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एक डर ने उसके दादू को छीन लिया और वह यही सोच रही थी अगर वो डॉक्टर बन भी गयी तब भी डर नामक बीमारी का इलाज कैसे ढूंढ पाएगी?
मिन्नी आज बहुत उदास थी। उसके दादू की कोरोना संक्रमण वाली रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
कितना अच्छा बीत रहा था उसका लॉकडाउन, अपने फर्स्ट ईयर की परीक्षाओं के बाद वो छुट्टियां मनाने घर आई थी। दादू से उनके बचपन के किस्से सुनने में उसे बहुत मजा आ रहा था। वह सचमुच जानना चाहती थी की दादू व उनके दोस्त बिना टीवी, फ़ोन और मोबाइल के अपना वक़्त कैसे बिताते थे।
लेकिन आज सुबह ही हल्के बुखार के बाद दादाजी को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अभी अभी खबर आई है, और व्हाट्सएप्प और फ़ोन की मेहरबानी से पूरे खानदान को पता चल चुका है। दादाजी का कमरा बंद कर दिया गया है और अब मिन्नी के पूरे घर को सेनेटाइज किया जा रहा है।
मिन्नी का मन नहीं मान रहा है। उसने ठान ली है कि एक बार दादाजी से मिलना है और घर में माँ, पापा बिट्टू और श्याम भैया ये सब अच्छी तरह जानते हैं कि अगर मिन्नी ने ठान लिया है तो फिर कोई उसे रोक नही पाएगा। मिन्नी अस्पताल में खड़ी है PPE किट पहने हुए, दादाजी के कमरे के बाहर। उन्हें ठीक से सुनाई दे इसलिए ज़ोर ज़ोर से बात कर के कह रही है, “आप ठीक हो जाएंगे दादू, मुझे और बहुत से किस्से सुनने हैं।” दादू मुस्कुराकर हामी भरते हैं लेकिन उनकी आंखों में उदासी है।
दादू बहुत धीरे से बोले, “डर लग रहा है बिटिया, अब शायद ही बचूँगा।”
मिन्नी खुद को संभालते हुए फिर कहती है, “मुझे भी आपको चिढ़ाना है, आपके दोस्तों की तरह…’गुंजन तो लड़कियों का नाम होता है’ “, इस बार दादू की हंसी छूटी तो मिन्नी को तस्सली हुई । लेकिन अगले ही मिनट वह बोली, “एक मिनट दादू, आपकी रिपोर्ट कहाँ है, क्या ठीक से देखी है किसी ने?”
यह कहते ही वह पास की फाईल में रिपोर्ट ढूंढने लगी है। दादू को समझ नही आता मिन्नी को क्या हुआ है। लेकिन मिन्नी का शक सही है, गुंजन शर्मा नाम की इस रिपोर्ट में जेंडर में ‘F‘ लिखा है। वह खुशी से उछल पड़ती है, “मुझे पता था दादू , आप ठीक हों जाएंगे, ये आपकी रिपोर्ट नहीं है”, ये कहते हुए वह तेजी से लबोरेटोरी की तरफ भागती है। दादू कुछ ठीक से नहीं सुन पाये। वे उसे जाते हुए देखते हैं और मन ही मन वही आर्शीवाद देते हैं, जो वो मिन्नी को हमेशा कहते थे, “खूब पढ़ना बिटिया, जल्दी से डॉक्टर बनना, गरीबों की सेवा करना।”
एक घंटे तक अस्पताल में यहां वहां घूमने के बाद मिन्नी को दादू की सही रिपोर्ट मिल गई है, जो नेगेटिव है। उसने पापा से भी बात कर ली है उन्होंने बताया कि हम में से किसी ने रिपोर्ट नहीं देखी। फ़ोन पर दादाजी का नाम पूछकर पता कर लिया था। पिछली रिपोर्ट गुंजन शर्मा नामक किसी महिला की थी।
वो दौड़ कर लौट आई है दादू के पास उन्हें ये खुश खबरी सुनाने, घर पर भी फ़ोन कर चुकी है। लेकिन दादू की आंखे बंद हैं, चेहरे पर वही चिरपरिचित हल्की मुस्कान है। वह दो तीन बार फिर आवाज देती है लेकिन कोई हरकत नहीं। मिन्नी समझ गई उसने आने में देर कर दी है। दादाजी को दिल का दौरा पड़ा था और उसके वहां पहुँचने के शायद कुछ समय पहले ही उन्होंने अपनी आखरी सांसे लीं।
आज दादू की अंतिम विदाई के समय मिन्नी दूर खड़ी आंसू बहा रही है। दादू के कोरोना पॉजिटिव आने की खबर जितनी तेज़ी से फैली थी, ये नेगेटिव वाली खबर उतनी तेजी से लोगों तक नही पहुंची। उसने गौर से देखा दादू की अंतिम यात्रा में वही लोग हैं जो शायद तब भी आते जब वो इस संक्रमण से ग्रसित होते। दादू के आखरी शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे, ‘डर लग रहा है बेटा।’ एक डर ने उसके दादू को उससे हमेशा के लिए छीन लिया।
वह आंसू पोंछते हुए यही सोच रही थी अगर वो डॉक्टर बन भी गई तब भी डर नामक बीमारी का इलाज कैसे ढूंढ पायेगी ।
मूल चित्र : Canva
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