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आख़िर इंसाफ की सुबह आ गयी और निर्भया तुम जीत गईं!

आज की सुबह न्याय ले कर आयी और निर्भया की माँ ने अपनी बेटी की तस्वीर गले से लगाया और कहा, "आखिरकार तुम्हें इंसाफ मिल गया।" 

आज की सुबह न्याय ले कर आयी और निर्भया की माँ ने अपनी बेटी की तस्वीर गले से लगाया और कहा, “आखिरकार तुम्हें इंसाफ मिल गया।” 

हम बात कर रहे हैं निर्भया की, जिसने निर्भय होकर ज़िन्दगी की जंग हार दी थी। वो 16 दिसबंर 2012 की रात जो बहुत ही भयानक थी और किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने वाली थी, जिसको 6 दरिदों ने अंजाम दिया था।

निर्भया की मां बताती हैं, “जब निर्भया अंतिम साँसे गिन रही थी, तो उसने मुझसे कहा था कि यह ध्यान रखना कि दोषियों को ऐसी सजा हो कि इस तरह का अपराध फिर कभी न दोहराया जाए।”

आज की सुबह इंसाफ की सुबह है और दलील है कि हमेशा सच की जीत होती है। हमने ये आस छोड़ दी थी कि इंसाफ शायद अंधा और बहरा हो गया है, जिसको उस रात की वीभत्स घटना का अंजाम नहीं दिखा। हम महज ये बातें कानों से सुनते हैं और महसूस करते हैं, मगर ज़रा सोचिए जिसने यह सब झेला होगा उसकी स्तिथि कैसी होगी? हम में से एक भी उस दर्द को नहीं महसूस कर सकते। हाँ! मगर उस दर्द को महसूस करने की कोशिश कर सकते हैं।

16 दिसंबर से 29 दिसंबर 2012 तक उस माँ से पूछो के उसने जिस बेटी को जन्म दिया और पाल पोस कर इतना बड़ा किया, आज वह खत्म हो रही है और ऐसी दुर्दशा से जिसकी कल्पना करना नामुमकिन सी है। आज मैं भावनात्मक तौर पर खुश भी हूँ और दुःखी भी कि देश को समानता का पाठ पढ़ाने वाले कुछ लोग इस केस को खत्म करने की बात करते रहे। वो पुरुष थे और उनको बचाने वाले भी पुरुष!

वाह! ये कैसा समाज है? इंसानियत कहाँ मर गई? हैवानियत लोगों पर तारी हो रही है। बहरहाल मुझे खुशी है कि निर्भया के इंसाफ के लिए प्रोटेस्ट में हमने पुलिस के डंडे और लाठियों को खा कर भी अपनी उम्मीदों को नहीं छोड़ा। इंडिया गेट पर एक घमासान मचा हुआ था। हर ओर देश के नौजवान थे, जिसका मैं भी हिस्सा था, और सर्दी में पानी की बौछारों से लोगों को भिगो-भिगो कर पथराव किया गया।मगर वो दर्द व कराहना वो तकलीफ, वो मानसिक प्रहार सब के सब अब कहीं छूमतंर हो गए। इस इंसाफ की सुबह ने हमारे और देश के सारे ज़ख्मों को धो दिया।

हम सब ने उम्मीद छोड़ दी थी कि हम कभी इनकी सज़ा को देख भी पाएंगे या नहीं? मगर आज सुप्रीम कोर्ट और माननीय राष्ट्रपति जी का मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने इस वीभत्स घटना को अंजाम देने वालों पर कोई दया ज़ाहिर नहीं कि और सारी याचिकाओं को रद्द कर दिया।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने आज इस दिन के लिए खुशियों बांटी और इस दिन को ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक दिन है, निर्भया को सात साल बाद इंसाफ मिल सका, उसकी आत्मा को आज शांति मिली होगी। देश ने दुष्कर्मियों को यह बता दिया है कि अगर वह ऐसा अपराध करेंगे तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा।”

निर्भया के पिताजी ने अपनी इच्छा ज़ाहिर करते हुए बताया के यह दिन ‘न्याय दिवस’ के रूप में मनाया जाना चाहिए। वहीं निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, “हमारी बेटी इस दुनिया में नहीं है और नहीं वापस लौटेगी। हमने उसके जाने के बाद यह लड़ाई शुरू की, यह संघर्ष उसके लिए था लेकिन हम अपनी और बेटियों के लिए यह लड़ाई जारी रखेंगे। मैंने अपनी बेटी की तस्वीर गले से लगाई और कहा – आखिरकार तुम्हें इंसाफ मिल गया।”

सुनो! निर्भया तुम जीत गईं
तुम्हारे हर दर्द-ओ-ज़ख्म का खात्मा हुआ।
तुम निडर थीं, और हो।
सुनो! निर्भया तुम जीत गईं।

मूल चित्र : YouTube

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