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पुलिस कंप्लेंट-महिला इन बातों की जानकारी रखें

पुलिस में रिपोर्ट दर्ज़ कराने के नाम पर ज्यादातर महिलाएँ डर जाती हैं। ज़रूरी है कि शिकायत दर्ज़ करते समय इन बातों की जानकारी हो। 

पुलिस में रिपोर्ट दर्ज़ कराने के नाम पर ज्यादातर महिलाएँ डर जाती हैं। ज़रुरत पड़ने पर शिकायत दर्ज़ करते समय निम्न बातों की जानकारी रखें। 

अनुवाद : कनुप्रिया 

यदि आप कभी ऐसी स्थिति में हैं, जहाँ आपको पुलिस में शिकायत करने की आवश्यकता है, तो आपको किन-किन चीजों के बारे में पता होना चाहिए?

एक महिला होने के नाते, पुलिस में शिकायत करने के लिए इन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखें। 

-आपको संज्ञेय अपराधों और असंज्ञेय अपराधों के बीच अंतर को समझना चाहिए। संज्ञेय अपराध वे हैं जिनके लिए लोगों को बस एक एफआईआर दर्ज करनी होती है। असंज्ञेय अपराध वे होते हैं जिनके लिए अदालत द्वारा निर्देश दिए जाने की आवश्यकता होती है।

-पुलिस में शिकायत करते समय आपको जो कुछ हुआ है, उसका सटीक विवरण प्रदान करना होगा।

-पुलिस की शिकायत कानूनी रूप से ऑनलाइन सहित कई तरीकों से दर्ज़ की जा सकती है, हालांकि व्यवहार में, पुलिस व्यक्तिगत अनुवर्ती कार्रवाई पर सबसे अधिक उत्तरदायी है।

-अपराध होने के बाद जल्दी शिकायत दर्ज करना मददगार होता है, हालांकि यह कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है।

-पुलिस में शिकायत दर्ज करने के तरीके, और एक महिला के रूप में आपके अधिकारों के बारे में अधिक विस्तृत विवरण के लिए आगे पढ़ें। आपको इन तरीकों से  खुद को परिचित करना चाहिए।

श्री मुखर्जी, एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी, कहते हैं कि आजकल महिलाओं के लिए सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण ये है कि वे खुद को कानून और अपने विधिक अधिकारों के बारे में शिक्षित करें। उन्हें  लगता है कि यह स्वाध्याय बहुत ही बुनियादी स्तर पर शुरू होता है, जहाँ एक महिला को कम से कम, अपने नज़दीकी पुलिस- स्टेशन का नाम और स्थान के बारे में पता होना चाहिए। “हम यहाँ सुरक्षा के बारे में बात कर रहे हैं। जागरूकता का एक स्तर होना चाहिए। सबको सब कुछ पता होना चाहिए। अपने अधिकारों के बारे में खुद को अवगत कराएं। यह सब कुछ बुनियादी है। जैसे, आप खुद को एक अस्पताल के बारे में शिक्षित करेंगे, उसी तरह से खुद को पुलिस-स्टेशन के बारे में शिक्षित करें।”

एक बार जब आप ऐसा कर लेते हैं, तो अपने आप को, पुलिस में की जाने वाली विभिन्न प्रकार की शिकायतों से परिचित करना होगा – ये अलग-अलग हो सकती हैं। ये  चेन-स्नैचिंग, वाहन से हमला, घर में चोरी, शारीरिक हमला, छेड़-छाड़, बलात्कार, दहेज-उत्पीड़न या हत्या की कोशिश जैसे संज्ञेय अपराधों से संबंधित हो सकती हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, पुलिस को अपराध का संज्ञान लेना होगा और इसकी जांच करनी होगी। इन मामलों में पुलिस द्वारा एक प्राथमिकी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) या एफ.ऑय.आर (फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज की जानी चाहिए।

असंज्ञेय अपराध वह है, जहां पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकती है और अपराध की भी जांच तब तक नहीं कर सकती जब तक कि कानून की अदालत द्वारा निर्देश नहीं दिए जाते। इन शिकायतों को दर्ज करने के लिए किसी भी शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। औपचारिकता पूरी होने के बाद शिकायतकर्ता को एनसीआरनॉन कोग्निज़ेबल ऑफेन्स) की एक मुफ्त प्रति दी जाती है। घरेलू हिंसा का शिकार होने वाली महिलाएं कलेक्टोरेट में डोमेस्टिक वायलेंस सेल से संपर्क कर सकती हैं।

पुलिस शिकायत करते समय ध्यान रखने योग्य सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो कुछ हुआ है, उसका आपको सटीक विवरण देना होगा। “एक बेतुका या आधा-बेक्ड स्टेटमेंट न दें-तथ्य दें”, श्री मुखर्जी ने कहा।

हालांकि, लीगल एक्टिविस्ट और सोशल वर्कर असुंता परडे कहती हैं, “कई बार पुलिस शिकायत दर्ज़ करते समय वास्तविक तथ्य नहीं लिखती है। ऐसा न हो, इसके लिए वह शिकायत की लिखित प्रति लेने की सलाह देती हैं और साथ ही अपनी प्रति के लिए हस्ताक्षर करने से पहले पुलिस को आपके द्वारा दी गई जानकारी की दोबारा जांच करने की भी सलाह देती हैं।

यह ध्यान रहे, पुलिस-स्टेशन आपकी शिकायत लेने से इंकार नहीं कर सकता और न ही आपको यह कहकर कि आप उनके अधिकार-क्षेत्र में नहीं आते हैं, दुसरे पुलिस-स्टेशन भेज सकता है। “एफआईआर ‘ज़ीरो’ नंबर के तहत दर्ज़ की जायेगी और फिर इसे संबंधित पुलिस-स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा”, पुणे स्थित वकील, शीला अदयन्थाया, जो सिविल, आपराधिक और पारिवारिक मामलों में काम करती हैं, कहती हैं।

