कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

दुर्गा माँ की पूजा और लड़कियों के पैदा होने पर शोक, बंद करें ये ड्रामा!

सविता समझ ही नहीं पा रही थी कि ये सपना था या सच, आंखों से झर-झर आंसू गिरने लगे। बड़ी पोती दौड़कर देखने आई तो उसे गले से लगाकर रो पड़ी।

सविता समझ ही नहीं पा रही थी कि ये सपना था या सच, आंखों से झर-झर आंसू गिरने लगे। बड़ी पोती दौड़कर देखने आई तो उसे गले से लगाकर रो पड़ी।

“हे माता रानी! अब ये ही सुनने को बचा था। छोटी बहू ने भी आखिर इतने मन्नतों के बाद मुझे क्या दिया? दूसरी छोरी जनी और मेरी पांचवीं पोती!” फिर से पोती के पैदा होने की खबर सुनकर, मन मसोसती, हताश सिर पकड़ कर पूजा घर में बैठी थीं सविता जी।

तभी बड़ी पोती ने पीने के लिए ठंडा पानी रख कर, “दादी चाय बना दूं क्या?” धीमी आवाज़ में डरते हुए पूछा तो दादी ने उसे घूरकर देखा। वह सरपट वहां से वापस हो ली।

माता रानी के आगे सवाल दाग उठीं सविता जी, “क्या कमी रह गयी मेरी पूजा में माँ कि वंश चलाने वाला एक पोता नहीं दिया मुझे?”

“पोता ना दिया, ना सही। अपना दर्शन देकर मुझे कृतार्थ करो। लगभग पचास सालों से नवरात्रि का विधि-वत पूजन-अर्चन किया, फिर भी माँ तुम मुझसे मुँह फेरकर बैठी हो।”

अन्न-जल त्याग पूजा घर में ही बिलखती-रोती सो गईं सविता जी।

थोड़ी देर में ही माँ साक्षात आकर सविता नेगी का सिर सहलाते हुए कहती हैं, “मैं तो न जाने कितनी बार आयी हूँ तेरे द्वार। पर तू मुझे दुत्कार देती है। देख कितनी बार तेरे घर में अपने चरण रखे हैं, तेरी पोतियाँ बनकर। पर तूने मेरी ओर देखा तक नहीं। स्वागत तो दूर की बात है।”

देवी माँ की आंखों में जल छलक उठा, बोलीं, “तेरी पहली पोती के रूप में श्यामा गौरी बनकर आई। तूने मेरे आते ही घोर निराशा दिखाई। और एक-एक कर मेरे सब रूपों में तेरे घर पधारने की कोशिश की। पर, तू मुझे हर बार दुत्कारती गयी। एक बार तो मेरे आने की खबर सुनकर मुझे गर्भ में ही मारने की कोशिश की, पर तुझे पता नहीं कि मैं शक्ति स्वरूपा हूं, जगत जननी हूँ। तु क्या, ये समूचा संसार भी मेरा अस्तित्व नष्ट नहीं कर पाएगा।”

सविता देवी ये सब सुनते ही चौंक कर उठ बैठी, देखा वहां कोई न था। माता रानी की प्रतिमा जगमगा रही थी। मानो वह देवी अभी-अभी उसी में घुस गयी हो।

सविता समझ ही नहीं पा रही थी कि ये सपना था या सच। आंखों से झर-झर आंसू गिरने लगे। बड़ी पोती दौड़कर देखने आई तो उसे गले से लगाकर रो पड़ी। झट से उसे घर को साफ करवा कर रखने की हिदायत देकर अस्पताल की ओर चल दी, नन्ही देवी के रूप में आई पोती को गृहप्रवेश कराने के लिए।

मूल चित्र : Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

9 Posts | 53,433 Views
All Categories