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क्या फोन के ज़रिये की गयी चंद बातें रिश्तों को निभाने के लिए काफी हैं? कुछ नज़दीकी रिश्ते इससे ज़्यादा की उम्मीद रखते हैं! और ये ज़रूरी भी है…
कुछ कह दिया करो, कुछ सुन लिया करो, किस्से-कहानियां न सही, अपनी परेशानियां ही सही, पर कुछ तो कह दिया करो।
कुछ मुलाकातें भी ज़रूरी हैं, कभी कभी बस यूं हीं, मिल जाया करो, महीने दो महीने में न सही, साल छः महीने में मिल जाया करो।
पिछली दीवाली पर, स्मार्टफोन तो भिजवाया था तुमने। पर यह स्मार्टफोन; मेरा बच्चा तो नहीं!
हाँ! विडियो कॉलिंग भी सिखाई थी तुमने, विडियो कॉल कर के पर विडियो कॉलिंग में, तस्वीर है तुम्हारी एहसास कहाँ तुम्हारा!
कुछ कह दिया करो, कुछ सुन लिया करो कभी कभी बस यूं हीं मिल लिया करो।
मूल चित्र : Canva
A mother, reader and just started as a blogger
ऐसे ऐतबार न करो, दुनिया बड़ी बेरहम है।
डिअर ज़िन्दगी…
खुश रहना हमारे खुद के ही हाथ है
देखा है तेरी आँखों में प्यार ही प्यार बेशुमार
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