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दोनों की समागम भावनाओं से होगी रस बरसात, बुनियादों का कर त्याग हमें करना कुरितियों का हनन, गर तुम निभाओ साथ मेरा सुखद होगा ये नवजीवन
छोड़ बाबुल का अंगना संग आई तेरे सजना प्रीत की बंधी तुझसे डोर मन हो गया विभोर
माथे की बिंदिया लगायी तेरे नाम की श्रृंगार रूपी गहनों से सजी प्रीत ले स्वागत की मनभावन फूलों की सुगंध से महके मेरा सौभाग्य नवोदय के आगाज़ पर मिले मनमीत यह मेरा अहोभाग्य
सजना मधुरम नवजीवन की करेंगे हम शुरुआत दोनों की समागम भावनाओं से होगी रस बरसात बुनियादों का कर त्याग, हमें करना कुरितियों का हनन गर तुम निभाओ साथ मेरा, सुखद होगा ये नवजीवन
ओ सजना मेरे सुख-दुःख जीवन के पहलु दो प्रीत के सागर में साथी दो हम दोनों प्रेम रस से एकरूप हो जाएं इस शीतल चांदनी में सूरज की रोशनी में विशाल क्षितिज पर छबि निर्मित करें नये आलिंगन नवचेतना लिए भावों के नाद मधुर सुर ताल के साथ स्वागतम करें इस नवजीवन की
मुझे यकीन है हमारा जीवन अवश्य होगा साकार दुःखों के कांटे कितने ही चुभे, फूलों की होगी अवश्य बहार हम दोनों की प्रीत का संगीत, याद करेगा यह संसार
मूलचित्र : Pexel
यहां इक तू है, तो इक मैं भी तो हूं…
माँ जब तुमने मुझे छुआ था!
आज रंग लेने दो मुझे मेरे ही रंग में
अधूरा प्यार- क्यों मेरी धड़कनों को तुम्हारा ही इंतज़ार है
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