कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

कण कण में बसी क्षण क्षण में रची नारी तेरी ये कहानी!

बचपन बीता सकुचा सिमटा, यौवन आया नई आस लिए, आयी है पार झरोखों के, मन में स्वतंत्र उल्लास लिए नारी की विषम कहानी है।

बचपन बीता सकुचा सिमटा, यौवन आया नई आस लिए, आयी है पार झरोखों के, मन में स्वतंत्र उल्लास लिए नारी की विषम कहानी है।

कण कण में बसी क्षण क्षण में रची,
ये रंग बदलती रवानी है।
वो जिसको कह भी न पाई कभी,
नारी की विषम कहानी है।

बचपन बीता सकुचा सिमटा,
यौवन आया नई आस लिए।
आयी है पार झरोखों के,
मन में स्वतंत्र उल्लास लिए।

वैजन्ती तेजस्वी जननी,
जग की तुम हो दीपशिखा।
शोषण अत्याचार नहीं है,
अब तेरी जीवन रेखा।

स्वछंद धरा स्वछन्द किरण तुम,
सुरमयी अलौकिक जलधारा।
क्या बांध सका था काल कभी,
अवतरित हुई जब रौद्र दुर्गा।

उठ सुप्त कंठ में उपजाओ,
कीर्ति क्रांति के नव अंकुर।
जन जन के प्राणों में गूँजें
तेरी वीणा के मीठे सुर।

मूल चित्र : Canva 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

11 Posts | 22,478 Views
All Categories