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एक संकल्प नव वर्ष के लिए – जब नर और नारी दोनों मिल कर, सृष्टि की रचना कर सकते हैं, क्यूँ नहीं दोनों मिल कर इस धरा को, राक्षस विहीन कर सकते हैं?
नववर्ष की पहली सुबह में, आप सबका करती हूँ स्वागत। एक संकल्प ले हम सभी, करें न किसी के मन को आहत।
क्रोध से बढ़ता है क्रोध, चाहत से बढ़ती है चाहत। प्यार बाँटें, प्यार मिलेगा, इसमें लगे ना कोई लागत।
संकल्पों की इस श्रंखला में, एक संकल्प हम मिल कर लें। न होने देंगे अपमान नारी का, इसका दृढ़ निश्चय कर लें।
कुदृष्टि डालने से पहले बस, हर पुरुष ये कर ले ध्यान, मेरी बेटी, बहन और माँ, क्या सह सकेंगी ये अपमान?
जब नर और नारी दोनों मिल कर, सृष्टि की रचना कर सकते हैं। क्यूँ नहीं दोनों मिल कर इस धरा को, राक्षस विहीन कर सकते हैं?
अस्तित्व नर का है तभी तक मान लें इस बात को सब, जब तक नारी है सुरक्षित अब न जागे तो जागोगे कब।
याद रहे ए नर तुझको, जो तूने लाँघी मर्यादा। सृष्टि खत्म कर देगी नारी, क्या कहूं इससे ज़्यादा!
और संकल्प लो न लो, नारी सम्मान का कर लो स्वागत बीत न जाए ये वर्ष भी, बस व्यर्थ में यूँ ही भागत भागत।
मूल चित्र : Canva
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's
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