कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

आप घर की रानी हैं तो रानी बन कर रहें, क्यूँकि, अपने लिए भी प्रेज़ेन्टेबल रहना ज़रूरी है!

जैसे पति अपने वर्कप्लेस में तैयार होकर जाते हैं, वैसे ही हमें भी अपने वर्कप्लेस में तैयार होकर रहना चाहिए, अगर आप अपने घर की रानी हैं तो दिखें भी।

जैसे पति अपने वर्कप्लेस में तैयार होकर जाते हैं, वैसे ही हमें भी अपने वर्कप्लेस में तैयार होकर रहना चाहिए, अगर आप अपने घर की रानी हैं तो दिखें भी।

तान्या ने रात से ही तैयारी कर ली थी, कल राघव का जन्मदिन था। उसने रात को ही दही-बड़े के बड़े बना लिए थे। पूरन पूरी के लिए भरावन तैयार था, चावल की खीर रेडी थी। सुबह उसने पुलाव और मिर्ची भजिए बनाए।

अभी खाने में टाइम था तो उसने घर समेट लिया और सुंदर डेकोरेशन कर ली। राघव उठे तो तान्या ने हैप्पी बर्थडे सॉन्ग गाकर गुलाब दिए। राघव को बहुत बधाई दी फिर राघव फ्रेश होने चले गए। तान्या ने फटाफट केक निकाला और बाकी सब अरेंज करने लगी। राघव बहुत ही सरल इंसान हैं। उन्होंने भगवान को हाथ जोड़ा और कहा, “इतना परेशान मत हुआ करो, अपनी सेहत का ध्यान भी रखा करो। कितनी थकी-थकी लग रही हो।”

तान्या ने कहा, “वह सब छोड़िए, चलिए आप केक काटिए।”

राघव ने कहा, “तुम भी तो तैयार हो जाओ, तब काटते हैं।”

तान्या ने कहा, “देर हो जाएगी आपको, मैं ऐसे ही ठीक हूं मुझे कहीं थोड़ी ना जाना है।”

उन लोगों ने ढेर सारे पिक्चर्स खींचे, फिर नाश्ता वगैरह करके राघव ऑफिस चले गए, तान्या अपने काम में लग गई।

कुछ देर बाद तान्या ने फोन खोला तो देखा राघव ने स्टेटस डाला है, जिसमें तान्या और राघव दोनों खड़े हैं। राघव जहां हैंडसम, स्मार्ट और तंदुरुस्त नजर आ रहे हैं। वहीं तान्या बीमार, सूखा चेहरा लिये, आँख के नीचे काले घेरे, बिखरे हुए बाल, कॉटन का अजीब सा गाउन डाले, सूखा आटा लगी हथेलियों में विचित्र दिख रही थी। उसे अचानक से लगा जैसे राघव और उसकी जोड़ी बिल्कुल मिसमैच है, जबकि हर कोई कहता था कि तान्या बहुत ही खूबसूरत है। मगर यहां पर खूबसूरती का तो कोई नामो निशान नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई केयरटेकर खड़ी हो। उसे खुद के ऊपर शर्म आ रही थी। फोटोज़ में नीचे शानदार ब्रेकफास्ट दिखाई दे रहा था। नरम दही बड़े, सुनहरे पकोड़े, पूरन पूरियां, मोती पुलाव आदि।

उसने झट राघव को फोन लगाया। राघव ने बोला, “हां मैडम बोलिए! तान्या ने कहा राघव जल्दी से फोटो क्रॉप करो और केवल अपनी फोटो ही पोस्ट करो।”

राघव ने कहा, “क्यों? मैंने तो वह सारी फोटोज़ फेसबुक में भी और सारे सोशल मीडिया में अपलोड कर दी हैं, क्या हुआ?”

उसने कहा, “डालने के पहले देख तो लिया करो कि मैं कैसी दिख रही हूं? कितनी अजीब दिख रही हूँ?”

राघव ने कहा, “अजीब नहीं! जैसी दिखती हो वैसे दिख रही हो।”

तान्या ने गुस्से में तमतमाते हुए कहा, “ऐसी दिखती हूं मैं?”

“हां! ऐसी ही तो दिखती हो, लगभग 8-9 साल हो गए।”

उसने कहा, “नहीं राघव मैं इस पिक्चर में बस अच्छी नहीं दिख रही हूं। वरना तैयार होती हूँ तो बहुत ही अच्छी दिखती। अभी सुबह-सुबह की फोटो है तो अच्छी नहीं दिख रही हूं।”

राघव ने कहा, “नहीं तान्या जब मैं शाम को भी वापस आता हूं तो तुम मुझे तब भी ऐसी ही दिखती हो। कई सालों से मैं तुमको ऐसे ही देख रहा हूं। मैंने तुमको सुबह तैयार होने कहा भी था याद है! अच्छा सुनो! मैं एक जरूरी मीटिंग के लिए निकल रहा हूं। बाद में बात करता हूं। राघव ने फोन रख दिया।”

तान्या फोन पकड़े हुए बैठ गई, उसने फोन का कैमरा ऑन किया और अपनी एक सेल्फी ली। उसको ज़ूम करके देखने लगी, उसे आश्चर्य हो रहा था कि कैसा चेहरा हो चुका है बुझा बुझा। कहां उसका गोल भरा हुआ चेहरा, बड़ी बड़ी आंखें, सुंदर नाक और गुलाब के जैसे होंठ हुआ करते थे। उसके बदल होंठ रंगहीन दिख रहे थे, लग रहा था कि एक पपड़ी निकल जाएगी। आंखों के नीचे बेहद काले घेरे थे। बाल जैसे घास का टोकरा, गाउन इतना फीका था कि उसकी डिज़ाइन तक नहीं दिख रहा था। उसको याद आया राघव कह रहे थे कि रात को भी मैं ऐसी ही दिखती हूं तो क्या मैं दिनभर ऐसे ही रहती हूँ? दूधवाला, पेपर वाला, कामवाली एसे ही देखते होंगे मुझे।

