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मैं ‘तू’ बन जाऊँ…बस इतना सा ख़्वाब है!

सुना तो होगा आपने कि इश्क़ इंसान को क्या-क्या ख्वाब दिखाता है - सही मायनो में कहें तो इश्क़ इंसान को बदल सा देता है!

सुना तो होगा आपने कि इश्क़ इंसान को क्या-क्या ख्वाब दिखाता है – सही मायनो में कहें तो इश्क़ इंसान को बदल सा देता है! 

तू कभी आसमां बन जा …
मैं तारा बन तेरे सीने पर जा चमकूं!

तू कभी बाग बन जा …
मैं मालिन बन तुझे सहेजती फिरूं !

तू कभी सागर बन जा…
मैं लहर बन तेरी बाहों में अठखेलियां करूं!

तू कभी जंगल बन जा…
मैं तुझ में भटक खुद का वजूद तलाशती रहूं!

तू कभी रेगिस्तान बन जा…
मैं प्यास बन तेरी मृगरीचिका में भटकती रहूं!

तू कभी वक्त बन जा….
मैं लम्हा बन तुझ से गुज़र कर बीत जाऊं!

तू कभी इबादत बन जा…
मैं मन्नत बन बस पूर्ण हो जाऊं!

तू कभी प्रेम बन जा…
मैं ‘तू ‘ बन फिर सदियों के लिए ‘तू ‘ ही हो जाऊं!

मूल चित्र : Canva 

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