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आप खुद सोचें, क्यों सबसे बड़ा गुनहगार है बेटी को पराया कहने वाला

पूरे मोहल्ले की नजरें झुकी थीं क्योंकि तकरीबन सभी का मानना था कि बेटियां शादी के बाद पराई हो जाती हैं, और अब कोई पुलिस में जाने की बात नहीं कर पा रहा था। 

पूरे मोहल्ले की नजरें झुकी थीं क्योंकि तकरीबन सभी का मानना था कि बेटियां शादी के बाद पराई हो जाती हैं, और अब कोई पुलिस में जाने की बात नहीं कर पा रहा था। 

सारे मोहल्ले में रोने, चीख चिल्लाहटों की आवाज़ सुनाई दे रही थी। राम और बिमला का करुण रुदन सुनकर पत्थर दिल आंखें भी नम थीं। राम और बिमला का बेटा किशोर भी ज़ोर ज़ोर से रोते हुए दीवार पर अपना सिर पटक रहा था। रोते भी क्यों ना, उनकी इकलौती बेटी सरस्वती की मौत की खबर आई थी उनके पास सुबह सुबह।

उनके दामाद नरेश ने उन्हें फोन पर बताया कि खाना बनाते हुए सरस्वती की साड़ी के पल्लू ने आग पकड़ ली थी और जब तक सब के कानों में सरस्वती की चीख पुकार पहुंची, आग ज़्यादा भड़क गई थी। वो लोग उसे हॉस्पिटल भी लेकर गए लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

बिमला तो रोते हुए दो बार बेहोश भी हो चुकी थी और होश में आते ही चिल्लाने लगती थी कि ‘हाय मेरी बेटी, कितना तड़प तड़प कर मरी। कैसे जल्लाद लोग हैं, दहेज़ के लालच में मेरी बेटी को मार डाला।’

सारा पड़ोस उनके दुःख में दुखी था। सब इकट्ठे होकर सरस्वती की ससुराल जाने वाले थे और सबने पक्का सोच लिया था कि वहां जाकर पुलिस कंप्लेंट करा कर इन दहेज लोभियों को सज़ा दिलवाएंगे ताकि सरस्वती को इंसाफ मिल जाए और आगे से ऐसा करने वालों के अंदर डर बैठ जाए और उनकी बेटियां सुरक्षित रह सकें।

तभी सरस्वती की एक बचपन की सहेली नीता उसकी मौत की खबर सुनकर रोती हुई आ गई। वो पड़ोस में ही रहती थी और सरस्वती की सुख-दुःख की साथी थी। उसने भी सुना कि सरस्वती के माता-पिता पुलिस में कंप्लेंट करवाने की सोच रहे हैं, तो वो रोते हुए उनसे बोली, “बिमला काकी और राम काका आप लोग बहुत अच्छा कर रहे हैं। ऐसे दुष्ट लोगों को जेल में ही होना चाहिए। लेकिन आप अभी भी कुछ गुनहगारों को छोड़ रहे हैं। आप को अपने ख़िलाफ़ भी कंप्लेंट करवानी चाहिए क्योंकि आप भी मेरी सरू की मौत के जिम्मेदार हैं।”

“जब भी वो बेचारी आप लोगों को बताती थी कि दहेज के लिए उसकी ससुराल वाले उसको मारते हैं इसलिए आप लोग उसे मायके वापिस ले आओ, तब आप कहते थे कि हमने तेरी शादी कर दी है, अब तू जाने तेरी किस्मत। फिर अब क्यों रो कर ड्रामा कर रहे हैं। जब जन्म देने वाले अपने नहीं बन सके, तो गैरों से क्या उम्मीद करना। अच्छा हुआ मेरी सरु मर गई। रोज़ की तकलीफ़ और अपनों के बेगाना बनने से तो आज़ाद हो गई वो।”

ये सब बोलकर नीता फूट-फूट कर रो पड़ी और पूरे मोहल्ले की नजरें झुकी थीं क्योंकि तकरीबन सभी का मानना था कि बेटियां शादी के बाद पराई हो जाती हैं। अब कोई पुलिस में जाने की बात नहीं कर पा रहा था क्योंकि नीता ने आज सबको आइना दिखा दिया था।

मूल चित्र : Canva 

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