याद आया माँ भी पापा को गरम-गरम रोटी ऐसे ही सेंक के देती थी, पसीने से लतपथ, अधपके बालों को समेट कर बाँध लिया करती थी। कुछ भी नही बदला। कोई मेहमान आये तो कभी तैयार नहीं मिलती। अबाउट टर्न वाली अवस्था रहती, कभी प्रेज़ेंटेबल नहीं रहती। कोई पोस्टमैन, कुरियर, गैस सिलेंडर वाला आये तो भागो, पहले बाहर जाने लायक बनो तब जाकर पार्सल लो हाथ में या सिलेंडर वाले को पैसे दो। ये सब सोचते-सोचते तान्या का मन बहुत बेचैन हो गया, वह भागकर पड़ोसन मधु के घर गई।

मधु का पति भोजन करने घर आया था ऑफिस के कपड़ों में सजा सवरा भोजन कर रहा था। मधु कॉटन के गाउन में, बेतरतीब चोटी में नंगे पांव एक तरफ भोजन परोस रही थी दूसरी तरफ से बाई से काम करवा रही थी। उसने मधु से कहा, “तू काम निपटा ले, बाद में आती हूँ।”

घर आकर तान्या ने बेमन से नहाया और बाकी काम निपटाने लगी तभी डोर बेल बजी, सामने जोशी आंटी खड़ीं थी। एकदम टिपटॉप, करीने से पहनी हुई साड़ी, अच्छे से बाल बनाए हुए, सुंदर जूड़ा, चेहरा भी कांतिमय, एकदम स्मार्ट दिख रही थी। उसे अपनी खरीदी साड़ी दिखाने के लिए आई थी। वे बोली, “पता नहीं तान्या क्यों तुम्हारी शक्ल देख कर लग रहा है कि तुम उदास हो?”

तान्या ने कहा, “मुझे पूरे दिन घर का काम होता है। मुझे समय ही नहीं मिलता कि मैं तैयार हो पाऊं साफ-सुथरी रहूं। लगता है कि किसी से तो मिलना नहीं है फिर क्यों तैयार होना?”

आंटी ने कहा, “बेटा फिर तो पूरी जिंदगी यूं ही निकल जाएगी। काम कभी किसी के खत्म नहीं होते, खुद को अच्छा रखने से, अच्छा फील होता है। खुद की गरिमा बनी रहती है नहीं तो धीरे-धीरे हमारा महत्व और अस्तित्व खत्म होते जाता है। कोशिश करो कि सुबह से ही अच्छे साफ-सुथरे कपड़े पहन के बढ़िया कंघी करके तैयार हो जाओ। फिर निश्चिंत होकर दिनभर काम करो। फिर नहीं तो चाहे कितनी ही बढ़िया व्यंजन तैयार कर लो, कितना ही घर साफ़ सुथरा कर लो कितना ही स्वादिष्ट, सुगंधित भोजन बना लो, पर बासी कपड़ों में बुझे हुए आंखों में बिखरे बालों में परोसोगी तो वह बात नहीं होगी,  वह उत्साह नहीं होता जो होना चाहिए।”

“इसके बदले करीनेे से साफ-सुथरे कपड़े, सवरे हुए बाल और चमकदार खिला चेहरे के साथ पूरे उत्साह से अगर तुम वही व्यंजन खिलओगी, तो परिवार का हर सदस्य एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ काम पर जा सकेंगे। तुम्हारा थका उदास चेहरा देखकर तुम्हारे परिवार को क्या महसूस होता होगा? कभी सोचा? कल से एक नई शुरुआत करो ठीक है?”

तान्या को बहुत ही अच्छा लगा कि किसी ने उसको सही सलाह दी और वह इस दुविधा से निकल पाई, वरना सहेलियां दुखड़ा रो रो के फिर वही गलतियां दोहराती रहतीं।

अगले दिन वह सुबह उठकर, फ्रेश हुई, अच्छे से मुँह हाथ धोई, बालों में कंघी करी, गाउन चेंज कर सूट पहना और काम में लग गई। काम के कारण नहाना तो बाद में हो पाएगा इसलिए इस तरह से रेडी हुई।

सुबह 8:00 बजे घर के सामने आलू खरीदते हुए आँटी को देखा, वो बढ़िया सा सूट पहनकर बाल बना कर बिल्कुल चुस्त-दुरुस्त काम में लगी हुई थी, जैसे बिग बॉस में सारे सदस्य अच्छे कपड़ों में काम करते हैं। ठीक वैसे तान्या ने कहा, “आंटी आपने सही सलाह दी थी। देखिए, अब मैं घर और बाहर दोनों कंफर्टेबली काम निपटा पा रही हूं। लोगों से मिलने बात करने में झिझक नहीं हो रही। अपने आप में कॉन्फिडेंस महसूस हो रहा है। अब मैं हमेशा प्रेजेंटेबल रहूंगी।”

सखियों, हमेशा प्रेज़ेंटेबल रहना चाहिए ताकि हम कॉन्फिडेंस के साथ काम कर सकें और चाहे जो भी आए हम उन्हें अटेंड कर सकें। जैसे पति अपने वर्कप्लेस में तैयार होकर जाते हैं, वैसे ही हमें भी अपने वर्कप्लेस में तैयार होकर रहना चाहिए। अगर आप अपने घर की रानी हैं तो दिखें भी।

आप अपने घर में कैसे रहती हैं ज़रूर बताएं।

मूल चित्र : Canva 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

41 Posts | 294,334 Views
All Categories