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धूप-छांव के उतार-चढ़ावों को, पार करते हुए आशारूपी दीपक हो, प्रज्वलित तेजमयी प्रकाश की लेकर आस, 2020 का खुशनुमा स्वागत हो खास!
पिछे देख और सतत आगे चल अच्छी यादों को मन में संजोए नई उम्मीदों के पंख फैलाए नव कल्पनाओं संग अटल
मन में छिपी अधूरी ख्वाहिशों को अंधेरे के घने साये से निकाल बाहर सूर्य के उजाले में करना प्रकाशमान नवस्वप्न नवीन आशाएं हो विद्यमान
भले ही राह में पग लड़खड़ाएं मगर ख्वाहिशों के सफर में उमंगों की लहरों के निरंतर दौर प्रवाहमय उत्साह सा चलता चल नित नए पथ पर यूं ही अग्रसर
जिंदगी के तमाम जोड़-घटाव धूप-छांव के उतार-चढ़ावों को पार करते हुए आशारूपी दीपक हो प्रज्वलित तेजमयी प्रकाश की लेकर आस “2020 का खुशनुमा स्वागत” हो खास
मूल चित्र : Canva
खुद को नई सी लगने लगी हूँ…हाँ, अब मैं बदल गई हूं!
नई कविता
मन भर प्रेम से मन ना भरने देना …
कण कण में बसी क्षण क्षण में रची नारी तेरी ये कहानी!
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