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वो पहली बार जब हम मिले – यादें उस हसीन मुलाकात की!

पहली ही मुलाकात के बाद रिया के दिल में राहुल के लिये और भी इज्ज़त बढ़ गई, वहां से जाने के बाद उसे अब बस राहुल के हाँ करने का इंतजार था।

पहली ही मुलाकात के बाद रिया के दिल में राहुल के लिये और भी इज्ज़त बढ़ गई, वहां से जाने के बाद उसे अब बस राहुल के हाँ करने का इंतजार था।

रिया, “आ गयीं तुम कुकिंग क्लास से।”

“हाँ माँ, लेकिन अब मुझे देर हो रही है कम्पयूटर क्लास भी तो जाना है।”

“वो सब तो ठीक है बेटा, पर अब चार दिन के लिए तुझे अपनी क्लास से छुट्टी लेनी होगी।”

“वो क्यों माँ?”

“क्योंकि, तेरे पापा, तू और जया कल सुबह मैसूर जा रहे हो।”

“मैसूर वो क्यों? और आप क्यों नहीं आ रहे हैं?

“मैं नहीं आ रही हूँ,  क्योंकि तुम तो जानती हो ना अभय के एग्ज़ाम्स चल रहे हैं।”

“माँ, तो हम सब बाद में चले जाते।”

“बाद में नहीं, अभी जाना होगा। तेरे पापा ने टिकट भी करा लिए हैं।अब ये सब बात छोड़ और मेरी बात ध्यान से सुन, कल जो तेरे लिए दो कुर्ती लाई थी, वो और ये ले। यह साड़ी भी पैक कर लेना।”

“माँ आप क्या बोल रही हो? कुछ समझ नहीं आ रहा। जब आप साथ नहीं आ रहे हो तो आपकी साड़ी क्यों रखनी है। माँ आप पहेलियाँ मत बुझाओ, साफ-साफ बताओ क्या बात है?”

“बेटा, तुझे मैसूर लड़का देखने जाना है।”

“लड़का देखने? माँ अभी तो मैंने फस्ट ईयर के एग्ज़ाम्स दिये हैं। मैं आगे पढ़ना चाहती हूँ, मैं इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहती।”

“मैं जानती हूँ पर शादी कौन करा रहा है तेरी? सिर्फ लड़का देख ले। पसंद आया तो आगे बात करेंगे। सगाई हो जाने दे, शादी पढ़ाई पूरी करने के बाद करेंगे। एक बार सगाई हो जायेगी तो तेरे पापा के सर से भी बोझ हल्का हो जायेगा।”

“अच्छा माँ, तो अब मैं आपके लिए बोझ हूँ? पिछले तीन महीनो में चार-पांच रिश्ते आ गये हैं मेरे लिये। हर किसी के सामने शो-पीस की तरह पेश किया जाता है मुझे, और फिर वे लोग मना कर देते हैं। मैं नहीं जानती मुझमें क्या कमी है? यह बात अलग है कि मैं आज तक किसी लड़के से मिली नहीं। लड़के से मिलने से पहले उसके घरवाले ही मुझे रिजेक्ट कर देते हैं, तो लड़के को कैसे पसंद आऊँगी? और, आपसे मैंने पहले भी कहा है कि आप और पापा मेरे लिये जिसे पसंद करोगे मुझे मंजूर है। पर माँ फिलहाल मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है।”

बेटा, “मै जानती हूँ कि तू हमारी पसंद पर कभी सवाल नहीं उठायेगी, पर लड़का तुझसे मिलना चाहता है, और तेरे पापा ने उन्हें हाँ भी कर दी है और उनकी मर्जी के खिलाफ जाऊं, इतनी मुझमें हिम्मत नहीं।”

“ठीक है माँ, जैसी आपकी मर्ज़ी पर आप मुझसे वादा करो कि इस बार लड़के ने रिजेक्ट किया तो पढ़ाई पूरी होने तक आप मेरा साथ दोगे। और पापा से बात करोगे कि अब दो साल तक और कोई रिश्ता नहीं।”

“बेटा, मैं हमेशा तेरे साथ हूँ। पर अब तू भी जया कि तरह थोड़ी मोर्डन हो जा, फिर किसी की क्या मजाल कि तुझे रिजेक्ट करें। तेरे जैसी सीधी-साधी लड़कियां आजकल के लड़कों को पसंद नहीं आतीं।”

माँ की बात मान रिया मैसूर जाने के लिए तैयार हो गई। लेकिन ना ही वो इतनी जल्दी शादी चाहती थी, ना ही रिजेक्शन फेस करना चाहती थी। हर लड़की की तरह उसके भी अपने सपने थे। उसके भी अपने सपनों का राजकुमार था। पर वह नहीं जानती थी कि जिस लड़के से वो मिलने जा रही है, वह कैसा होगा? यह उसकी पहली मुलाकात थी, इसके पहले ना ही कभी किसी लड़के से वो मिली, ना ही कभी बात की, क्यूंकि उसके पापा का स्वभाव बहुत स्ट्रिक्ट था। वह यह भी जानती थी कि अगर लड़के ने हाँ कर दी तो उसके पास ना करने की कोई वजह नहीं बचेगी, चाहे उसे लड़का पसंद आये या ना आये।

अगले दिन शाम ५ बजे वो पापा और छोटी बहन जया के साथ मैसूर पहूँची। पापा ने उसे तैयार होकर साड़ी पहनने को कहा। जया छोटी ज़रूर थी, पर  बिंदास थी और स्टाइल के मामले में वह रिया से चार कदम आगे थी। इससे पहले की रिया साड़ी के लिए हाँ करती उसने पापा से कहा, “लेकिन पापा हमने साड़ी तो ली ही नहीं! लगता हैं मम्मी साड़ी रखना भूल गईं। पापा, दीदी साड़ी से ज़्यादा कुर्ती मे सुदंर दिखती है।

पापा ने कहा, “ठीक है, तू उसे अपने जैसे तैयार कर ले।”

जया बार-बार रिया को समझा रही थी, “तू अपना यह बहनजी टाईप लुक सुधार ले वरना इतनी सुंदर होते हुए भी कोई तुझे पसंद नहीं करेगा और राहुल, जिसे तू आज मिलने जा रही है, उसे तो मैंने अभी कुछ महीनों पहले एक शादी में देखा था। हीरो है हिरो! तेरी और मेरी उम्र में एक साल का फर्क है, अगर इस बार तेरा नबंर नहीं लगा ना, तो मम्मी से कहूंगी मेरी बात चला ले!”

