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प्रेगनेंसी रोकने के नए उपाय जिनकी आपको जानकारी होनी चाहिए

प्रेगनेंसी रोकने के नए उपाय हमारे देश में ज़्यादातर स्त्रियों के लिए सीमित हैं, इसलिए आज हम आपके लिए कुछ नए गर्भ निरोधक विकल्पों की जानकारी लाये हैं 

प्रेगनेंसी रोकने के नए उपाय हमारे देश में ज़्यादातर स्त्रियों के लिए सीमित हैं, इसलिए आज हम आपके लिए कुछ नए गर्भ निरोधक विकल्पों की जानकारी लाये हैं 

अनुवाद : समिधा नवीन 

क्या आप रोज़ाना पिल लेते हैं लेकिन उसे लेना पसंद नहीं करते हैं? क्या आप हर दूसरे दिन अपनी गोली लेना भूल जाते हैं और फिर गर्भवती होने की चिंता आपको सताती रहती है? यदि ऐसा है, तो अब समय आ गया है आपको गर्भ निरोधकों की समस्त नई श्रृंखला और महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले उनके प्रभाव की सम्पूर्ण जानकारी देने का।

प्रेगनेंसी रोकने के नए उपाय – गर्भ निरोधकों के कुछ नए विकल्प

अभी भी भारत में गर्भ निरोधक को व्यापक रूप से चर्चा का विषय नहीं समझा जाता। अक्सर भारतीय महिलाओं को इस सन्दर्भ में बहुत ही कम या यूँ कहें कि कोई विकल्प नहीं मिलता है। तो फिर क्यूँ ना आपको बेहतर जानकारी दी जाए ताकि आप उचित गर्भ निरोधक का चुनाव कर सकें? तो बिना अधिक कुछ कहे, एक नज़र जन्म नियंत्रण पर…

नई पीढ़ी के अंतर्गर्भाशयी उपकरण (intrauterine devices, IUD) 

आईयूडी(IUD) वे उपकरण होते हैं जिन्हें गर्भाशय में डाला जाता है। उनकी उपस्थिति गर्भाशय में गर्भावस्था के लिए प्रतिकूल वातावरण बनाती है, जिससे वे गर्भ निरोधक के असरकारीएजेंट बन जाते हैं। कॉपर-टी अधिकांश भारतीय महिलाओं में सबसे लोकप्रिय आईयूडी है।

नई पीढ़ी के आईयूडी में मौजूद हार्मोन धीरे-धीरे गर्भाशय में पहुँचते हैं। मिरेना(Mirena) एक ऐसी ही आईयूडी है और इसमें हार्मोन लेवोनोर्गेस्ट्रेल (levonorgestrel) पाया जाता है। अन्य नए जन्म नियंत्रण विधियों में से कुछ के विपरीत, मिरेना पीरियड्स को प्रभावित नहीं करता है बल्कि वास्तव में भारी रक्तस्राव को कम करता है। भारत में, इसका उपयोग अक्सर ऐसे रोगग्रस्त गर्भाशय के उपचार के लिए किया जाता है, जिसके कारण महिलाओं में उनके पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक रक्तस्त्राव होता है।

आप अपने आप से आईयूडी को अन्दर नहीं डाल सकते हैं,  इसे  केवल  डॉक्टर द्वारा की गई एक मामूली सी प्रक्रिया से ही अन्दर डाला जाता है। और सबसे अच्छी बात यह है कि एक बार अपनी जगह बनाने के बाद यह लगभग 5 साल तक काम करता है।

जन्म नियंत्रण रिंग यानिबर्थ कंट्रोल रिंग 

 यह एक नर्म, लचीली रिंग है जिसे योनि में डालना होता है और यह गोली (पिल्स) की तरह ही हार्मोन रिलीज़ करके काम करती है। लेकिन गोली के विपरीत, रिंग 3 सप्ताह के लिए प्रभावकारी होती है, इसलिए इसे प्रतिदिन बदलना नहीं पड़ता है। इसके अलावा, आप इसे स्वयं अन्दर डाल सकते हैं – क्योंकि यह किसी प्रकार की बाधा नहीं डालता है, न ही इसकी स्थिति इसके प्रभाव पर असर डालती है।

हर 3 सप्ताह में एक नई रिंग डाली जाती है और चौथा सप्ताह रिंग-फ्री रहता है ताकि पीरियड्स हो सकें लेकिन यदि आप अपने साईकल को नहीं चुनना चाहते हैं, तो अगले सप्ताह रिंग को तुरंत डाला जा सकता है। इस उपकरण के साथ रिपोर्ट की गई एक समस्या यह पायी गई है कि यह कभी-कभी बाहर खिसक जाती है। लेकिन इसे धोकर आसानी से अन्दर डाला जा सकता है या एक नयी रिंग का प्रयोग किया जा सकता है।

डेपो गर्भनिरोधक इंजेक्शन 

 प्रति दिन एक गोली लेने के बजाय, गर्भ निरोधक हार्मोन को इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। जैसे, डेपो प्रोवेरा इंजेक्शन, जिसमें मेड्रोक्सीप्रोजेस्टेरोन होता है, 150 दिनों के लिए प्रभावी है। इस जन्म नियंत्रण विधि के दौरान पीरियड्स नहीं होते हैं।

भारतीय महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी रोकने के अन्य नए उपाय…

बर्थ कंट्रोल पैच

सोचिये अगर आपको पिल खाने की बजाये पहनने को मिल जाए तो? यही है बर्थ कंट्रोल पैच। 

प्रतिदिन एक गोली लेने के बजाए यह एक छोटा, त्वचा के रंग का पैच है जिसे आप अपनी बाहों या पीठ की त्वचा पर प्रयोग कर सकते हैं और पिल्स की तरह के हार्मोन त्वचा के माध्यम से पहुँचते हैं। एक पैच एक सप्ताह तक काम करता है, इसलिए आपको इसे प्रति दिन बदलना याद नहीं रखना पड़ता।

सामान्यतया: बर्थ कन्ट्रोल पैच तीन सप्ताह तक लगातार प्रयोग किये जाते हैं और चौथे सप्ताह में एक ब्रेक दिया जाता है ताकि पीरियड्स हो सकें। लेकिन अगर आप अपने पीरियड्स नहीं चाहते हैं तो आप पैच प्रयोग करते रहें।

क्या इन पैच का महिलाओं के स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ता है?

