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शिक्षा और समझदारी गई तेल लेने, यहां तो वज़न ज़्यादा हो गया तो शादी कैसे होगी ?

सोचें ज़रा, भले ही लड़का मोटा हो, टेढ़ा हो, गंजा हो, गुंडा हो, बदतमीज़ हो, उसे कोई ये नहीं कहेगा कि पतला हो जा वर्ना शादी कैसे होगी !

सोचें ज़रा, भले ही लड़का मोटा हो, टेढ़ा हो, गंजा हो, गुंडा हो, बदतमीज़ हो, उसे कोई ये नहीं कहेगा कि पतला हो जा वर्ना शादी कैसे होगी !

अक्सर लड़कियों को ये बात अपने घर पर सुनने को मिल ही जाती है। बेटी की उम्र शादी की हो रही है तो घरवाले कहने लगते हैं, ‘कम खाया कर, कौन करेगा शादी? बैठे-बैठे मोटी होती जा रही है! शादी कैसे होगी?’ हालांकि मुझे आज तक ये समझ नहीं आया कि ‘शादी की सही उम्र’ क्या होती है, ये समाज क्यों तय करने लगता है!

ख़ैर, तो ये किस्सा मुझे इसलिए याद आया कि मेरी एक सहेली है, जो मुझे बताती है कि कैसे उसे घर पर ये बातें सुननी पड़ती हैं, ‘थोड़ा वज़न कम कर ले वर्ना शादी कैसे होगी?’

वो दिखने में बहुत प्यारी है, अच्छी पढ़ी-लिखी है और एक अच्छी नौकरी भी करती है। उसे अपने ऑफिस में बेस्ट एम्प्लॉई का कई बार अवॉर्ड मिल चुका है। लेकिन उसकी ये सारी सफलताएं, उसके वज़न के आगे छोटी हो जाती हैं।

अट्ठाइस साल की तारा (मेरा दिया गया नाम) को उसके घरवाले और रिश्तेदार बस यही कहते रहते हैं कि ‘जिम ज्वाइन कर ले! रिश्ते आ रहे हैं, थोड़ा वज़न कम हो जाएगा तो अच्छी लगेगी और अच्छा लड़का भी मिल जाएगा।’ तारा ने बहुत बार समझाने की कोशिश कर ली लेकिन अब कुछ नहीं कहती क्योंकि उसे भी पता है कि जिस छोटी सोच वाले समाज में वो पैदा हुई है वहां अभी बहुत सारी चीज़ें बदलनी बाकी हैं। सब अभी भी वैसा ही सोचते हैं जैसे कई सालों पहले सोचा जाता था। बोले तो, ढाक के तीन पात।

वो एक कान से सुनती है, सह लेती है और बस दूसरे कान से निकाल देती है। मुश्किल है, पर ऐसा करना पड़ता है वर्ना अपनी अच्छी-खासी नौकरी में अच्छा काम कैसे करेगी? इसलिए बस कुछ दोस्तों से अपना दुखड़ा कहकर दिल हलका कर लेती है। हालांकि ये प्रेशर फिलहाल उस पर थोड़ा कम है लेकिन आने वाले दिनों में ये बढ़ने वाला ही है।

फिलहाल, उसने जिम ज्वांइन कर ही लिया है। रोज़-रोज़ की किच-किच से वो भी तंग आ गई थी। कभी-कभी उसका मन करता है कुछ जंक फूड खाने का, तो हमारे साथ ही ऑफिस में खा लेती है।

मुझसे एक दिन पूछती, ‘क्या मेरा पति सिर्फ मुझे इसलिए प्यार करेगा कि मैं पतली हूं?’ मेरे पास कोई जवाब नहीं था। कहती भी क्या कि तारा किसी ऐसे लड़के से शादी मत करना जो सिर्फ तेरा रंग-रूप देखकर शादी करे? क्योंकि, आखिर में होना तो वही था जो उसके घर वाले चाहते थे।

तारा पढ़ी-लिखी ज़रूर है, लेकिन परिवार के ख़िलाफ़ जाकर कुछ भी करने से हिचकिचाती है।
उसके घरवाले महीने में एक-आध बार तो किसी ना किसी से मीटिंग फिक्स करा ही देते हैं। उसे भी जाना पड़ता है मिलने। कई बार ना सुनना पड़ा है। घरवाले कहते हैं, ‘तेरे मोटापे की वजह से अच्छा-खासा लड़का भी हाथ से निकल गया।’

अजीब है तारा! अपने परिवार के लिए सब कर रही है। अपनी आधी कमाई भी अपनी मम्मी को देती है। आजकल लड़के तो अपनी कमाई गर्लफ्रेंड पर उड़ा देते हैं। फिर भी वो अंदर से दुःखी है कि उसके माता-पिता को इस बात का दुःख है कि उसके वज़न की वजह से उसे लड़के ना कर देते हैं। इस बात का दुःख क्यों नहीं है कि उनकी पढ़ी-लिखी, समझदार लड़की में अवगुण तलाशने वाले लड़के में ख़ुद कितना खोट होगा।

ये कहानी तारा जैसी कई लड़कियों की है, जो ये मान चुकी हैं कि उनका ज़्यादा वज़न उनकी शादी में रुकावट है। लेकिन क्या यही बात लड़कों के मामले में लागू होती है? बिलकुल नहीं! लड़के की माँ हमेशा यही कहती हुई मिलेगी कि ‘तेरे लिए सुंदर बहू ढूंढकर लाएंगे’। भले ही लड़का मोटा हो, टेढ़ा हो, गंजा हो, गुंडा हो, बदतमीज़ हो। उसे कोई ये नहीं कहेगा कि पतला हो जा वर्ना शादी कैसे होगी।

देश में लड़कियां लड़कों से कम हैं फिर भी लड़कों को घरवालों की तरफ़ से प्रिवलेज मिला हुआ है। और अमीर लड़का हो तो भई वो दिखने में कैसा भी क्यों ना हो उसे खूबसूरत से खूबसूरत लड़की ढूंढकर दी जाती है।

इसमें कसूर सबका है। लड़की के माँ-बाप का, जो अपनी बेटी की उपलब्धियों को उसके वज़न से तोलते हैं, लड़की का, जो समय पर कुछ कहती नहीं और सब सह लेती है, लड़कों का जो अपने घरवालों को समझाते नहीं हैं कि उन्हें किसी के मोटा-पतला होने से फर्क नहीं पड़ता बल्कि एक समझदार हमसफ़र ज़रूरी है, और लड़के के माता-पिता का भी जो सीरत की नहीं सूरत की खूबसूरती ढूंढते हैं।

सबसे बड़ी गलती हमारी, आपकी और इस समाज की है जो इस सोच से ग्रसित है। मत करिए अपनी बेटियों के साथ ऐसा। फिट रहना अच्छी बात है, लेकिन उसके वज़न का ताना देकर उसकी उड़ान पर रोक मत लगाइए। वो बहुत अच्छी है और आपका बेटों से भी ज़्यादा ख्याल रखेगी। बस ज़रूरत है उसे समझने की। अब तो छोड़ें कहना ‘शादी कैसे होगी?’

मूल चित्र : Pixabay

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