यदि संबंधित प्राधिकरण अभी भी ऐसा करने से इंकार करता है, तो महिला शिकायत को पंजीकृत डाक से भेज सकती है या अगले पर्यवेक्षक से मिलने के लिए कह सकती है। ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कराई जा सकती है। आप एक कदम आगे जा सकते हैं और राष्ट्रीय महिला-आयोग को भी संपर्क कर सकते हैं।

गायत्री नागपाल (चेन्नई में एक इंस्पेक्टर) कहती हैं, “आल विमेंस पुलिस-स्टेशन की स्थापना ने एक ऐसा मंच प्रदान किया है, जहाँ महिलाएँ, पुरुषों के साथ अपने व्यक्तिगत और संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने के आघात से गुज़रे बिना अपनी शिकायतों को हवा दे सकती हैं। हालाँकि, एक सामान्य धारणा यह है कि कीमत चुकाने से न्याय की प्राप्ति होती है, जो कई महिलाओं को पुलिस के पास जाने से रोकती है। उम्मीद है, समय के साथ यह धारणा बदल जाएगी और महिलाएं बिना किसी डर और संकोच के पुलिस को संपर्क कर सकेंगी।“ अधिकांश पुलिस-स्टेशनों में अब एक ‘महिला सेल’ है और एक महिला इंस्पेक्टर से बात करते हुए पुलिस शिकायत दर्ज़ करने में आप अधिक सहजता महसूस करेंगी।

असुंता कहती हैं कि ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जहां पुलिस ने शिकायत करने गई महिलाओं को परेशान किया है। वह खुद भी इसका शिकार हुई हैं और उन्हें मध्य-रात्रि के बाद भी पुलिस थाने में रखा गया था। उनकी  सलाह यह नहीं है कि आप डर जाएँ और शिकायत को दर्ज़ ना करें। बल्कि, अगर आपको प्रक्रिया के दौरान परेशान किया जा रहा है, तो इसे उच्च अधिकारियों तक ले जाएं।

श्री मुखर्जी का सुझाव है कि किसी भी समस्या से बचने के लिए, आपको एक दोस्त या परिवार के सदस्य को साथ ले जाना चाहिए। “आप किसी को भी साथ ले जा सकते हैं-एक वकील के ही होने की ज़रूरत नहीं है”, शीला जो कहती हैं। आप किसी भी वक़्त पुलिस-स्टेशन जा कर शिकायत दर्ज़ करा सकते हैं (हालांकि महिलाओं को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है)।

बस इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि समय रहते पुलिस में शिकायत करना महत्वपूर्ण है। घटना के बाद जितनी जल्दी हो सके शिकायत दर्ज़ करें। इस में देरी न करें। यह देरी बाद में आपके खिलाफ जा सकती है और आपको किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में चित्रित कर सकती है जो इस बारे में गंभीर नहीं थीं कि उनके साथ क्या हुआ। यदि आपको लगता है कि कोई आपका पीछा कर रहा है या परेशान कर रहा है, और यह काफी गंभीर समस्या है-तो इसकी रिपोर्ट जल्द करें।

सुश्री नागपाल का विचार है, “युवा महिलाएं अक्सर अपने माता-पिता से यह छिपाती हैं कि लड़के उनका पीछा कर रहे हैं या ‘ईव-टीजिंग’ की घटनाओं से वह परेशान हैं। यह केवल स्टाकर को बोल्ड बनाता है, जिसके परिणामस्वरूप अप्रिय घटनाएं हो सकती हैं, जैसे एसिड-अटैक या अन्य प्रकार के शारीरिक हमले। उदाहरण स्वरुप चेन्नई में जो स्वाति नामक एक लड़की के साथ हुआ।“

* निधि शर्मा को उनके पति द्वारा बार-बार शारीरिक रूप से शोषित और प्रताड़ित किया गया। जब उनके पति ने उनका हाथ तोड़ दिया तो वह पुलिस में शिकायत करने गयीं। वह पहले बहुत शर्मिंदगी महसूस करती थीं और ऐसा करने से डरती थीं। अब उन्हें लगता है कि शिकायत करना महत्वपूर्ण है। “हर पुलिस-स्टेशन घरेलू हिंसा की पहली शिकायत दर्ज करता है। यह अपराधी को एक संदेश भी देता है कि जो हो रहा है आप उसके बारे में चुप नहीं रहेंगी।”

वह आगे कहती हैं कि जब उन्हें फिर से धमकी मिली तो उन्होंने पुलिस को सबसे ज़्यादा मददगार पाया। वह फिर से पुलिस के पास पहुंची और उन्हें पुलिस की मदद का भरोसा दिलाया गया। यहां तक कि उन्हें ए.सी.पी. का निजी सेल नंबर भी दिया गया ताकि सुरक्षा की आवश्यकता होने पर वे उन्हें कॉल कर सकें।

हां, किसी की शिकायत करने के लिए थाने में जाना कठिन हो सकता है। लेकिन श्री मुखर्जी जी की इन पंक्तियों को दिल से याद रखें -“पुलिस के अधीन मत रहिए। वे कानून के संरक्षक हैं, वे आपकी शिकायत पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं।”

*अनुरोध पर नाम बदले गए

महत्वपूर्ण लिंक

CONSTITUTIONAL RIGHTS AND LEGAL RIGHTS
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मूल चित्र: pixabay 

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Melanie

Melanie Lobo is a freelance writer. She grew up in cities across India but now calls Pune home. Her husband and son keep her on her toes and inspire her with new writing material daily. read more...

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