति रावत के पास एक डोमेस्टिक वायलेंस की शिकायत आयी तो इनसे सहन नहीं हुआ और उससे लड़ने के लिए इन्होंने एक रेड डॉट इनिशिएटिव शुरू कर दिया। 

काम तो ये वीमेन एंट्रेप्रेन्योरस के लिए करती हैं लेकिन जब इनके पास एक डोमेस्टिक वायलेंस की शिकायत आयी तो इनसे सहन नहीं हुआ और उससे लड़ने के लिए इन्होंने एक पूरा इनिशिएटिव ही शुरू कर दिया, जिसे आज देश भर में सराहा जा रहा है।  तो आइये जानते हैं कौन है ये और क्या है इस इनिशिएटिव के पीछे की कहानी।

नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक़ भारत में हर 3 में 1 से एक महिला अपने पार्टनर द्वारा कभी न कभी शारीरिक, यौन या भावनात्मक शोषण का शिकार होती है। ये हाल तो तब है जब वे दिन के कुछ ही घंटे उनके साथ बिताती हैं। लेकिन अभी क्या जब लॉकडाउन के चलते उन्हें पूरा-पूरा दिन उन्हीं के साथ बिताना होता है?  जी हाँ, अभी के आंकड़े और भी डरा देने वाले हैं। लेकिन आज हम आंकड़ों की बात नहीं करेंगे। अब चर्चा का विषय है कि आगे क्या? कैसे हम उन तक पहुंचे और उनकी मदद करें।

इसी कोशिश का बहुत उम्दा उदाहरण है  WEFT (वूमन एंटरप्रेन्योर फॉर ट्रांसफॉर्मेशन) फाउंडेशन की फांउडर और सोशल एंटरप्रेन्योर (सामाजिक उद्यमी) इति रावत , इन्होनें हाल ही में डोमेस्टिक वायलेंस विक्टिम्स की मदद के लिए इनिशिएटिव लिया है। और उसी के सिलसिले में इनसे हुए टेलिफ़ोनिक इंटरव्यू के कुछ अंश आपके लिए पेश हैं :

इनिशिएटिव शुरू करने के पीछे की कहानी

इति रावत के पास एक दिन एक ईमेल आया और उसमें  एक महिला ने हथेली पर लाल बिंदी के साथ सन्देश लिखा की “मैडम, मुझे आपकी मदद चाहिए”। महिला संकेत दे रही थी वो डोमेस्टिक वायलेंस के चंगुल में फस चुकी है। तो रेड डॉट इनिशिएटिव की शुरुवात यहां से हुई।

रेड डॉट इनिशिएटिव क्या है

ऐसी महिलाओं की मदद करने के लिए WEFT फाउंडेशन (वूमन एंटरप्रेन्योर फॉर ट्रांसफॉर्मेशन , यह महिला सशक्तीकरण के लिए काम करने वाली नॉन प्रॉफिट बॉडी है), ने ‘रेड डॉट’ नामक एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत नागरिक हथेली एक लाल बिंदी देखकर घरेलू हिंसा पीड़ित की पहचान कर सकते हैं और एनजीओ या अधिकारियों को सूचित कर सकते हैं।

रेड डॉट इनिशिएटिव किस प्रकार से काम करता है

अगर कोई व्यक्ति किसी भी महिला के हाथ में रेड डॉट देखता है तो वो तुरंत WEFT से संपर्क कर सकता है। वो ईमेल, टोल फ्री नंबर या उनके सोशल मीडिया हैंडल पर जाकर उनसे कांटेक्ट कर सकता है। सबसे पहले हम जांचते है की वो केस सच है या फेक। उसके बाद WEFT की टीम वहां के लोकल एडमिनिस्ट्रेशन या फिर वहां के किसी लोकल NGO से सम्पर्क करते है और तुरंत उस महिला तक ज़रूरी मदद पहुंचाते हैं।

हम किस प्रकार इस से जुड़ सकते हैं?

इसके अंतर्गत जो नागरिक किसी भी महिला की हथेली पर लाल बिंदु देखते हैं वे या तो सोशल मीडिया या ईमेल [email protected] के माध्यम से WEFT के संपर्क में आ सकते हैं या वे टोल फ्री नंबर 181 पर भी कॉल कर सकते हैं।

ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए आप क्या कर रही हैं?

रेड डॉट पहल एक नागरिक-नेतृत्व वाला आंदोलन है जिसके तहत ये वीडियो और कहानियां बनाएंगे और कोशिश करेंगे की ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो सके,  ताकि लोग इस प्रतीक को घरेलू हिंसा के संकेत के रूप में पहचानना शुरू कर दें। और साथ ही महिलाओं तक भी ये पहल पहुंच सके और वो अपनी चुप्पी तोड़ सकें।

और रिमोट एरियाज़ में ये किस तरह से काम करेगा?

