कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

नाराज़ हूँ, दुःखी हूँ क्यूंकि मैं शर्मसार हूँ बेटियों के पैदा होने पर

आज सुबह हुई इस खबर से कि उन्नाव की पीड़िता इस दुनिया से चली गयी और जाते-जाते कह गयी, "मैं जीना चाहती हूँ और उन दरिंदो को फांसी से लटकते देखना चाहती हूँ।"

आज सुबह हुई इस खबर से कि उन्नाव की पीड़िता इस दुनिया से चली गयी और जाते-जाते कह गयी, “मैं जीना चाहती हूँ और उन दरिंदो को फांसी से लटकते देखना चाहती हूँ।”

ऐसा होगा नहीं ये हम भी जानते हैं, आप भी, और शायद वो भी।

अब तक के घटनाक्रम को देखें तो –

अखिलेश यादव जी धरने पर बैठे हैं। कितने दुःखी, कितने मर्माहत। बेचारे ५ साल से ज़्यादा रहे सत्ता में, लेकिन क्या करें वक़्त नहीं मिला। और थोड़ा वक़्त निकाल के डाटा देखें तो हर दिन बलात्कार होते हैं, तो अमूमन अखिलेश जी के सत्ताधरी होने के दौरान भी हुए होंगे, लेकिन शायद इनका 56 इंच का सीना नहीं था। वो बात अलग है, जीना है। वो राम को घर दिलाने में इतने मसरूफ हुए कि कब सीता, राधा हर कर भस्म कर दी गयी उन्हें पता ही नहीं चला।

प्रियंका वाड्रा गाँधी सुबह-सुबह चली गयी उन्नाव। आखिर औरत हैं, दर्द को बखूबी समझती हैं। उस बेबस माँ का हाथ पकड़ कर बात की, ढाढ़स बंधाया और सरकार को लताड़ा। लताड़ना भी चाहिए। बस शायद दिल्ली की सर्दी में उन्हें ७ साल पहले का दिसंबर भूल गया, जब उनकी ही पार्टी की शीला दीक्षित ने निर्भया कांड में विरोध करने वालों पर पानी के फवारे यानि वाटर कैनन चलवाये थे। निर्भया कांड से ज़्यादा ओपन एंड शट केस नहीं है, लेकिन उन गुनहगारों को हम सब मिल कर अपनी गाढ़े पसीने की कमाई से भरे टैक्स से रोटियां खिलाते रहे।

योगी जी को तो मतलब क्या ही कहें! उत्तर प्रदेश में न जाने कितने लोग बस यही सोच कर खुश हैं कि केंद्र में मोदी, प्रदेश में योगी, वाह! और कुछ तो चाहिए ही नहीं। नौकरी, स्वास्थय, सामान्य जीवन – ये सब बाद में। जी हाँ, सचमुच बाद में, क्योंकि योगी जी की कृपा तो मरने के बाद ही मिलेगी।

तो बेटी का बलात्कार हुआ। पहले केस नहीं दर्ज हुआ। फिर हुआ, तो दोषी बेल पर छूट गए। और फिर तो यही होना था। दरिंदों ने बेखौफ हो कर कानून को धता बता, वो किया जो हैवानियत की सारी सीमाएं लाँघ गया।एक किलोमीटर तक जलते शरीर से वो लड़की सड़क पर मदद की गुहार लगाती रही और हम सब – हम सब सुन्न और शव भाँती देखते और सुनते रहे। फिर आनन फानन मे उसे दिल्ली ले आया गया, ये दिखाने कि कितनी फ़िक्र है बेटी की। आखिर “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारों के साथ इतना तो कर ही सकते हैं ना।

बिलकुल उसी तरह जैसे निर्भया को बचाने सिंगापुर ले गए। दोनों ही केस में रसूखवाले जानते थे कि बेटी बचेगी नहीं, पर लाखों बेटीयों की आँख में धूल तो डल जाएगी कि ‘ख्याल है हमें’, बेटी का बलात्कार हो, पर बेटी बचाने की कोशिश पूरी!

उन्नाओ केस में बेल की खासियत यह थी कि न तो अखिलेश यादव, न प्रिंयका वाड्रा गाँधी, न ही माननीय योगी या फिर सबकी चौकीदारी में बैठे तमाम माननीय नेता, किसी को भी ये बात न गलत लगी, न किसी ने ऐतराज़ जताया। बलात्कारियों को बेल पर छोड़ने वाले जज से कोई पूछो कि अगर इंसानियत है, तो बताएं क्या सोच कर या किसके दबाव में छोड़ा उनको?

सालों से कमज़ोर कानून व्यवस्था का भरपूर फायदा सबसे ज्यादा दबंग और रसूखवालों ने ही उठाया है। ४०% सत्ता के भीतर वो लोग बैठे हैं जिन पर कभी न कभी रेप का आरोप लगा है, या इस किस्म के गुनाह के दोषीयों के संरक्षक रहे हैं।

इन सबके बीच हमारी मेनका गाँधी जी को भूल गयी और फेसबुक तथा समाज के वो तमाम शांतिप्रिय लोग, जो हैदराबाद पुलिस के एन्काउंटर को गलत बता रहे थे। धन्य हो! आप लोगों की मानवता को सलाम है। बस एक सवाल…खुद की माँ, बहन, बीवी, बेटी के बलात्कारी को जेल में रोटी खिलाओगे? ज़रा आँख बंद करो और अपनी बेटी को सड़क पर गिद्धों के बीच मांस के लोथड़े सा देखो फिर मानवता की परिभाषा में बताना, कितने साल की जेल होनी चाहिए?

और इन सबके बीच शाम को दिल्ली में किसी महिला पर केमिकल डालने की वारदात हुई है। शायद समाचार चैनल एसिड को केमिकल कहने लगे हैं, लेकिन क्या जलन भी कम होने लगी होगी?

मन में व्यथा और पीड़ा ने हताशा को जगह दी थी किन्तु आज शायद सुन्न हो गयी हूँ।

घृणा है कि इस समाज का हिस्सा हूँ। दुखी हूँ कि उनको अपना विश्वासंत उसको दिया जो कभी कुछ नहीं करेंगे।

शर्मसार हूँ कि बेटियां पैदा हो रही हैं, और हम उन्हें सुरक्षा देने में असमर्थ हैं।

नारी – बचो जब तक बच सकती हो!

#nirjhramusings

मूल चित्र : Unsplash 

About the Author

Sarita Nirjhra

Founder KalaManthan "An Art Platform" An Equalist. Proud woman. Love to dwell upon the layers within one statement. Poetess || Writer || Entrepreneur read more...

22 Posts | 116,163 Views
All Categories