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“तेरी मेरी ज़िन्दगी की किताब में कुछ नए पन्ने जुड़ने लगे” – एक प्रेम भरी लघु कविता
तेरी मेरी जिंदगी की किताब में, कुछ नए-नवेले पन्ने जुड़ने लगे।
चमकता हुआ चाँद तेरे सर पर तो, इधर ज़ुल्फ़ में चाँदनी छिटकने लगे।
शक्कर और नमक की छोड़ दो बातें, तुम बनके डिस्प्रिन मुझमें घुलने लगे।
नज़र से नज़र अजी क्या खाक मिलाएं, क्योंकि चश्मों के नंबर बदलने लगे।
संभाली चीजों को ढूंढने में अब, दिमाग के बल्ब जगने-बुझने लगे।
तेरी मेरी जिंदगी की किताब में कुछ नए-नवेले पन्ने जुड़ने लगे।
मूल चित्र : pexel
कुछ तेरी, कुछ मेरी, चाहती हूँ वो दुनिया बराबरी वाली
इक दिन सुनेंगे सब, मेरे शब्दों की गूँज और मेरी आवाज़ की ख़नक!
एक और नए साल की दहलीज़ पर जब खड़े हैं हम!
एक किताब तेरी
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