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पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के शब्द आपको भी कुछ सोचने को मजबूर करते हैं क्या?

पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग कहती हैं, 'हम सामूहिक विलुप्ति की कगार पर हैं और आप पैसों और आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें कर रहे हैं?'

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पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग कहती हैं, ‘हम सामूहिक विलुप्ति की कगार पर हैं और आप पैसों और आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें कर रहे हैं?’

पूरा ईको सिस्टम बर्बाद हो रहा है

ऐसा रोज़ – रोज़ नहीं होता कि एक किशोर लड़की अपने शब्दों से विश्व के बड़े – बड़े नेताओं को झकझोर दे। पर सोमवार को यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट समिट में 16 वर्ष की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने महासचिव अंतोनिओ गुतेरेस और अन्य नेताओं पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा, ‘आपने हमारे सपने, हमारा बचपन अपने खोखले शब्दों से छीना। हालांकि, मैं अभी भी भाग्यशाली हूँ। लेकिन लोग झेल रहे हैं, मर रहे हैं, पूरा ईको सिस्टम बर्बाद हो रहा है।’

फ्राइडेज़ फ़ॉर फ्यूचर

स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग समूचे विश्व में जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ युद्ध की आवाज़ बन चुकी हैं। उनका ‘स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट कैंपेन’ जो कि ‘फ्राइडेज़ फ़ॉर फ्यूचर’ के नाम से भी जाना जाता है, वह पूरी दुनिया के बच्चों और युवाओं को जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने को प्रोत्साहित कर रहा है।

ग्रेटा ने पिछले साल अगस्त में हर शुक्रवार स्कूल जाना छोड़ दिया था। वे उस दिन स्वीडिश संसद के बाहर तख्तियां लेकर अपना विरोध प्रगट करती हैं और सांसदों से दुनिया को बचाने की अपील करती हैं। एक दिन जब वह प्रदर्शन कर रहीं थीं तब एक भारतीय टी वी चैनल के रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि वे स्कूल छोड़ कर संसद के बाहर प्रदर्शन क्यों कर रही हैं। ग्रेता ने उन से कहा कि यदि जीवन ही नहीं रहा तो स्कूल जा कर वे क्या करेंगी।

वे मानती हैं कि जो वे कर रही हैं वह स्कूल में पढ़ने से ज्यादा ज़रूरी है। ग्रेता कहती हैं, ‘मैं भविष्य के लिए क्यों पढाई करूं, जब वो बचेगा ही नहीं। कोई उस भविष्य को बचाने के लिए कुछ कर ही नहीं रहा है। हम बच्चों को ये सब नहीं करना चाहिए, हमें स्कूल में होना चाहिए। लेकिन कोई कुछ कर ही नहीं रहा है तो मैं क्या करूं? मुझे ये सब करना पड़ रहा है।’

बेहद भावुक और उत्तेजित भाषण

सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में अपने बेहद भावुक और उत्तेजित भाषण में उन्होंने विश्व नेताओं से कहा, ‘आपने हमें धोखा दिया है। युवा समझते हैं कि आपने हमें छला है। हम युवाओं की आँखें आप लोगों पर हैं और अगर आपने हमें फिर असफल किया तो हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे।’

उन्होंने बेहद गुस्से से कहा, ‘हम सामूहिक विलुप्ति की कगार पर हैं और आप पैसों और आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें कर रहे हैं। आपने साहस कैसे किया?’

पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग का मानना है कि पूरे विश्व में जलवायु संकट की वजह से इमरजेंसी जैसे हालात बन चुके हैं और दुनिया भर के नेताओं को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। यदि वे अपनी ज़िम्मेदारी नहीं समझेंगे तो ये दुनिया नहीं बचेगी।

यह एक इमरजेंसी है

16 अप्रैल, 2019 को यूरोपियन पार्लियामेंट में उन्होंने कहा, ‘आप मुझे मत सुनिए, आप वैज्ञानिकों की बात मानिये क्योंकि उनके गणनाएं विज्ञान के आधार पर हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक इमरजेंसी है और मैं चाहती हूँ कि आप परेशान हों।अगर हमारा घर गिर रहा होगा तो आप ब्रेक्सिट समिट नहीं इमरजेंसी क्लाइमेट समिट कर रहे होंगे। मीडिया और कुछ नहीं बल्कि सिर्फ पर्यावरण की बात कर रहा होगा। हमारे नेता टैक्स, इकॉनमी और वोटर्स की बाते नहीं कर रहे होंगे।’

वे यह भी कहती हैं कि यदि पर्यावरण को बचाना है तो परिवर्तन की शुरुआत अपने घर-परिवार से ही करनी होगी। इस कारण उन्होंने अपने परिवार की जीवन शैली में उन चीज़ों पर रोक लगाई जिन से कार्बन उत्सर्जन होता है। उन्होंने हवाई यात्रा करना छोड़ दिया है और देश-विदेश की यात्रा रेल या जलमार्ग से करती हैं क्योंकि इनसे पर्यावरण को नुक़सान कम से कम होता है। शुरुआत में उनके माता-पिता ने उनका साथ देने से मना कर दिया था क्योंकि ग्रेटा का शुक्रवार को स्कूल ना जाने का विचार उन्हें पसंद नहीं था पर अब वे भी ग्रेटा का पूरा समर्थन कर रहे हैं। ग्रेता की यात्राओं में उनके पिता उनके साथ होते हैं और उनकी यात्राओं का खर्च वे खुद वहन करते हैं।

इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया

उनके विचारों ने कई देशों में बच्चों को अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक किया है। भारत समेत कई देशों में स्कूली बच्चे अब हर शुक्रवार पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। पिछले साल नवंबर में 24 देशों के करीब 17 हजार छात्रों ने फ्राइडे फॉर फ्यूचर कैंपेन में हिस्सा लिया। 2019 तक उनके कैंपेन से 135 देशों के 20 लाख बच्चे जुड़ गए और इस साल अगस्त तक उनके कैंपेन में हिस्सा लेने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 36 लाख हो गई है।

पिछले एक वर्ष में ग्रेटा, जो कि एस्पर्जर सिंड्रोम से भी ग्रस्त हैं, कई देशों में भाषण दे चुकी हैं और उन्हें टाइम मैगज़ीन, एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं और जर्मनी और फ्रांस द्वारा कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है।16 साल की ग्रेटा थनबर्ग को स्वीडिश पार्लियामेंट के द्वारा उनके पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया है।

मूल चित्र : YouTube 

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Seema Taneja

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