कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
कैसे ढूंढें ऐसा काम जो रखे ख्याल आपके कौशल और सपनों का? जुड़िये इस special session पर आज 1.45 को!
बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़ा करने से, उनके बारे में बुरे, गलत तरीके से बोलने से बनती बात भी बिगड़ सकती है और इसका असर पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है।
छोटी सी पीहू विधि के पास आई और बोली, “मम्मी, आप मुझे सुंदर बनाकर क्यों नहीं रखते? आपको तो अच्छे से बाल बनाने नहीं आते और ना ही कोई स्टाइलिश ड्रेस, ना ही कोई एसेसरीज़ दिलाते हो। आप मुझे कितना गन्दा रखते हो, बाकी बच्चे कितनी अच्छी-अच्छी ड्रेस पहनते हैं। आप तो गंदी मम्मी हो मेरी, मुझे आपसे बात नहीं करनी।”
“क्या हुआ लाड़ो? इतना गुस्सा क्यों आ रहा है मेरी पीहू को? माँ से कोई गलती हो गई है क्या?” विधि ने पीहू से बड़े प्यार से पूछा।
“आपको कुछ नहीं आता”, पीहू ने गुस्से में फिर कहा।
“अच्छा ठीक है, माना मुझे कुछ नहीं आता। लेकिन तुम्हें ये सब कैसे पता चला।”
पीहू बोली, “दादी कह रही थीं, तुम्हारी माँ को तो कुछ नहीं आता। ना तो तुम्हें ढंग से तैयार करती है, ना ही कोई स्टाइलिश बाल बनाती है। ना ही कोई ढंग की सब्जी बनानी आती है, ना ही प्रेस करनी आती है, ना ही कोई काम करना आता है। तुम्हारी माँ तो बस रोज़ तुम्हें एक यही फ्रॉक पहना देती है। और बस रोज़ एक ही पोनीटेल बना देती है। और खाना तो बिल्कुल बनाना नहीं आता। रोज़ आलू ही बना देती है। मैं तो बोर हो गई हूँ आलू खा खाकर। कुछ तो नया बनाना सीख ले।”
“अच्छा तो यह बात है। दादी ने कहा है आपसे यह सब।”
“हाँ माँ, दादी बोल रही थीं कि अपनी माँ को मत बताना। लेकिन मैंने तो आपसे कह दिया, अब दादी मुझे बहुत गुस्सा करेगी”, पीहू ने रोते हुए कहा।
“पीहू, तुम्हें दादी कुछ नहीं कहेंगी। मैं दादी से नहीं कहूंगी कि पीहू ने मुझे सब बता दिया। तुम जाओ बाहर जाकर अपनी दोस्त पिया के साथ खेलो। बाय बेटा।”
फिर विधि सोचने लगी कि माँजी को मेरी बात बुरी लगी है तो वो सीधे मुझसे भी बोल सकती थीं। पीहू को कहने से उन्हें क्या मिलेगा? किस तरह से स्टाइलिश बनाऊं अपनी इस बच्ची को? धीरे-धीरे अपने आप सीख जाएगी। बच्चों का उनकी उम्र के अनुसार ही तो मेकअप किया जाता है या छोटे बच्चे को भारी-भरकम गहने पहना दूँ, कपड़े पहना दूँ। आज के समय में बच्चों को स्टाइल में रखना है तो माँ को भी स्टाइलिश बनना पड़ेगा। लोक-दिखावा करना आज कल फैशन बन गया है, और इन सब के बीच मेरे और माँजी के आपसी रिश्तों में ही कड़वाहट आ जाएगी।
काश, हमारे बड़े-बुजुर्ग अपनी बातें सीधे अपनी बहुओं से कहें। पोते-पोतियों के सामने अपने रिश्तों को तार-तार ना करें। इसका सीधा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।
यदि आपका तालमेल अपनी बहु से ना बने तो आपस में बात करें, उसका कोई-कोई ना कोई हल निकल जाएगा। लेकिन बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़ा करने से, उनके बारे में बुरे, गलत तरीके से बोलने से बनती बात भी बिगड़ सकती है। और इससे होने वाले परिणामों का असर पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है।
आपका क्या कहना है मित्रों मेरे विचारों के बारे में? मुझे जरूर बताएं। आपके द्वारा किए गए कमेंट का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा।
मूल चित्र : Canva
परिवार से हैं हम, हम से है परिवार!
तन्हाइयां अच्छी लगती हैं मुझे…सच! कितना सुकून होता है इन में!
कभी-कभी मन होता है कि खुद के भी शौक पूरे करूँ…
आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा…बिल्कुल नहीं !
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!