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एक पाती प्रेमभरी : मैं पृथ्वी, मेरी कुछ अनकही बातों का जवाब

मानव अपनी क्रिया की वजह से प्राकृतिक क साथ क्या क्या खिलवाड़ कर चुका है, इसका अनुमान लगाना नामुमकिन है, मगर कभी पृथ्वी की आपबीती किसी ने महसूस की ?

मानव अपनी क्रिया की वजह से प्राकृतिक क साथ क्या क्या खिलवाड़ कर चुका है, इसका अनुमान लगाना नामुमकिन है, मगर कभी पृथ्वी की आपबीती किसी ने महसूस की ?

प्रिय मानव,

उम्मीद है अब तुम्हें अपने चारों ओर सब अच्छा लग रहा होगा। काम के बोझ की शिकायतों के चलते इन दिनों आराम कर पा रहे होंगे और अपनों संग समय बिताकर यकीनन खुश तो होंगे ही ! दूसरे शब्दों में कहूं तो कोरोना का यह बहाना बेशक थोड़ा डरावना तो है ही लेकिन जाने-अनजाने यह तुम्हारे लिए तो खुशियां लेकर आया ही है और मेरे लिए भी कई सौगातें लाया है।

जिस दिन से धरती पर तुम आए मैं भी कभी एक पल के लिए आराम नहीं कर पाई। तुम्हारी छोटी छोटी गल्तियों का खामियाजा मैंने असमय जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान, प्रदूषण, भूकंप और सुनामी के रूप में भुगता है। एक त्रासदी को जैसे-तैसे झेलती तभी दूसरी मुंह बाए सामने आकर खड़ी हो जाती।

सदियों से अपने भीतर अपनी व्यथा को छिपाए मैं जैसे तैसे अपने अस्तित्व को बचाने की लडाई लड़ रही थी। लेकिन इन दिनों मुझे भी कुछ राहत मिली है जो काफी सुखदायक है।

अच्छा लग रहा है यह देखकर कि तुम्हारा स्वयं की रची मायावी दुनिया और सुख सुविधाओं से खुद ही मोहभंग होने लगा है। तुम्हें समझ आ रहा होगा कि धन-दौलत से तुम सांसें नहीं खरीद सकते। दुनिया पर राज करने का सपना देखने वाले बाहुबलि देश आज घुटनों के बल रेंग रहे़े हैं।

आलिशान महल में रहने वालों से अधिक सुरक्षित गांव के कच्चे मकान में रहने वाला व्यक्ति है। विदेशों की दौड़ लगाने वाले घबराकर अपने देश की ओर दौड़ लगा रहे है। डिज्नीलैंड का जादू खत्म हो चला है।

दुनियाभर के प्रेमी जोड़ों के लिए स्विट्जरलैंड की हवाओं से रोमांस गायब हो चुका है। न्यूयार्क जैसे बड़े शहरों का अस्तित्व खतरे में है,प्यार जताने के लिए एक दूसरे को गले लगाना, चुंबन करना , हाथ मिलाना अब संगीन अपराध की श्रेणी में आ गया है। किसी अपने से मिलने न जाना ही उसके प्रेम जताने का सबसे बेहतर तरीका हो चला है।

कुल मिलाकर ईश्वर ने भी संकेत दे दिया है कि पूरी पृथ्वी पर यदि केवल एक तुम्हें ही पिंजरे में रख दिया जाए तो यह पृथ्वी पहले की तरह खूबसूरत हो जाएगी। और देख लो ,आज सब आज़ाद हैं सिवाय तुम्हारे !

मैं जहां तक नज़र दौड़ा रही हूं सब पहले से अधिक खूबसूरत हो गया है। मेरी नदियां, झरने, पोखर, सागर , आसमान सब कुछ, मेरे नन्हे जीव जंतुओं से लेकर बड़े बड़े जंगली जानवर सब प्रसन्नचित घूम रहे हैं। जिन धार्मिक स्थलों पर तुम्हारी अटूट आस्था थी, और तुम झगड़े-फसाद कर मरने मारने पर उतारू थे, वे सब खाली पड़े हैं और सही भी है, क्योंकि तुम्हारे पाप ही इतने हैं कि ईश्वर को इस बार तुम्हारी मदद के लिए आना भी नहीं चाहिए। उसे अब तुम्हारे प्रति क्रूर होना ही होगा क्योंकि शायद तभी तुम स्वयं पीड़ा भोगकर कुछ सीख सकोगे, और हाँ, तुम जो यह वापिस सब कुछ सामान्य होने की बाट जोह रहे हो न, तो यह केवल भ्रम है। ऐसा शायद अब कभी नहीं होगा क्योंकि तुम्हारी दुनिया सामान्य होने का मतलब केवल तबाही और विध्वंस ही है जो तुम मचाने से बाज़ नहीं आते और इससे अधिक कुछ नहीं।

याद रखना इस बार सब कुछ वापिस वैसा होने वाला है नहीं, जैसा तुम चाह रहे हो। क्योंकि तुम्हारे बिना जल, थल और वायु सब साफ और सुरक्षित है़। बात बेशक कड़वी लगे लेकिन इस बार तुम्हें बदलना ही होगा वरना मरना होगा क्योंकि तुमने भी अब अति कर दी थी। याद रखना कि तुम केवल पृथ्वी पर कुछ समय के लिए मेहमान बनकर आते हो तो भला इसी में है कि शराफत से जियो और जीने दो और कम से कम मेरा मालिक बन कर मुझ पर राज करने की कोशिश करना बंद कर दो !

इति !

तुम्हारी प्यारी
पृथ्वी

मूल चित्र : Pexels

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