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आटा-साटा, किसी का फायदा, किसी का घाटा

अक्सर नाकारा बेटे के माता पिता बेटे को शादी के लिए लड़की ना मिल पाने पर ये शर्त रखते हैं कि अगर आप हमें बेटी दोगे तो हम भी अपनी बेटी का ब्याह आपके बेटे से कर देंगे।

अक्सर नाकारा बेटे के माता पिता बेटे को शादी के लिए लड़की ना मिल पाने पर ये शर्त रखते हैं कि अगर आप हमें बेटी दोगे तो हम भी अपनी बेटी का ब्याह आपके बेटे से कर देंगे।

सुनयना, जैसा नाम वैसी ही बड़े बड़े नैनों वाली खूबसूरत सी लड़की! सुनयना अपनी मां के साथ हाथ बंटाने हमारे घर आती थी। उसकी मां को मेरी मम्मी कुछ घरेलू कार्यों में मदद के लिए बुला लेती थी। दो भाईयों के बाद सुनयना पैदा हुई थी, उससे छोटी और दो बहनें थीं। उसके पिता सिनेमा हॉल के बाहर पॉपकॉर्न और बैलून का ठेला लगाते थे और मां का काम होता था पॉपकॉर्न बनाना और पैक करना। वह घर से भी कुछ सामान बेच लेती थी जैसे पॉपकॉर्न, खिलौने, पेप्सी (एक प्लास्टिक के रैपर में जमी हुई शर्बत की स्टिक्स), चॉकलेट आदि।

गाड़ी जैसे-तैसे चल रही थी। दसवीं करने के बाद सुनयना की पढ़ाई छुड़वा दी गई थी क्योंकि उसकी बहनों को भी पढ़ाना था। अब सुनयना घर के काम में मां का हाथ बंटाती और मोहल्ले के एक घर में खाना बनाती व बच्चे संभालती। धीरे-धीरे उसकी शादी लायक उम्र हो गई।

समाज में लड़कियों की कमी थी तो उसके लिए गांव के ही औसत लड़कों के रिश्ते आने लगे, लेकिन उसकी मां गांव में बेटी देना नहीं चाहती थी। इसलिए किसी को हां नहीं की। उसके दो बड़े भाई थे जिन्होंने छोटी सी किराना दुकान खोल ली थी। एक दिन उसके बड़े भाई राजेश के लिए एक रिश्ता आया।

लड़की पास ही के गांव की थी। वह बेहद खूबसूरत थी, पर उनकी एक शर्त थी कि लड़की के भाई के साथ सुनयना ब्याह दी जाए। उसकी मां ने सुनयना से बिना पूछे ही हां कर दी। आनन फानन में शादी कर दी गई पर भाग्य की विडंबना देखो कि सुनयना का पति किसी दुकान में काम करता था, वह जो कमाता दारू में उड़ा देता। एक बेटी का जन्म होते ही उसके पिता और भाई ने उसे अलग कर दिया।

अब तो वह बहुत ही गैर जिम्मेदार हो गया। सारा दिन पीकर पड़ा रहता। सुनयना बेचारी सिलाई करके थोड़ा बहुत कमाती उससे वह भी छीन लेता। कुछ दिन पहले वही सुनयना मेरी दीदी को एक दुकान में डाइपर बेचती हुई दिखी। दीदी के पूछने पर वह रो पड़ी और बोली कि अब उसके पति ने किसी दूसरी महिला को अपने घर में रख लिया है और सुनयना और उसकी बेटियां नौकरानी बन कर रह गई हैं।

दीदी ने पूछा कि तेरे भाई कुछ नहीं बोलते। तो बोली कि एक बार बोला था तो मेरी भाभी घर छोड़कर चली गई थी। इसलिए अब वो कुछ नहीं बोलता।

दीदी ने उसके भाई को फोन किया और इस बारे में बोला तो वह कहने लगा क्या करें दीदी सुनयना की किस्मत ही ऐसी है, उसके लिए मैं अपना घर थोड़ी ना उजाडूंगा। इतना कहकर उसके भाई ने पल्ला झाड़ लिया। अगर भाई चाहता तो अपने ससुराल वालों के साथ थोड़ा कड़क बनकर अपने जीजा को सुधार सकता था। लेकिन खुद की पत्नी को खोने के डर से उसने ऐसा कुछ नहीं किया।

अगर वह अपने ससुराल वालों को धमकाता कि अगर आपके यहां मेरी बहन सुखी नहीं रहेगी तो मेरे घर में आपकी बेटी भी खुश नहीं रहेगी, तो झक मार के सुनयना के ससुराल वाले अपने बेटे पर दबाव बनाते या उसे सुधारते और सुनयना भी सुखी रहती। मगर स्वार्थवश राजेश ने ऐसा कुछ नहीं किया।और सुनयना को संघर्ष करने के लिए अकेला छोड़ दिया।

दोस्तों ये एक सच्ची घटना है। कई जगह अक्सर किसी नाकारा बेटे के माता-पिता बेटे को शादी के लिए लड़की ना मिल पाने पर ये शर्त रखते हैं कि अगर आप हमें बेटी दोगे तो हम भी अपनी बेटी का ब्याह आपके बेटे से कर देंगे। ऐसे माता पिता अपने बेटे कि ज़िन्दगी संवारने के लिए बेटी की ज़िन्दगी बर्बाद कर देते हैं। इसे आटा-साटा कहते हैं। ऐसे रिश्ते हर बार सफल नहीं होते, किसी एक को तो पिसना ही होता है।

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मूल चित्र : Canva

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Ekta Kashmire

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