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अपराधबोध, बिना अपराध किये

युवा हॉर्मोन्स का इन बच्चों पर भी उतना ही असर होता है जितना कि सामान्य बच्चों पर। इन्हें दबाने की बजाय कॉउंसलिंग से इसका सही वक्त पर सही समाधान जरूरी है।

हॉर्मोन्स का इन युवाओं पर भी उतना ही असर होता है जितना कि सामान्य युवाओं पर। इन्हें दबाने की बजाय कॉउंसलिंग से इसका सही वक्त पर सही समाधान ज़रूरी है।

अनु ने आज अपनी योगा क्लास की सभी सहेलियों को अपने घर पर किटी पार्टी के लिए बुलाया था, विनी भी उसी ग्रुप की सदस्य थी। 40+ की ये सभी महिलाएं एक योगा क्लास में मिली फिर कुछ हफ़्तों में सबकी आपस मे गहरी दोस्ती हो गयी। ये सभी अक्सर एक दूसरे के घर किट्टी-पार्टी करते थे। आज विनी बहुत खूबसूरत दिख रही थी। ग्रुप की सहेलियों, कविता, कस्तूरी, उमा और सविता ने उसे देखते ही उसकी तारीफ के पुल बाँध दिए थे।

विनी आज दूसरी बार अनु के घर जा रही थी, जैसे ही उन लोगों ने घर में कदम रखा, अचानक ही एक 30 वर्षीय लड़का सामने आ गया जो कि मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर था। पता चला कि वो अनु का बेटा विविध है। हमेशा वो अपने पिता के साथ दुकान पर चला जाता था, पर आज घर पर ही रह गया था। अनु सभी सहेलियों को बेडरूम में ले आयी। नाश्ते का प्रबंध भी बेडरूम में ही था। सभी सहेलियां आपस में गपशप कर रहीं थीं कि उतने में विविध भी वहीं आ गया।

विविध बार-बार विनीता की तरफ ही देखे जा रहा था। उसे अपनी तरफ एकटक ताकता हुआ देख विनी को काफी असहज महसूस होने लगा। नाश्ता होने के बाद अचानक ही विविध उठा और विनीता के गले लग गया। उसे विविध का एक हाथ अपनी कमर को सहलाता हुआ महसूस हुआ वो घबरा गयी। पर दिमाग पर काबू रखकर, तुरन्त उसने विविध का हाथ पकड़ लिया।

अचानक ही इस अप्रत्याशित व्यवहार से विनीता अचरज में थी, लेकिन सहज होते हुए उसने तुरंत उसके चारों तरफ देखा कि किसी ने ये देख तो नहीं लिया। वो इस बात को बिना बढ़ाये वहाँ से चली जाना चाहती थी। पर कविता एकदम उसके सामने ही बैठी थी और उसने ये सारी घटना देख ली थी। उसकी भी आँखे फटी रह गईं। विनीता अंदर ही अंदर इस घटना से बहुत घबरा गयी थी। इतने में सब कहने लगे की चलो चलते हैं तो विनीता की सांस में सांस आई। जल्दी से वो वहां से चली जाना चाहती थी।

अनु के घर से निकलते ही कविता ने विनीता को पास में ही जोगर्स पार्क में चलने को कहा। पार्क पहुँच कर, कविता ने विनीता से कहा कि ऐसे बच्चों में भी sexuality होती है। पर जो कुछ भी हुआ वो सब अनु को मत बताना क्यूंकि उसे बुरा लगेगा। एक बार पहले रमा ने ये कहा था कि उसे विविध से डर लगता है, तो वो बहुत बुरा मान गई थी और उसने रमा को बहुत भला-बुरा कहा था।

विनीता ने सोच लिया था कि उसे क्या करना है। विनीता अपने मायके में रह रही एक सिंगल कामकाजी महिला है। लेकिन समाज सुधार, पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण आदि की कार्यक्रमों में हमेशा आगे रहती है। वहीं उसकी मित्रता विशेष बच्चों के लिए सहायता-समूह चलाने वाली एक महिला से हुई थी। उसने विनीता को बताया कि हर सामान्य इंसान की तरह इन विशेष लोगों में भी सेक्शुएलिटी की भावनाएं होती हैं जिनका सही समय पर कॉउंसलिंग, मेडिटेशन, से समाधान होना जरूरी है वरना यह स्थिति कभी विकराल व विकृत रूप भी ले सकती है।

यह सब जानकर विनी ने अनु को इस बारे में जागरूक करना सही समझा। उस हादसे के डेढ़ महीने बाद उसने अनु को मिलने बुलाया। अनु के आते ही सबसे पहले तो विनीता ने उस दिन की पूरी बात उसे बताई और इसका समाधान भी बताया। लेकिन अनु, उसकी बात समझने के बजाय, विनीता पर ही बरस पड़ी कि उसकी हिम्मत कैसे हुई उसके बेटे के बारे में ऐसा बोलने की। विनी के लाख समझाने पर भी अनु यह मानने को तैयार नहीं हुई कि उसके मानसिक अपरिपक्व बेटे ने ऐसा कुछ किया है।

अनु तो विनीता को यह बोल कर चली गई कि जो उसके बेटे के लिए गलत बोलेगा वो उसका दुश्मन होगा। अनु ने फिर सारे ग्रुप में भी धीरे-धीरे ये बात बता दी और सब को अनु ही सही लग रही थी क्यूंकि अनु माँ है और कोई भी माँ अपने बेटे के बारे में ये नहीं सुन सकती है। अनु बेटे के बारे में किसी को कुछ नहीं बोलना चाहिये।

विनी ये सोच रही थी कि अगर उसने उस दिन ज़रा भी शोर मचा दिया होता, तो अनु को कितनी अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ता। शुक्रिया अदा करने की बजाय अनु उसकी ही गलती निकाल रही है। और दूसरे, अनु को ये सोचना चाहिए था कि उसके घर में विनी को कितनी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। अनु को इस बात का ज़रा भी एहसास नहीं है, जबकि अनु ख़ुद भी एक औरत है।

लोग इस बात को माने न माने मगर यह सच है कि इन लोगों में भी हर सामान्य इंसान की तरह sexuality को लेकर भावनाएं होती हैं। युवा हॉर्मोन्स का इन बच्चों पर भी उतना ही असर होता है जितना किसी सामान्य युवा पर। इन्हें दबाने की बजाय कॉउंसलिंग से इसका सही वक्त पर सही समाधान ज़रूरी है।

स्पेशल या विशेष बच्चों, खासकर जवानी की दहलीज पर कदम रखते और युवाओं को, विशेष देखभाल की और उन पर खास नज़र रखने की जरूरत है। माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों के प्रति खुद दोस्ताना व्यवहार रखें और विशेष बच्चों के काउन्सलर से मदद लें ताकि उन्हें सही तरीके से सब समझाया जा सके।

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