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यूट्यूब वीडियो ‘मेरा फर्ज़ है’ अपनी चुप्पी तोड़ने के साथ, नागरिकों को ज़िम्मेदार बनाता है

#MeraFarzHai वीडियो अच्छा कैंपेन है, पर वीडियो महिलाओं के खिलाफ हिंसा को केवल सार्वजनिक क्षेत्रों में ही देखा और उस पर अपनी खामोशी तोड़ने की बात की।

#MeraFarzHai वीडियो अच्छा कैंपेन है, पर वीडियो महिलाओं के खिलाफ हिंसा को केवल सार्वजनिक क्षेत्रों में ही देखा और उस पर अपनी खामोशी तोड़ने की बात की।

#MeraFarzHai यूट्यूब वीडियो, जो 28 फरवरी 2020 को रिलीज़ किया गया, कुल दो मिनट से कुछ कम का वीडियो है। जो जेंडर हरासमेंट इन वर्किग और पब्लिक स्पेस में होते समय आस-पास के लोगों के चुप्पी तोड़ने की बात करता है। #MeraFarzHai कैंम्पेन धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर अपनी पसंद लोगों के बीच में बना रहा है। इस कैंम्पेन की सबसे खूबसूरत बात यह है कि इसको ठाने मुंबई ने अपनी प्रतिबद्धता से जारी किया।

इस वीडियों को दो भागों में देखा जा सकता है। पहले भाग में एक दफ्तर में काम करती लड़की, बस में एक महिला, पब में एक लड़की हैं – किसी न किसी बहाने से दफ्तर में बॉस लड़की के हाथ और कंधे पर हाथ फेरता है, बस में एक पुरुष जानबूझ कर पीछे से सटने की कोशिश करता है और पब में लड़का जबर्दस्ती पिलाने की कोशिश करता है। दफ्तर में लड़की, बस में महिला और पब में लड़की अपने चारों तरफ देखती है, लोग दिखते हैं पर उनकी चुप्पी के कारण वे उनके होने पर भी न होने के बराबर हैं क्योंकि सब चुप हैं। अचानक सब गायब दिखते हैं, फिर एक आवाज़ आती है, “आपकी खामोशी किसका हौसला बढ़ा रही है?”

फिर अचानक से दृश्य बदल जाता है, दफ्तर का चपरासी, बस का सहयात्री और पब में बैठी दूसरी लड़की अचानक टोकती है या दूसरे शब्दों में कहे तो फटे में टांग अड़ाती है, सर, ब्रो और इस्कूज मी की आवाज़ पीछे से आती है और बारी-बारी से तीनों कहते हैं मेरा फ़र्ज़ है। एक मुस्कान, पीड़ित होती हुई, लड़कियों के चेहरे पर आ जाती है। एक मैसेज़ आता है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा होते देखें तो तुरंत 103 पर सूचित करें। उसके बाद एक पुलिस अधिकारी आते हैं और बताते हैं कि महिला के खिलाफ हो रहीसेक्सुअल हरासमेंट के खिलाफ आवाज़ उठाए। महिला सुरक्षा मेरा फ़र्ज़ है और आपका भी। स्टॉप सेक्सुअल हरार्समेंट वेन यू सी इट

दो मिनट का पूरा वीडियो चेहरे पर एक मुस्कान देता है, तब जब आप इन विषयों पर संवेदनशील है। समाज को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी जितनी सामाजिक संस्थाओं की है उतनी ही देश के हर नागरिक की भी है। नागरिक समाज, देश या राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को सिर्फ चुनावों में वोट भर देकर मुक्त नहीं हो सकता। देश, राज्य और समाज बेहतर तभी होगा जब वहां के नागरिक मुखर, आत्मविश्वासी और अन्याय के खिलाफ लोकतांत्रिक रूप से सज़ग और जागरूक होंगे।

परंतु पूरे विडियो में एक कोना मुझे छूटा हुआ सा लगता है। पता नहीं क्यों वीडियो बनाने वाले ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को केवल सार्वजनिक क्षेत्रों में ही देखा और उस पर अपनी खामोशी तोड़ने की बात की। महिलाओं के खिलाफसेक्सुअल हिंसा का मामला तो निजी और सार्वजनिक दोनों ही दायरे में है। फिर क्या निजी दायरे में सेक्सुअल वायलेंस पर चुप्पी नहीं टूटनी चाहिए फिर चाहे करने वाला पुरुष कोई भी हो। क्योंकि यह विरोध पुरुषों के खिलाफ कम, पुरुषवादी कुठिंत मानसिकता के खिलाफ अधिक है। इस मानसिकता से पीड़ित इंसान में सुधार की गुंजाइश खोजना भी तो समाज की ही जिम्मेदारी है। समाज इससे भाग कर कौन सी समतामूलक समाज बना लेगा।

पूरे विडियो में यही एक कमी मुझे सालती है और मुझे एक बार नहीं बार-बार यह लगता है कि #MeraFarzHai जैसी मुहिम आज के सोशल मीडिया के ज़माने में निजी और सार्वजनिक दोनों ही स्पेस में सेक्सुअल हिंसा के खिलाफ न होकर किसी भी हिंसा के खिलाफ होनी चाहिए। #MeraFarzHai जैसे कैंम्पेन में समाज के हर नागरिक को जिम्मेदार होना चाहिए फिर चाहे वह अन्याय का कोई भी रूप हो। क्योंकि असल विषय तो यह है कि महिला के साथ असमानता बाहरी तौर पर तो एक तरह की लगती है पर उसमें वर्गीय, जातिय, धार्मिक और न जाने कितने ही प्रकार की विविधता है।

मूल चित्र : YouTube  

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