जया की बात सुन रिया के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान छा गई, “ठीक है ना, फिर मेरी जगह तू ही चली जा। मुझे तो वैसे भी इन सब बातों मे कोई रुचि नहीं है।”

“मज़ाक नहीं कर रही हूँ, इसलिए बोल रही हूँँ अच्छे से तैयार हो जा।”

“जया, मैं जैसी हूँ, मुझे वैसी ही रहने दे। मैं किसी को गलतफहमी में नहीं रखना चाहती। आज तो तुम मुझे तैयार कर लोगी, लेकिन कल अगर मेरी सगाई इस लड़के के साथ हो जाये, तो रोज़-रोज़ कौन मुझे तैयार करेगा?”

“अरे! डियर तू चिंता क्यों करती है? राहुल का एक छोटा भाई भी है, मैं उससे सेटिंग कर लूंगी।”

जया जितनी खुले विचारों की थी, उतनी ही खुशनुमा, और रिया उसकी पूरी उल्टी। जया की ऐसी पर्सनॅलिटी की वजह से कोई भी उससे जल्दी आकर्षित हो जाता।

रिया तैयार हुई और शाम को ७-८ बजे लड़के वालों के यहाँ पहुंचे। लड़के के घरवालों की नज़र में तो रिया पहले से ही थी और उन्हें रिया की सादगी भी भा गई। लेकिन फैसला तो राहुल के हाथ में था। कुछ सवाल-जवाब कर उन्होंने रिया और राहुल को अकेले छोड़ दिया।

राहुल पलंग के एक कोने पर पैर पसारे बैठा था। रिया दूसरी ओर नज़रें झुकाए बैठी थी।

राहुल ने उससे कुछ सवाल पूछे, रिया ने सर हिला कर उनके जवाब दिए। वह एक नज़र उठाकर राहुल को देखना चाहती थी, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई।

“रिया, आप कुछ पूछना चाहोगी मुझसे, मेरे बारे मे!”

रिया ने सिर हिलाकर ना कर दी।

“कुछ बोलोगी भी या यूँ ही सिर हिलाकर हाँ-ना करोगी।”

रिया ने एक झलक राहुल की तरफ नज़र उठाकर देखा। राहुल की सादगी और बात करने के तरिके से उसे पहली ही नज़र मे राहुल पसंद आ गया था। पर अब उसे डर था कि इस बार अगर राहुल ने उसे रिजेक्ट कर दिया तो, उसने तय कर लिया वह आजीवन कुंंवारी रह जायेगी, पर किसी और से शादी नहीं करेगी।

राहुल ने फिर से पूछा, “आप कुछ पूछना चाहती हो?”

अब रिया ने हिम्मत कर पूछ ही लिया, “क्या मैं आपको पसंद हूँ। मेरा मतलब है मैं आपकी तरफ से हाँ समझूँ या ना?”

“इतना जल्दी यह तय करना मेरे लिये बहुत मुश्किल होगा कि तुम मुझे पसंद हो या नहीं। पर रही हाँ या ना की बात तो मैं इतना ही कहना चाहुँगा कि मेरे लिए किसी भी लड़की की इज्ज़त से बढ़कर कुछ नहीं है। तुम या तुम्हारी जगह कोई भी लड़की होती, तो मैं एक बार देखने के बाद, यहां तक बुलाने के बाद, कभी मना नहीं करता। एक लड़की पर और उसके परिवार पर रिजेक्शन का क्या असर होता है, यह मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ। इसिलिए मैं इस तरह से तुम से मिलना नहीं चाहता था, पर घरवालों के दबाव में आकर मुझे हाँ करना पड़ा।”

अब तो रिया के दिल में राहुल के लिये और भी इज्ज़त बढ़ गई। वहां से जाने के बाद उसे अब बस राहुल के हाँ करने का इंतजार था। इस एक छोटी सी मुलाकात के बाद उसका पूरा जीवन ही बदल गया, उसे तो अपने सपनों का राजकुमार मिल गया।

पूरे सफर मे राहुल के बारे मे सोचती रही। जबकि वह अच्छे से जानती थी कि उसकी हाँ या ना कोई मायने नहीं रखती, पर उसे राहुल ने विश्वास दिला ही दिया था कि वह मना नहीं करेगा। आज वह राहुल के साथ एक सफल शादीशुदा ज़िंदगी जी रही है। जितना वह समझती थी, राहुल उससे भी कई गुणा ज्यादा अच्छा इंसान है।

यह कहानी २०-२२ साल पुरानी है, जब कभी कोई लड़का किसी लड़की का रिश्ता ठुकराता, तो लड़कियों के लिए रिश्ते आना मुश्किल हो जाता था।

यह है रिया की पहली मुलाकात की कहानी। तो कैसी थी आपकी पहली मुलाकात? शेयर करें हमारे साथ आपकी पहली मुलाकात का किस्सा।

मूल चित्र : Canva

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