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नहीं बनना देवी, ना तो दिन खास चाहिए, आधी दुनिया को जीने का अहसास चाहिए, ‘दिन बराबरी वाला’ नहीं चाहते हैं हम, ‘हर दिन बराबरी का’ क्या दे पाओगे तुम?
आज फिर यूं बराबरी की बातें होंगी। ‘नारी ही दुनिया है’ मैसेज फारवर्ड होंगी।।
सुबह बिस्तर से माथा चूम जगाओगे। अगले दिन बेड पर टॉवल फेंक जाओगे।।
एक दिन मेरे लिए बनाओगे चाय नाश्ता। पूरे साल चाय के लिए मेरा देखोगे रास्ता।।
किसी के प्रेमी बन केयरिंग हो जाओगे। बस में किसी और की एडवांटेज लेने से न कतराओगे।।
कहते हो मेरी बेटी तो चांद पर जाएगी। स्टूपिड औरतें सड़क पर कार कैसे चलायेंगी।।
बराबरी की बातें तो खूब करते हो। ऑफिस में कलिग को कमतर आंकते हो।।
ठहाके लगा कहोगे मैडम सज-धज कर आतीं हैं। टीम लीडर तो त्रियाचरित्र दिखा बन जाती हैं।।
कमजोर काया को ही उसकी ताकत कहते हो। वाह! अपने हिसाब से उसका चरित्र गढ़ते हो।।
चलो, जाओ, छोड़ो! नारी सशक्तिकरण की बातें। जब ऑफिस से आए बीवी तो बस घर साफ दिखे।।
नहीं बनना देवी, ना तो दिन खास चाहिए। आधी दुनिया को जीने का अहसास चाहिए।।
‘दिन बराबरी वाला’ नहीं चाहते हैं हम। ‘हर दिन बराबरी का’ क्या दे पाओगे तुम।।
जिस दिन ये विश्वास दे पाओगे। यकीं करो वूमेंस डे न मनाओगे।।
मूल चित्र : Unsplash
क्या तुम कर पाओगे उस पावन अग्नि में स्वाहा अपने मर्द होने के अहंकार को?
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