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रिश्ते पकने में थोड़ा टाइम तो लगता है, इसलिए ज़्यादा परेशान ना हो!

सुन छोटी, रिश्ते पकने में टाइम लगता है, इसलिये इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान मत दे। अब औरतें भी फ्रीडम चाहती हैं और कभी-कभी बहुत ज़्यादा केयर भी बुरी लगती है।

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सुन छोटी, रिश्ते पकने में टाइम लगता है, इसलिये इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान मत दे। अब औरतें भी फ्रीडम चाहती हैं और कभी-कभी बहुत ज़्यादा केयर भी बुरी लगती है।

“आ गयी तू छोटी। रास्ते में कोई परेशानी तो नहीं हुई?” पूजा ने अपनी छोटी बहन कविता से पूछा। पूजा प्यार से अपनी छोटी बहन को ‘छोटी’ कहकर बुलाती थी।

“नहीं दीदी कोई परेशानी नहीं हुई। मेट्रो से सीधा ही रास्ता है। बस एक जगह ही चेंज करनी पड़ी।”

“लेकिन फिर तेरा मूड क्यों खराब है?”

“क्या बताऊँ दीदी, सचिन का व्यवहार मुझे बड़ा अजीब सा लगता है। अभी तो हमारी शादी को बस एक ही महीना हुआ है। मेरी कुछ भी फिक्र नहीं है उसे। ”

“ये क्या बोल रही है छोटी? तूने ऐसा कैसे सोच लिया कि सचिन को तेरी फिक्र नहीं। कुछ हुआ है क्या तुम दोनों के बीच में?”

“हुआ तो कुछ नहीं दीदी पर मुझे ऐसा ही फील होता है।”

“ये ले पहले गरमागर्म चाय पी”, पूजा ने चाय छानते हुए कहा। “फिर आराम से बात करते हैं और ये बता लंच मे क्या खायेगी मेरी छोटी बहना? वैसे मैंने तेरे फेवरट राजमा चावल बनाये हैं।”

“वाह दीदी! तुम कितनी अच्छी हो”, कविता ने चहकते हुए कहा। “मेरे मन की बात बिना कहे समझ जाती हो।  मेरा मन भी राजमा चावल खाने का कर रहा था। आई लव यू दी, मेरी प्यारी दी।”

“चल अब मस्का लगाना छोड़, पता नहीं तेरा बचपना कब जायेगा”, पूजा ने प्यारी सी डांट लगाते हुए कहा।

“अब बता छोटी क्या बात है। क्यों परेशान है तू?”

“दीदी वैसे तो कोई ख़ास बात नहीं है, लेकिन मुझे सचिन की नेचर कुछ समझ नहीं आता। अभी हमारी नयी-नयी शादी हुई है, मुझे भी कुछ अपेक्षाएं हैं अपने पति से। लेकिन वो तो कुछ समझता ही नहीं है कि केयर करना क्या होता है? अभी पिछले हफ्ते जब हम घर में शिफ्ट हुए थे, तो सुबह-सुबह ही मुझे बोलने लगे कि जाओ मदर डेरी से दूध और ब्रेड ले आओ, साथ में बटर भी ले आना और जो भी तुम्हें लाना हो, ले आओ। मुझे तो बड़ा ही अजीब लगा। कौन अपनी नई-नई पत्नी को ऐसे अकेले सामान लेने के लिए भेजता है?”

“मैंने जीजू को देखा है, वो हमेशा आपकी कितने केयर करते हैं। हर काम खुद करते हैं कि आपको कोई परेशानी ना हो। आज ही देखो मुझे आपसे मिलने का मन था तो बोले जाओ मेट्रो से चली जाओ, जबकि आज वो घर पर ही है, छुटी ले रखी है। अब आप ही बताओ ऐसा कौन करता है?”

“अरे छोटी! बस इतनी सी बात से तू इतनी परेशान हो गयी? अभी तो शादी में पता नहीं कितने ऐसे मोड़ आयेंगे जब तुझे लगेगा कि ये मैं कहाँ फस गयी। फिर हर किसी का नेचर अलग-अलग होता है। मेरी शादी को दस साल हो गए हैं। तुम्हारे जीजू मुझे समझते हैं और मैं उन्हें समझती हूँ। पति-पत्नी दोनों की परवरिश अलग-अलग माहौल में होती है, तो स्वाभाविक है एक दूसरे को समझने में समय तो लगता ही है।”

“और सुन छोटी, रिश्ते पकने में टाइम लगता है, इसलिये इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान मत दे। वैसे भी अब समय बदल रहा है। औरतें भी फ्रीडम चाहती हैं। कभी-कभी बहुत ज़्यादा केयर भी बुरी लगती है। तेरे जीजू ज़्यादा केअर के चक्कर में मुझे घर से बाहर ही नहीं जाने देते। मैं कितना बंधन महसूस करती हूँ उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं है। खैर छोड़। अब तो मुझे इस सबकी आदत हो गई है। थोड़े दिन में धीरे-धीरे तू सचिन को अच्छे से जान लेगी और वह भी तुझे अच्छे से समझने लगेगा। तू अभी से उसके बारे में कोई भी गलत धारणा मत बना। देख तुझे सचिन ने बहन से मिलने के लिए रोका तो नहीं ना?  तू कैसे उसके बारे में गलत सोच सकती है।”

“दी, मैं भी कितनी पागल हूँ जो सचिन के बारे मे उल्टा-सीधा सोच रही थी। आप सही कह रही हो, रिश्ते पकने मे टाइम लगता है।”

दोस्तो, पति-पत्नी का रिश्ता बड़ा ही अनमोल होता है फिर अगर ये रिश्ता नया-नया हो तो एक दूसरे को समझने में टाइम तो लगता ही है। इसलिये इस रिश्ते को पहले समझने की कोशिश करें, फिर कोई भी धारणा अपने जीवनसाथी के प्रति बनाएं। जल्दबाजी में अपने जीवनसाथी के प्रति कोई नकारात्मक विचार अपने मन में ना लाएं। अगर आपको अपने जीवन साथी की कोई बात अच्छी नहीं लगती, तो मौका देखकर अपने जीवन साथी को अपनी भावनाओं से अवगत कराएं। पति-पत्नी के नाज़ुक रिश्ते को प्यार की डोर से सीचें। रिश्तों की बगिया प्यार से महक उठेगी।

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मूलचित्र : Unsplash

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Anita Singh

Msc,B.Ed,बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक है कॉलेज के जमाने से ही लेख कविता और कहानियां लिख रही हूं मुझे सामाजिक मुद्दों पर लिखना पसंद है अपनी कहानियों के माध्यम से समाज में पॉजिटिव बदलाव लाना चाहती हूं। read more...

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