इसके लिए सबसे पहले हमने अलग-अलग रीजनल लैंग्वज जैसे हिंदी, तमिल, मराठी आदि में पोस्टर्स बनाये जा रहे हैं ताकि ये अधिक लोगों तक पहुंच सकें। और उन लोगों को पता तो चले कि किस तरह से आवाज़ उठायी जा सकती है। इसके साथ ही हम वालंटियर्स ढूंढ रहे हैं और अच्छी बात ये है की लोग इससे जुड़ रहे हैं।  कुछ वकील, थेरेपिस्ट्स, और लोकल NGOs हमसे जुड़े हैं।  और सबसे ज़रूरी बात कि हमने इसे शुरू करने से पहले ही राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) से हमारे साथ जुड़ने की अपील की थी और वो हमारे साथ है।

NCW कैसे करेगा मदद

हमने पूछा कि NCW की बात करें तो उन्होंने अभी तक इस सिलसिले में ऐसे कोई ठोस क़दम नहीं उठाये है। तो वो आपकी किस तरह से मदद कर रहे हैं?

जी हाँ। अभी तक उन्होंने अपनी तरफ से कोई कदम नहीं उठाया है, पर वो उन लोगों को पूरा सपोर्ट कर रहे हैं जो इस मुद्दे को आगे ले जाना चाहते हैं। NCW के तहत हम लोकल एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़ गए है और साथ ही उन्होंने हमारे साथ कुछ मेजर्स भी साँझा किये हैं।

आपके इस इनिशिएटिव में अब तक कितनी शिकायतें दर्ज हुई हैं और क्या वे लोकल सिटीज़ से भी हैं?

इसके अंतर्गत अब तक 59 केसेस आ चुके है और उनमे से कुछ पुणे, मुंबई और उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों से आये हैं।

आपने उन तक मदद पहुचायीं, लेकिन उसके आगे आप उन्हें कैसे सपोर्ट करती हैं?

हम कोशिश करते हैं कि अगर महिला आपसी सहमति से अपने परिवार से वापस जुड़ना चाहती है, तो उस में उसका पूरा सहयोग करते हैं। अगर वो आगे बढ़ना चाहती है, तो हम रीसेटलमेन्ट और रीस्टैब्लिशमेंट में उनके साथ है क्यूंकि WEFT का मुख्य उद्देश्य तो यही है। हम उन्हें हर प्रकार से सहायता करते हैं, चाहे वो फाइनेंशियल सपोर्ट हो या कोई स्किल डेवलपमेंट की बात हो।

इसमें मेन्टल सपोर्ट का भी कहीं रोल है

हम सबसे पहले, थेरेपिस्ट या कॉउंसलर उन तक पहुंचाते हैं ताकि उन्हें मेन्टल सपोर्ट मिल सके। इसलिए हम ज्यादा से ज्यादा लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे हमसे जुड़ें।

आप हमारे रीडर्स से कोई अपील करना चाहती हैं?

सबसे पहले तो अगर आपके साथ या आपके आस पास कोई भी घरेलू हिंसा या महिलायों के साथ किसी भी प्रकार का उत्पीड़न हो तो चुप न रहें। और अपने आस पास के लोकल एडमिनिस्ट्रेशन या NGOs  से जुड़ें और रेड डॉट इनिशिएटिव की हेल्पलाइन नंबर या ईमेल पर सम्पर्क कर सकते हैं।  इसके साथ ही मैं चाहती हूँ कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस इनिशिएटिव से जुड़ें। ये एक लम्बी लड़ाई है जो लॉकडाउन तक ही सिमित नहीं है। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं खुलकर सामने आएं और अपनी आवाज़ रखें, तो उसके लिए हम सबको एक साथ मिलकर काम करना होगा।

इनका मानना है कि रेड डॉट इनिशिएटिव का मतलब सिर्फ ये नहीं है कि सिर्फ विक्टिम्स इसे लगाएं, बल्कि जो भी सर्वाइवर्स हैं, वो भी इसे शान से पहनें जिससे औरतों में हिम्मत आएगी और वो अपनी बात खुलकर कह सकेंगी। पूरे देश को शायद अभी इसी प्रकार के इनिशिएटिव्स की ज़रूरत है।

तो क्या आप इस इनिशिएटिव में इनका साथ देंगे और हमारी महिलाओं को मजबूत बनाएंगे? और अगर आपके पास कोई आईडिया है कि हम कैसे उनकी मदद कर सकते हैं तो आज ही हमारे साथ साँझा करें।

मूल चित्र : Iti Rawat, Facebook 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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