एस्ट्रोजेन होने के कारण जो दुष्प्रभाव पिल्स के हो सकते हैं, वही इस के भी हो सकते हैं, हालाँकि इनके उपयोग के साथ दिल का दौरा या स्ट्रोक का कोई खतरा नहीं बताया गया है।

जन्म नियंत्रण प्रत्यारोपण यानि बर्थकंट्रोल इम्प्लांट 

बर्थकंट्रोल इम्प्लांट आशाजनक परिणामों के साथ एक और नई विधि है। धातु का एक छोटा टुकड़ा, जिसमें प्रोजेस्ट्रोन होता है, सर्जरी द्वारा बांह में डाला जाता है, जहां से यह धीरे-धीरे हार्मोन छोड़ता है ताकि यह गर्भ निरोधक के प्रभाव को बढ़ा सके।

इंप्लांट तीन साल तक काम करता है जिसके बाद उसे बदलना पड़ता है। इसके कारण मामूली रक्तस्राव हो सकता है, और इसका उपयोग करने वाली कुछ महिलाओं को पीरियड्स नहीं होते है। इसके अलावा, यह डिवाइस एस्ट्रोजन से होने वाले सभी दुष्प्रभावों से बचने में मदद करता है क्योंकि इसमें केवल प्रोजेस्टेरोन होता है।

पैच और इम्प्लांट दोनों ही भारतीय बाजार में अभी तक प्रचलन में नहीं हैं, हो सकता है भविष्य में इनमें से कोई प्रचलन में  आ जाए।

लंबे समय तक या स्थायी जन्म नियंत्रण आमतौर पर फैलोपियन ट्यूबों, को बंद करके किया जाता है। इसी तरह की एक और नई विधि में डॉक्टर द्वारा एक छोटी स्प्रिंग-जैसी डिवाइस कोफैलोपियन ट्यूब में डालने की प्रक्रिया शामिल है। जन्म नियंत्रण की यह विधि ट्यूबल लिगेशन की तरह काम करती है और यह गर्भ निरोधक का एक विश्वसनीय तरीका है जो किसी भी तरह से पीरियड्स को प्रभावित नहीं करता क्योंकि इसमें कोई हार्मोन नहीं होते।

अब जानिए पुरुष गर्भ निरोधकों के बारे में

पुरुष के लिए गोली अभी भी एक कल्पना जैसी लगती है। हालाँकि यह धारणा वर्षों से चली आ रही है। बिना कामेच्छा के शुक्राणु उत्पादन को कम करने पर शोधकर्ताओं शोध करते आ रहे हैं , किन्तु पुरुष नसबंदी या वासेक्टोमी अब तक का एकमात्र विश्वसनीय साधन लगता है (कंडोम के अलावा)।

सही गर्भनिरोधक चुनना

सही जन्म नियंत्रण विधि का चुनाव करना बहुत सारे कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि आपकी आयु, जीवन शैली और आपकी ज़रूरत। क्या आप सिर्फ गर्भावस्था को स्थगित करने की कोशिश कर रहे हैं, बच्चों के बीच अंतर रखना चाह रहे हैं या आपने अपने परिवार को पहले ही पूरा कर लिया है?

एक नवयुवती के लिए, जो निकट भविष्य में परिवार बढ़ाना नहीं चाहती, आमतौर पर गोली को सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। दुर्भाग्य से, गोली के सभी नए विकल्प भारत में स्वतंत्र रूप से या तो उपलब्ध नहीं हैं और या वे उपलब्ध हैं तो महंगे हैं। बेहतर है, अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से इन विकल्पों पर बात करें।

यदि आप एक नर्सिंग मां (आपका बच्चा दूध पीता हो) हैं तो गोली लेना एक सही विकल्प नहीं है। स्तनपान कराना गर्भ निरोधक प्रभाव को बढ़ाता है, किन्तु यह जन्म नियंत्रण के लिए पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है। ऐसे में डेपो प्रोवेरा इंजेक्शन इस स्तर पर एक अच्छा समाधान है और इसे बच्चों में अंतर रखने के लिए भी प्रभावी रूप से प्रयोग  किया जा सकता है। आईयूडी भी (हार्मोनयुक्त या बिना हार्मोन के), अधिक  सुरक्षित और प्रभावी हैं।

इस विषय पर खुल कर  बात नहीं किए जाने के कारण भी भारत में गर्भ निरोधक के बारे में बहुत सी भ्रान्तियाँ हैं, जो भारतीय महिलाओं की समस्याओं को बढ़ाती हैं। इसीलिये यहाँ प्रेगनेंसी रोकने के नए उपायों पर चर्चा की गई है ताकि आप जान सकें कि आपके लिए क्या सही है।

‘क्या तुम जानती हो’ के इस वीडियो में पूजा से जानिए कि प्रेगनेंसी रोकने के क्या है उपाय,

मूल चित्र : Canva 

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Dr. Lakshmi Ananth

Dr. Lakshmi Ananth is a doctor and a writer who wields both scalpel and pen with equal ease. She is also a cynic with a weakness for coffee, crossword and crochet. read more...

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